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एससी एसटी ऐक्ट में मिलने वाले मोटे मुवावजे के लिये तीन यादवों पर लगाया बलात्कार का अभियोग, आरटीआई से हुआ खुलासा।

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उत्तर प्रदेश के उन्नाव में एससी एसटी एक्ट व दुष्कर्म के एक मामले में तीन आरोपियों को हाई कोर्ट द्वारा जमानत देने का मामला अब तूल पकड़ रहा है। आरोपियों के परिजनों ने केस दर्ज कराने वाली लड़की व उसके परिवार पर अब कार्यवाई की मांग की है।

दरअसल अचलगंज थानाक्षेत्र के गांव निवासी अनुसूचित जाति की किशोरी के परिजनों ने पुलिस में तहरीर दी थी कि उनकी बेटी जोकि दसवीं कक्षा की छात्रा थी वह 11 दिसंबर 2019 को PKD इंटर कॉलेज भुमवार के लिए घर से निकली थी लेकिन घर नहीं पहुंची।

वहीं रहस्मय ढंग से 29 दिसंबर को कानपुर रेलवे स्टेशन पर किशोरी पिता को मिली जिसकी सुचना परिजनों ने पुलिस को दी। पुलिस ने अगले दिन कोर्ट में पीड़िता का बयान कराया जहां पीड़िता ने थानाक्षेत्र के रताखेड़ा निवासी धर्मेंद्र यादव, नितिन यादव व पुष्पेंद्र यादव पर स्कूल से अपहरण कर मुंबई ले जाकर 10 से 12 दिनों तक सामूहिक दुष्कर्म करने का आरोप लगाया। हालाँकि पीड़िता ने 161 में हुए बयान में बताया कि उसके पिता उसे 26 दिसंबर को रेलवे स्टेशन पर मिले थे। जोकि पिता के द्वारा दिए गए बयान से मेल नहीं खाते थे।

वहीं पुलिस ने भी चार्ज शीट दाखिल आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर दिया था। जिसकी वजह से जमानत याचिका कई बार खरिज हो चुकी थी। जमानत याचिका जिला न्यायालय से ख़ारिज होने के बाद आरोपियों के परिजनों ने लखनऊ स्थित हाई कोर्ट के वकील संजीव शुक्ल व ओपी तिवारी से संपर्क किया जिन्होंने मामले को समझने के बाद जन सूचना अधिकार के तहत डीआईओएस से किशोरी के स्कूल का ब्योरा मांगा। 2 जून 2020 को डीआईओएस ने अपनी रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट में उन्होंने कहा कि 17 व 18 दिसंबर को किशोरी स्कूल में पेपर देने के लिए उपस्थित रही थी। जिससे साफ़ हुआ कि आरोपियों के खिलाफ अपरहण का झूठा केस बनाया गया था। सभी पक्षों व तथ्यों को सुनने के बाद न्यायाधीश वीरेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने आरोपियों को जमानत पर रिहा कर दिया है।

परिजनों ने कहा एट्रोसिटी एक्ट में मिलने वाली राशि के लिए किया झूठा मुकदमा।

परिजनों ने मामले को उठाते हुए बताया कि झूठे मामले की वजह से तीनो बच्चो को 15 महीने तक जेल में रहना पड़ा। अगर वकील सूचना का अधिकार का उपयोग कर स्कूल से लड़की की उपस्थिति की जानकारी नहीं लेते तो उन्हें आजीवन कारावास की सजा झेलनी पड़ती। साथ ही इससे उनके परिवार की छवि समाज में धूमिल हुई है जिसकी भरपाई आर्थिक मदद से भी नहीं हो सकेगी।

लखनऊ बार एसोसिएशन ने की किशोरी पर मुकदमा दर्ज करने की मांग।

झूठे मुक़दमे में तीन युवको को फ़साने के मामले में लखनऊ बार एसोसिएशन के कनिष्ठ उपाध्यक्ष अधिवक्ता मनीष पाल ने किशोरी पर झूठी रिपोर्ट दर्ज कराने का आरोप लगा कार्रवाई की मांग की है।

(समाचार साभार सवर्ण तक से)

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