अंत्योदय विचार हो साकार, मानवीयता का प्रदीप्त दीपक प्रज्ज्वलित रखे सरकार।
सिस्टम की बेलगाम कार्यप्रणाली के चलते सुविधाओं में हो रही असुविधा से सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाएं शारीरिक अक्षम लाभार्थी तक न पहुंचकर अंत्योदय विचार को बट्टा लगा रही हैं।
राष्ट्रीय राजधानी से सटे उत्तर प्रदेश के अतिविकसित माने जाने वाले जिला गौतमबुद्ध नगर में सीतापुर के एक गम्भीर बीमारी से ग्रसित आर्थिक, शारीरिक रूप से टूट चुके व्यक्ति अनिल श्रीवास्तव का मामला सामने आया है। विगत 10 वर्षों से गम्भीर बीमारी डायलिसिस का इलाज करवा रहा रोगी स्वयं परिवार का मुखिया है और उसके दो छोटे बच्चे हैं। ग्रेटर नोएडा के सूरजपुर के एक किराये के कमरे में रहकर लागभग एक दशक से डायलिसिस मशीन के सपोर्ट पर जिंदा रोगी परिवार ने गांव से लागभग 500 किलोमीटर कोरोना विभीषिका में तमाम उतार चढ़ाव झेले लेकिन शारीरिक अक्षमता से सरकारी औपचारिकताओं भर दौड़ धूप न कर पाने, सेटिंग गेटिंग के अभाव व आर्थिक कमजोरी से सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाएं उस गम्भीर रोगी के कमरे तक नही पहुंची। इतना ही नही काफी कोशिश कर जनसुविधा केंद्र के भी तीन चक्कर मारे लेकिन नतीजा सिफर रहा। अब तक रोगी का राशनकार्ड नही बन पाया है, प्रधानमंत्री आवास योजना आदि बड़ी बड़ी योजनाएं तो दूर की बात हैं। जगह जगह किसान सम्मान निधि के बड़े बड़े प्रचार करने वालों ने शायद यह विचार ही नही किया कि डिजिटली इस युग मे जो इलाज के चलते अपने वतन नही जा सकते उन्हें कैसे लाभान्वित किया जाय। रोगी के नाम जमीन का एक छोटा टुकड़ा जरूर सीतापुर के सिधौली तहसील क्षेत्र के गांव असुवामऊ में है लेकिन वह इलाज के चलते औपचारिकता भर गांव जा नही सकता कि लेखपाल, प्रधान की खुशामद कर अपने किसान होने का सम्मान ही पा सके।
वैसे तो माननीय प्रधानमंत्री, माननीय मुख्यमंत्री ने गरीबों के लिए जनहितकारी योजनाओं का अंबार लगा दिया है। कोरोनाकाल में क्षुधा तृप्ति में लगी सरकार ने सराहनीय प्रयास किये कि कोई व्यक्ति, परिवार भूंखा न सोए इस प्रेरणादायी कार्य मे कुछ सेवी भी आगे आये, लेकिन सेतु का कार्य करने वाली बीच के कुछ सिस्टम ने यकीनन सपना शतप्रतिशत साकार नही करने दिया होगा। जिस दिन इस सिस्टम में मानवीयता का भाव जागृत हो गया उस दिन भारत की खुशहाली को कोई रोक नही सकता। फिलहाल मांग करना चाहूंगा कि सुविधा में असुविधा को दूर करते हुए उस गम्भीर रोगी की जांच कर मानवीयता के आधार पर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी योजनाओं में प्राथमिकता दी जाय और संभव हो तो गम्भीर निःशुल्क इलाज की सहूलियत देकर उसे उसके घर पहुंचाया जाय या फिर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उस परिवार को छत मुहैया करवाई जाय।
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