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2019 की घटना, 2021 में एफआईआर अदालती हस्तक्षेप के बाद, जानिए मैनपुरी की हत्या के राज का सच।

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विज्ञापन द्वारा अजय प्रजापति 7518148156

              इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जवाहर नवोदय विद्यालय मैनपुरी की छात्रा के कथित खुदकुशी मामले में सख्त रुख अपनाया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएन भंडारी तथा न्यायमूर्ति एके ओझा की खंडपीठ ने सामाजिक कार्यकर्ता महेंद्र प्रताप सिंह की जनहित याचिका पर पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) मुकुल गोयल को प्रयागराज में एक दिन रुकने का आदेश देते हुए कहा था कि गुरुवार 16 सिंतबर की सुबह 10 बजे वह तथा एसआइटी के सदस्य पूरी जानकारी के साथ हाजिर हों।

        16 सितंबर 2019 को भोगांव के नवोदय विद्यालय में फांसी पर लटकी मिली छात्रा की मौत पहेली बन चुकी है। हाईकोर्ट में दाखिल जनहित याचिका पर प्रदेश के डीजीपी सहित तीन जिलों के एसपी बुधवार को पेश हुए तो ये मामला फिर से चर्चा का विषय बन गया। महेंद्र प्रताप सिंह की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एम एन भंडारी तथा न्यायमूर्ति ए के ओझा की खंडपीठ ने डीजीपी से कहा है कि तत्कालीन एसपी को हटाया जाए या जबरन सेवानिवृत्त करें। कोर्ट ने पंचनामे की  वीडियो रिकार्डिंग देखी। कोर्ट ने पुलिस के रवैये पर कड़ी नाराजगी जाहिर की और डीजीपी को पूरी तैयारी के साथ कर कोर्ट में आने का निर्देश दिया। कहा कि कल तक प्रयागराज ना छोड़े। बुधवार को प्रकरण की सुनवाई के दौरान डीजीपी मुकुल गोयल भी तलब हुए थे। हाई कोर्ट ने उनसे पूछा कि आपने एफआइआर पढ़ी है। नहीं पढ़ी है तो यहीं पढ़िए। डीजीपी ने एफआइआर पढ़ी और उसके बाद भी संतोषजनक जवाब न दे सके तो कोर्ट ने नाराजगी जताई। खंडपीठ ने कहा कि डीजीपी को केस की पृष्ठभूमि तक का पता नहीं। ऐसे में अदालत के पास कल तक के लिए सुनवाई टालने के अलावा अन्य विकल्प नहीं। कोर्ट ने पूछा है कि विवेचना कर रही पुलिस पर क्या एक्शन लिया गया? एसपी मैनपुरी छह माह पहले सेवानिवृत्त हो गए, उनके खिलाफ विभागीय अनुशासनात्मक कार्यवाही पूरी क्यों नहीं की जा सकी। कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता अमरेंद्र नाथ सिंह को याची का पक्ष रखने के लिए कहा है।

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बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए था एसपी को

         खंडपीठ ने तल्ख टिप्पणी की कि एसपी का तबादला करने के बजाय बर्खास्त या जबरन सेवानिवृत्त किया जाना चाहिए था। अदालत ने छात्रा के पंचनामे की वीडियो रिकार्डिंग देखी। कहा कि एफआइआर दर्ज हुए लगभग तीन माह बीत चुके हैं और पुलिस आरोपितों का बयान तक नहीं ले सकी है।

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पोस्टमार्टम में छेड़छाड़ का अंदेशा जताया

     खंडपीठ ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट देखने से लगता है कि उसमें छेड़छाड़ की गई है। गले में फांसी के निशान संदेह पैदा कर रहे हैं। राजस्थान के एक केस में पैसे लेकर पोस्टमार्टम रिपोर्ट बदलने का हवाला देते हुए आशंका जताई कि इस मामले में भी ऐसा संभव है। कोर्ट ने सवाल किया कि यदि ऐसा किसी पुलिस अधिकारी की बेटी के साथ हुआ होता तो क्या करते? कोर्ट ने डीजीपी से कहा कि कार्रवाई करें, नहीं तो अदालत कड़ा कदम उठाएगी।

क्या है पूरा मामला?

           जवाहर नवोदय विद्यालय में मैनपुरी निवासी कक्षा 11 की छात्रा का शव फांसी पर लटका मिला था। इस मौत को दुष्कर्म के बाद हत्या बताया गया और परिजनों की तहरीर पर भोगांव कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया गया। भोगांव पुलिस ने मृतका के पिता की तहरीर पर नवोदय की प्रधानाचार्या सुषमा सागर, वार्डन विश्रुति, स्कूल के छात्र अजय पुत्र जयप्रकाश निवासी ललूपुर व उसके अन्य साथियों के खिलाफ पुलिस ने हत्या, दुष्कर्म, पॉक्सो एक्ट की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था। पुलिस ने जांच के दौरान 2 नवंबर 2019 को घटना को आत्महत्या मान लिया और हत्या की धारा हटा दी। अज्ञात आरोपी भी हटा दिए।

