ब्यूरोक्रेसी पर राजनीति ज्यादा हावी, मायावती की पहली बात 3 जून 1995.
बीएसपी सुप्रीमो मायावती (Photo- Indian Express)
बहुजन समाज पार्टी (BSP) सुप्रीमो मायावती साल 1995 में पहली बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी थीं। हालांकि उनकी सरकार लंबे समय तक नहीं चल पाई थी। उस समय मायावती की उम्र सिर्फ 39 साल थी। अपने कार्यकाल में उन्होंने कई बड़े फैसले लिए थे। मायावती के सीएम बनते ही सूबे के IAS-IPS लखनऊ स्थित सीएम ऑफिस पहुंच गए थे और नए सीएम के ऑर्डर का इंतजार करने लगे थे।
साल 2005 में मायावती ने वरिष्ठ पत्रकार शेखर गुप्ता के साथ इंटरव्यू में इसका विस्तार से जिक्र किया था। शेखर गुप्ता उनसे जानना चाहते थे कि वह सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रही थीं, लेकिन उनका अचानक राजनीति में आना कैसे हुआ? इसके जवाब में मायावती ने खुद एक किस्सा सुनाया था। उन्होंने कहा था- ‘मुझे भारत की राजनीति और ब्यूरोक्रेसी के बारे में पहले ज्यादा नहीं पता था। तब तक मुझे लगता था कि IAS अधिकारी बनकर मुझे अपने समाज का भला करना चाहिए।’
मायावती के आदेश का करने लगे थे इंतजार
तब मायावती ने बताया था, ‘ब्यूरोक्रेसी पर राजनीति बहुत ज्यादा हावी हो गई है। मैंने फैसला किया कि जब तक मैं राजनीति में कामयाब नहीं होती हूं तब तक मैं अपने समाज के लोगों का भला नहीं कर सकती। 3 जून 1995 को जब मैं पहली पहली बार मुख्यमंत्री बनी तो इसका एहसास हुआ। एक नहीं बल्कि कई IAS-IPS ऑफिसर मेरे पास आए और कहा कि मुख्यमंत्री जी आप हमें आदेश दीजिए। हम आपकी प्राथमिकता के आधार पर ही आगे काम करेंगे।’
IAS बनकर नहीं कर पाती काम।
बकौल मायावती, सभी IAS-IPS अधिकारियों ने कहा कि हम सभी प्राथमिकताओं को ही पूरा करेंगे। एक ही नहीं कई अधिकारी मेरे सामने कॉपी-पेन लेकर खड़े थे। मैंने उन्हें कहा कि बहुजन समाज के लिए ही हमारी सरकार को काम करना है।
अगर मैं सीएम न बनकर IAS बन जाती तो अपने समाज का उतना भला भी नहीं कर पाती। इतनी उम्र में तो मैं कलेक्टर तक भी नहीं बन पाती। अब मैं अपने समाज के लोगों के जीवन को बेहतर करने के लिए बहुत काम कर सकती हूं। बता दें, साल 2007 के चुनाव में पूर्ण बहुमत मिलने के बाद एक बार फिर मायावती सीएम बनी थीं।
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