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बहुचर्चित दरोगा प्रकरण की जांच सीबीसीआईडी को सौंप दी गई है- बस्ती

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बस्ती जिले के बहुचर्चित दरोगा प्रकरण की जांच सीबीसीआईडी को सौंप दी गई है। अब इस प्रकरण में दर्ज सभी मुकदमों की तफ्तीश सीबीसीआईडी करेगी। आईजी एके राय ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि केस से संबंधित सभी पत्रावली सीबीसीआईडी को सौंप दी जाएगी। इस मामले को लेकर पीड़िता पिछले दिनों लखनऊ में जनता दर्शन के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात करके पुलिस पर पक्षपात पूर्ण रवैया अपनाने और दबाव बनाने की शिकायत की थी।



उसका आरोप है कि मुकदमे की शामिल 12 पुलिस कर्मियों व राजस्व कर्मियों को तफ्तीश में बरी कर दिया गया। सीएम के निर्देश पर इन आरोपों की जांच करने यहां पहुंचे एडीजी ने पीड़िता व उसकी भाभी का बयान दर्ज किया था। साथ ही पीड़िता के भाई को जान का खतरा बताने के मद्देनजर उसे गनर मुहैया करा दिया गया था। प्रकरण का मुख्य आरोपित गोरखपुर जिले के चौरीचौरा थानांतर्गत सोनबरसा निवासी दरोगा दीपक सिंह को आईजी रेंज अनिल कुमार राय ने पुलिस सेवा से दस जुलाई 2021 को बर्खास्त कर दिया था।


सीओ खलीलाबाद के जिम्मे थी प्रकरण की तफ्तीश।


हाईप्रोफाइल केस की विवेचना पहले सीओ सिटी आलोक प्रसाद को सौंपी गई थी। कुछ दिनों बाद एडीजी गोरखपुर के निर्देश पर संतकबीरनगर के सीओ खलीलाबाद अंशुमान मिश्र को विवेचना ट्रांसफर कर दी गई थी। उन्होंने साक्ष्यों के आधार पर तैयार की चार्जशीट में मुख्य आरोपी बर्खास्त दरोगा दीपक सिंह को अभियुक्त बनाया है। अन्य आरोपितों के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य नहीं मिलने के कारण उनका नाम मुकदमे से निकाल दिया गया। सीजेएम कोर्ट में दाखिल चार्जशीट में 23 जुलाई 2021 को आरोपी बर्खास्त दरोगा को न्यायालय में हाजिर होने के लिए तलब किया है।

इन पर दर्ज हुआ था केस।

शिकायतकर्ता की तहरीर पर 20 मार्च 2020 को कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया था। जिसमें तत्कालीन चौकी प्रभारी सोनूपार दीपक सिंह के अलावा कोतवाली में ही तैनात रहे दीपक के भाई दरोगा राजन सिंह, तत्कालीन कोतवाल रामपाल यादव, तत्कालीन महिला थाना प्रभारी शीला यादव, दरोगा अभिषेक सिंह, आरक्षी संजय कुमार, आलोक कुमार, पवन कुशवाहा, अवधेश सिंह, महिला आरक्षी दीक्षा यादव, नीलम सिंह, हल्का लेखपाल शालिनी सिंह व कानूनगो सतीश के साथ दो-तीन अन्य अज्ञात पुलिस कर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। पहले जांच सीओ सिटी को सौंपी गई थी और बाद में इसे संतकबीरनगर जनपद स्थानांतरित कर दिया गया था।

31 मार्च 2020 को प्रकरण की हुई थी शुरूआत।

कोरोना की पहली लहर के दौरान 31 मार्च 2020 को इस प्रकरण की शुरूआत हुई। कोतवाली क्षेत्र की रहने वाली युवती ने सोनूपार चौकी प्रभारी रहे दीपक सिंह पर गंभीर आरोप लगाते हुए आला अफसरों से शिकायत की थी कि 31 मार्च 2020 को वह दादी की दवा लेने जा रही थी। तत्कालीन प्रभारी दारोगा दीपक सिंह ने उसे रोका और गाड़ी के कागजात चेकिंग के बहाने उसका मोबाइल नंबर ले लिया था। उसी दिन से दारोगा उसके मोबाइल नंबर पर फोन करने लगा था। युवती ने आपत्ति जताई तो पट्टीदारी के विवाद को आधार बनाकर उसके घरवालों पर फर्जी मुकदमे दर्ज कर दिए गए।

दो अगस्त हो होगी बर्खास्त दरोगा की पेशी।

45 दिन की अंतरिम जमानत की अवधि पूरी होने पर सीजेएम न्यायालय ने बर्खास्त हो चुके आरोपित दरोगा को 23 जुलाई को तलब किया था। शुक्रवार को इस मामले में उसे दो अगस्त तक की मोहलत दे दी गई है।
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