15 सितंबर 2019 को नामजदों ने दी थी मारने की धमकी।

              पिता ने शिकायत की थी कि 12 सितंबर को पुत्री से मिलने उसकी मां स्कूल गई तो उसने शिकायत की थी कि प्रधानाचार्या सुषमा सागर, विद्यालय का छात्र अजय व उसके साथी उसे परेशान करते हैं और जान से मारने की धमकी देते हैं। पत्नी ने यह शिकायत प्रधानाचार्या से करने की कोशिश की तो उन्होंने मिलने से इनकार कर दिया। 15 सितंबर को पुत्री ने फोन से मां को जानकारी दी कि उपरोक्त लोग उसे फिर मारने की धमकी दे रहे हैं। 16 सितंबर की सुबह प्रधानाचार्या सुषमा सागर, हॉस्टल वार्डन, विद्यालय के छात्र अजय व उसके साथियों ने अनुष्का को पीटा और उसे फांसी पर लटका दिया, जिससे उसकी मौत हो गई।

मैनपुरी पुलिस ने छात्रा की हत्या हुई ये कभी नहीं माना।

             छात्रा की संदिग्ध हालात में मौत ने मैनपुरी पुलिस की नींद उड़ा रखी है। डीजीपी के तलब होने के बाद इस मामले में फिर से गर्मी आ गई है। हाईकोर्ट की नाराजगी सामने आने के बाद एक बात तो तय हो गई है कि इस मामले में बड़े स्तर पर कार्रवाई होगी। खास बात ये है कि मैनपुरी पुलिस ने छात्रा की मौत को कभी हत्या माना ही नहीं। पुलिस ने घटना को आत्महत्या करार दिया और रेप की बात को भी स्वीकार नहीं किया। हालांकि हत्या की धारा हटाने के बाद दुष्कर्म की धारा पर विवेचना आज भी पुलिस कर रही है।  मामले को आज दो वर्ष पूरे हो गए हैं। 16 सितंबर की सुबह छात्रा का शव नवोदय विद्यालय के एक कक्ष में लटका मिला था। इस घटना के बाद परिजनों का आक्रोश फट पड़ा। इमरजेंसी में ही प्रधानाचार्य सुषमा सागर को घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया गया। स्कूल के एक छात्र को भी इस घटना में आरोपी बनाया गया है। इस मामले में परिजनों ने नगर पालिका परिसर में भूख हड़ताल की थी। उनकी मांग थी कि इस मामले को सीबीआई को सौंपा जाए। तत्कालीन डीएम प्रमोद उपाध्याय और एसपी अजय शंकर राय ने सीबीआई जांच की संतुति किए जाने की जानकारी देकर भूख हड़ताल खत्म कराई थी।

सीबीआई जांच के स्थान पर बनाई गई एसआईटी।

स्थानीय प्रशासन ने भले ही सीबीआई जांच की बात कही लेकिन शासन ने इस पूरे प्रकरण को एसआईटी के हवाले कर दिया। एसआईटी में शामिल आईजी कानपुर मोहित अग्रवाल, एसपी मैनपुरी अजय कुमार पांडेय तथा एसटीएफ के सीओ श्यामकांत को शामिल किया गया। एसआईटी अब तक इस प्रकरण में 150 से अधिक लोगों के डीएनए की जांच करा चुकी है। पिछले दिनों 10 अन्य लोगों के डीएनए की जांच कराई गई, लेकिन सारी रिपोर्ट नैगेटिव आयी हैं।

राष्ट्रवादी शेर
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तीन जिलों के एसपी को भी किया गया है तलब

          अब जनहित याचिका पर प्रदेश के डीजीपी, तत्कालीन मैनपुरी के एसपी और वर्तमान में हरदोई के एसपी अजय कुमार पांडेय, तत्कालीन एसपी मैनपुरी और वर्तमान में उन्नाव के एसपी अविनाश कुमार पांडेय तथा वर्तमान एसपी मैनपुरी अशोक कुमार राय को हाईकोर्ट ने तलब किया तो ये मामला फिर से गरमा गया है।

बुधवार की फटकार के बाद गुरूवार को डीजीपी मुकुल गोयल पूरी तैयारी के साथ कोर्ट में पहुंचे और अपना पक्ष रखा, हाईकोर्ट ने डीजीपी को आदेश दिया, कि एक महीने में इस पूरे मामले की जांच पूरी कर रिपोर्ट उनके सम्मुख पेश करें। वहीं इस मामले में अब तक एएसपी, सीओ समेत पांच पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया जा चुका है। डीजीपी ने इसकी जानकारी हाईकोर्ट को आज दी ।फ़िलहाल गुरूवार की सुनवाई खत्म हो गई।

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हाई कोर्ट ने क्या कहा?

           पूरे मामले की सुनवाई करते हुए आज हाईकोर्ट ने डीजीपी को निर्देश दिया कि 1 महीने के अंदर इसकी पूरी जांच पूरी करें। हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले को डीजीपी मुकुल गोयल मॉनिटर करें। साथ ही मैनपुरी के जिला जज भी मॉनिटरिंग करेंगे। कोर्ट ने कल तत्कालीन मैनपुरी के एसएसपी पर कड़ी नाराजगी जाहिर की थी और उनके ख़िलाफ़ कड़ा एक्शन लेने की बात कही थी। अब कायस  लगाए जा रहे हैं कि कोर्ट की कड़ी फटकार के बाद दो अफसरों पर जिन गाज गिरी है। उसके लपेटे में अभी कुछ और अधिकारी भी आ सकते हैं जिसमें 2 आईपीएस अधिकारियों की चर्चा है।

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