पंजाब नवनियुक्त मुख्यमंत्री को बधाई दे, आसंसस नेतृत्व में सवर्णों ने कर डाली सवर्ण आयोग की मांग, पंजाब व देश के निर्भीक पत्रकारिता संगठनों नें प्राथमिकता से किया प्रसारण।
वाराणसी (कार्यालय सवांदाता) पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के अस्तिफे के बाद आए राजनीतिक भूचाल के बाद कोंग्रेस हाईकमान ने प्रदेश में अनुसूचित जाति से संबंधित विधायक को मुख्यमंत्री बनाने का फैंसला लिया था। जिसमे अंतिम मोहर लगते हुए पंजाब कोंग्रेस के प्रभारी हरीश रावत ने ट्वीट करते हुए सरदार चरणजीत सिंह चन्नी को नए मुख्यमंत्री बनाने का फैंसला सुना दिया था।
आज मुख्यमंत्री की शपत लेने के बाद सरदार चारजीत सिंह चन्नी ने ठीक से ऑफिस भी नही संभाला होगा कि देश मे सामन्यवर्ग के हितों की लड़ाई लड़ती आ रही आरक्षण संघर्ष समन्वय समिति ने नवनियुक्त मुख्यमंत्री से पहल पर सामन्यवर्ग से संबंधित परिवारों के लिए सवर्ण आयोग की मांग कर डाली।
हालांकि समिति ने उक्त मांग एक ई मेल द्वारा की है, लेकिन देखते ही देखते उक्त खबर शोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गई।
इस संबन्ध में समिति के राष्ट्रीय महासचिव व पंजाब प्रदेश प्रभारी साहिल गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि समिति को इस बात की खुशी है कि पंजाब में पहली बार अनुसूचित जाति से संबंधित विधायक को मुख्यमंत्री बनाया गया है। गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता अभयकांत मिश्रा व राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अधिवक्ता ए के पांडेय के दिशा निर्देश पर पंजाब के नवनियुक्त मुख्यमंत्री को ईमेल द्वारा बधाई संदेश भेजा गया।
जिसका नेतृत्व पंजाब प्रदेश अध्यक्ष अश्वनी शर्मा ने किया।
मेल में समिति द्वारा स्वीकार किया गया कि सवर्ण सांसदों सहित सवर्ण नेताओं ने सामन्यवर्ग की तरफ कभी ध्यान ही नही दिया। इतिहास गवाह है कि राजनीतिज्ञों ने हमेशा ही हिंदुओं को आपस में बांटने की ही राजनीति की है। अब पंजाब में अनुसूचित जाति से संबंधित मुख्यमंत्री बनने से जहां सभी वर्गों की सुनवाई की उम्मीद जगी है, वहीं सामाजिक समरसता में भी नई जान आई है।
साहिल गुप्ता ने कहा कि ई मेल संदेश में मुख्यमंत्री महोदय को अवगत करा दिया गया है की प्रदेश में आरक्षण व ScSt एक्ट के तहत सामन्यवर्ग के साथ अन्याय होता आ रहा है। देश भर में सामन्यवर्ग के लोगों पर किए गए बहुत से ScSt के पर्चे झूठे साबित हो रहे हैं, लेकिन सामन्यवर्ग की कोई सुनवाई नही हो रही है।
साहिल गुप्ता ने स्पष्ट किया कि समिति को ScSt एक्ट या आरक्षण में कोई बदलाव नही चाहिए। बल्कि समिति तो खुद यह मानती है, कि कुछ सामान्य वर्ग के अमीरों के पैसे के दम पर ही सामन्यवर्ग के मध्यमवर्गीय व गरीबों पर ScSt एक्ट लगवा दिया जाता है। लेकिन सामन्यवर्ग के पास कोई अपना आयोग नही है, जहां सामन्यवर्ग अपने साथ हुई धक्केशाही की दुहाई दे सके।
गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि नवनियुक्त मुख्यमंत्री से जिस सवर्ण आयोग की मांग की गई है उक्त सवर्ण आयोग अधिकार सम्पन्न आयोग हो, जिसको सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के बराबर ताकत हो। सवर्णों (सामन्यवर्ग) के साथ होने वाले किसी भी प्रकार के विभेद पर संज्ञान ले सके और उच्च न्यायालय तक को कार्यवाही के आदेश दे सके। साथ ही आयोग को गरीब सवर्णों को संरक्षण देने तथा उँन्हे वित्तीय सहायता प्रदान करने का भी अधिकार हो । जो सवर्णों की आस्थाओं के प्रतीकों, मन्दिरों, मूर्तियों, तीर्थों, धर्मग्रन्थों, गौ-ब्राह्मण, साधु-संत के अनादर और मजाक बनाने पर प्रभावी कार्यवाही कर सके, और सनातनधर्म व हिन्दुराष्ट्र के प्रतीकों की रक्षा में प्रभावी सिद्ध हो सके। आयोग की इकाइयां राष्ट्र, प्रदेश और जिला स्तर पर हों तथा आयोग अपने उद्देश्यों की पूर्ति हेतु स्वैच्छिक संगठनों का सहयोग ले सके।
श्री गुप्ता ने कहा कि उक्त आयोग सामान्य वर्ग के लोगों पर 70 साल से लग रहे जख्मों पर एक छोटी सी मरहम का काम करेगा, लेकिन इसे पूर्ण हक़ भी नही माना जा सकता। साहिल गुप्ता ने कहा कि हमे पूरी उम्मीद है कि प्रदेश के नए मुख्यमंत्री सवर्ण आयोग की मांग को मान कर राज्य के सामन्यवर्ग के साथ न्याय करेंगे। यदि ऐसा ना हुआ तो मजबूरन समिति को सामन्यवर्ग को साथ लेकर संघर्ष का रास्ता अपनाना होगा। जिसकी सारी जिम्मेदारी पंजाब सरकार की रहेगी।
आईसीआईजे ने ली विशेष रुचि।
उधर मेल के स्क्रीनशार्ट समिति के ट्विटर हैंडल पर चढ़ते ही ICIJ ने विशेष रुचि दिखाई। ICIJ ने एक ट्वीट द्वारा समिति के राष्ट्रीय संयोजक अधिवक्ता अभयकांत मिश्रा से आज की कार्यवाही की जानकारी एकत्रित की। इस संधर्भ में जब icij के चीफ डॉ. आनंद कुमार पांडेय से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि उक्त घटना अपनेआप में एक रोचक व ध्यान केंद्रित करने वाली घटना है।