ट्रामा सेंटरों में स्टिंग आपरेशन के बाद सामने आई चौंका देने वाली सच्चाई, व्यवस्थाओं की खुली पोल -दैजा0
संवाददाता ने मंगलवार को कानपुर के कुछ ट्रामा सेंटर्स में जाकर स्टिंग आपरेशन किया तो उसमें प्रबंधन की पोल खुल गई। इसे लेकर जब सबंधित अफसर से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि यह बेहद चिंतनीय है।
शहर में ऐसे कई ट्रामा सेंटर हैं जहां भर्ती होने वाले मरीज को इलाज कम बल्कि उसे और उसके तीमारदारों को ट्रामा (गंभीर चोट) ज्यादा दिया जाता है। इनमें से कई सेंटर ऐसे हैं जो किराये के भवनों में चल रहे हैं। मानक तो दूर की बात पर्याप्त सुविधाएं तक नहीं हैं।
ये हैरान करने वाली असलियत मंगलवार को दैनिक जागरण की पड़ताल में सामने आई। हमारे संवाददाता मरीज के तीमारदार बनकर हमीरपुर रोड नौबस्ता में चल रहे इन ट्रामा सेंटरों में पहुंचे और मरीज को भर्ती कराने के लिए सुविधाओं की जानकारी मांगी तो पोल खुलकर सामने आ गई। पता चला कि बड़े-बड़े बोर्डों पर लिखा गया ट्रामा सेंटर सिर्फ दिखावा है। अंदर न तो गंभीर मरीजों के इलाज की सुविधा है और न ही जांच की।
हमारी पड़ताल में सामने आए तीन उदाहरण निम्नलिखित हैं।
उदाहरण एक – नौबस्ता बंबा स्थित उत्तम हास्पिटल एंड ट्रामा सेंटर में दोपहर 12 बजे सिर्फ कर्मचारी मिले। दैनिक जागरण संवाददाता ने मरीज का तीमारदार बनकर ट्रामा सेंटर की व्यवस्थाओं के बारे में पूछा। न्यूरो का उपचार कराने के लिए जब डाक्टर और सीटी स्कैन मशीन की जानकारी की तो पता चला कि यहां व्यवस्था है ही नहीं। यहां से जांच और इलाज के लिए मरीज दूसरे सेंटर पर भेजा जाता है। अग्निशमन यंत्र भी नजर नहीं आए।
उदाहरण दो – हमीरपुर रोड स्थित जय मां बारादेवी ट्रामा एंड मैटरनिटी सेंटर में भी सीटी स्कैन, एमआरआइ और एंबुलेंस की कोई सुविधा नहीं मिली। अस्पताल प्रबंधन के मुताबिक मरीजों को लाने-जाने के लिए किराये की एंबुलेंस बुलाते हैं। यहां लगे बोर्ड पर बीमारी और उसके स्पेशलिस्ट डाक्टर का नाम दर्ज था, लेकिन अंदर कोई डाक्टर नहीं था।
उदाहरण तीन – नौबस्ता हमीरपुर रोड में आरएस हास्पिटल एंड ट्रामा सेंटर एमडी विजय ङ्क्षसह भदौरिया के नाम पर चल रहा है। यहां से सीटी स्कैन के लिए मरीज को दूसरे सेंटर पर भेजा जाता है। एंबुलेंस भी किराये की बुलाई जाती है। यदि जरूरत पड़ती है तो मोटी फीस पर डाक्टर को भी बुला लिया जाता है, जबकि नियमत: ट्रामा सेंटर पर हर वक्त स्पेशलिस्ट डाक्टर का रहना जरूरी है।
ये हैं ट्रामा सेंटर के मानक –
एडवांस प्रकार की एबुलेंस की सुविधा आक्सीजन व ओटी स्तर की सुविधाओं से युक्त। न्यूरो, हड्डी और पेट के लिए अलग-अलग आपरेशन थियेटर होने चाहिए। आइसीयू की सुविधा अनिवार्य है। ट्रामा सेंटर पर कार्यरत स्टाफ शिक्षित व स्वास्थ्य विभाग के मानक पर खरे उतरते हों। ब्लड बैंक, एमआरआइ व सीटी स्कैन की सुविधा होनी चाहिए। वेंटिलेटर और माइनर ओटी के साथ आक्सीजन की उपलब्धता हो। हर समय सिर से पैर तक के उपचार व सर्जरी की सुविधा एक ही छत के नीचे उपलब्ध हो।
इनका ये है कहना-
यदि इतने बड़े स्तर पर ट्रामा सेंटर बिना मानक के चल रहे हैं तो यह बेहद चिंतनीय है। मैं खुद इसकी जांच करूंगा। मानक पूरे न करने वाले ट्रामा सेंटरों पर कार्रवाई की जाएगी। – डाक्टर नैपाल सिंह, सीएमओ।
Please Save
www.aakhirisach.com
आज एक मात्र ऐसा वेब न्यूज़ पोर्टल है जोकि “जथा नामे तथा गुणे के साथ” पीड़ित के मुद्दों को पुरजोर तरीके से उठा कर उनकी आवाज मुख्य धारा तक ले जा रहा है।
हाथरस केस से लेकर विष्णु तिवारी के मामले पर निष्पक्ष पत्रकारिता से आखिरी सच टीम के दिशा निर्देशक ने अपना लोहा फलाना दिखाना समाचार पोर्टल पर मनवाया है। सवर्ण, पिछड़ी एवं अल्पसंख्यक जातियों का फर्जी SC-ST एक्ट के मामलों से हो रहे लगातार शोषण को ये कुछ जमीन के आखिरी व्यक्ति प्रकाश में लाए हैं।
यह पोर्टल प्रबुद्ध व समाज के प्रति स्वयंमेव जिम्मेदारों के द्वारा चलाया जा रहा है जिसमे आने वाले आर्थिक भार को सहने के लिए इन्हे आज समाज की आवश्यकता है। इस पोर्टल को चलाये रखने व गुणवत्ता को उत्तम रखने में हर माह टीम को लाखों रूपए की आवश्यकता पड़ती है। हमें मिलकर इनकी सहायता करनी है वर्ना हमारी आवाज उठाने वाला कल कोई मीडिया पोर्टल नहीं होगा। कुछ रूपए की सहायता अवश्य करे व इसे जरूर फॉरवर्ड करे अन्यथा सहायता के अभाव में यह पोर्टल अगस्त से काम करना बंद कर देगा। क्योंकि वेतन के अभाव में समाचार-दाता दूसरे मीडिया प्रतिष्ठानों में चले जाएंगे। व जरूरी खर्च के आभाव में हम अपना काम बेहतर तरीके से नही कर पायेंगे।
UPI : aakhirisach@postbank
Paytm : 8090511743