उ0प्र0 में पाठ्यक्रम 30% तक कम किये जानें के नाम पर, एक बार और हमारी संस्कृति से ईसाईयत नियोजित बलात्कार। जय हो योगी सरकार।
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) के कोर्स को लेकर सियासी हो हल्ला मच रहा है। नोबेल पुरस्कार विजेता रबींद्रनाथ टैगोर समेत कई जाने माने रचनाकारों की रचनाएं अब सिलेबस में नहीं हैं। इधर, यूपी बोर्ड का दावा यही है कि उसने कोई बदलाव नहीं किया है। सचिव दिब्यकांत शुक्ल कहते हैं कि हाईस्कूल और इंटरमीडिएट में हम एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू कर रहे हैं, जो एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम में है वही पढ़ाया जाएगा। हम कुछ भी जोड़ घटा नहीं रहे हैं। बाजार में जो किताबें हैं वो बोर्ड से मान्य भी नहीं है।
डॉ. एस राधाकृष्णन की रचना भी नहीं।बाजार में एनसीआरटी बेस्ड जो किताबें हैं, उनमें 10वीं और 12वीं के विद्यार्थी रबींद्रनाथ टैगोर ही नहीं, पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एस राधाकृष्णन की रचना भी नहीं हैं। टैगोर की कहानी द कमिंग होम पूर्व में 12वीं में पढ़ाई जाती थी। डॉ. एस राधाकृष्णन का निबंध द वूमेंस एजूकेशन और एएल बाशम का द हेरिटेज आफ इंडिया भी किताबों में नहीं है। आरके नारायणन की कहानी एन एस्ट्रोलाजर्स डे और मुल्क राज आनंद की कहानी द लास्ट चाइल्ड भी विद्यार्थी नहीं पढ़ सकेंगे। बात 10वीं कक्षा की करें तो किताब से सरोजनी नायडू की कविता द विलेज सांग को भी हटा दिया है। सी राजगोपालाचारी, डब्ल्यूएम रायबर्न तथा आर श्रीनिवासन की रचनाएं भी हटाई गई हैं।
10वीं की किताब में नए रचनाकार।
कक्षा 10 वीं में फर्स्ट फ्लाइट के प्रोज सेक्शन में अफ्रीका के राष्ट्रपति रहे नेल्सन मंडेला, एन. फ्रैंक तथा एंटन चेखोव की रचनाएं हैं। पोएट्री सेक्शन में राबर्ट फ्रास्ट, वाट व्हिटमैन तथा विलियम बटलर येट्स की रचनाओं को शामिल किया है। सप्लीमेंट्री बुक में रस्किन बांड, राबर्ट आर्थर, एचजी वेल्स तथा के ए अब्बास की रचनाएं हैं।
12वीं में पढ़ाई जाएंगी फ्लेमिंगो और विस्टा।
पहले कक्षा 12वीं के सिलेबस में व्याकरण को छोड़कर चार किताबें थीं, लेकिन एनसीईआरटी सिलेबस की वजह से सिर्फ दो किताबें फ्लेमिंगो और विस्टा पढ़ाई जाएंगी। द फ्लेमिंगो में अनीस जंग की लास्ट स्प्रिंग, विलियम डगलस की डीप वाटर और लुई फिशर की इंडिगो जो द लाइफ आफ महात्मा गांधी से ली गई हैं। कविता खंड में विद्यार्थी कमला दास, पाब्लो नेरुदा और जान कीट्स की कविताएं पढ़ सकेंगे।
Please Save
www.aakhirisach.com
आज एक मात्र ऐसे न्यूज़ पोर्टल है जोकि “जथा नामे तथा गुणे के साथ” पीड़ित के मुद्दों को पुरजोर तरीके से उठा कर उनकी आवाज मुख्य धारा तक ले जा रहा है।
हाथरस केस से लेकर विष्णु तिवारी के मामले पर निष्पक्ष पत्रकारिता से आखिरी सच टीम के दिशा निर्देशक ने अपना लोहा फलाना दिखाना समाचार पोर्टल पर मनवाया है। सवर्ण, पिछड़ी एवं अल्पसंख्यक जातियों का फर्जी SC-ST एक्ट के मामलों से हो रहे लगातार शोषण को ये कुछ जमीन के आखिरी व्यक्ति प्रकाश में लाए हैं।
यह पोर्टल प्रबुद्ध व समाज के प्रति स्वयंमेव जिम्मेदारों के द्वारा चलाया जा रहा है जिसमे आने वाले आर्थिक भार को सहने के लिए इन्हे आज समाज की आवश्यकता है। इस पोर्टल को चलाये रखने व गुणवत्ता को उत्तम रखने में हर माह टीम को लाखों रूपए की आवश्यकता पड़ती है। हमें मिलकर इनकी सहायता करनी है वर्ना हमारी आवाज उठाने वाला कल कोई मीडिया पोर्टल नहीं होगा। कुछ रूपए की सहायता अवश्य करे व इसे जरूर फॉरवर्ड करे अन्यथा सहायता के अभाव में यह पोर्टल अगस्त से काम करना बंद कर देगा। क्योंकि वेतन के अभाव में समाचार-दाता दूसरे मीडिया प्रतिष्ठानों में चले जाएंगे। व जरूरी खर्च के आभाव में हम अपना काम बेहतर तरीके से नही कर पायेंगे।
UPI : aakhirisach@postbank
Paytm : 8090511743