स्वाती की दिव्यांगता बनी उसकी उन्नति में बाधा, सरकारी दिव्यांगता इमदाद कहां व किसके लिये, शायद भारतीय लोकतंत्र में योग्य होना ही विकास की बाधा।

अक्सर कहा जाता है कि जीवन में पढ़ना-लिखना बहुत जरूरी है, क्योंकि इसी से एक बेहतर जीवन मिलता है। लेकिन कुछ लोगों के लिए परिस्थितियां इतनी विपरीत हो जाती हैं, कि उनकी शिक्षा भी उनके काम नहीं आती। इस कारण उन्हें जिंदगी के थपेड़े झेलने के लिए मज़बूर होता पड़ता है। आज के इस डिजिटल और आर्थिक युग में सभी अच्छी शिक्षा ग्रहण करना चाहते हैं, अच्छी तकनीक सीखना चाहते हैं, कंप्यूटर ऑपरेट करना चाहते हैं, और इन सब के माध्यम से अंत में एक बेहतर जॉब प्राप्त कर अपने सुखमय जीवन जीना चाहते हैं। लेकिन तमाम अकादमिक और तकनीकी शिक्षा ग्रहण करने के बाद भी अगर आपको जॉब नहीं मिले और जीवन यापन के लिए आप भीख मांगने पर मजबूर हो जाएं तो कैसी स्थिति उत्पन्न होगी?
इस स्थिति की कल्पना मात्र से ही रूह कांप उठती हैं, लेकिन यह घटना सच में घटित हुई है। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में एक कंप्यूटर साइंस से ग्रेजुएट महिला अस्सी घाट पर भीख मांगने को मजबूर है। उस महिला को न केवल कंप्यूटर अच्छे से ऑपरेट करने आता है, बल्कि वह अच्छे और फर्राटेदार इंग्लिश भी बोलती है। अच्छे कंपनियों में जॉब भी करना चाहती है। मेहनत भी करना चाहती है। इसके बावजूद उसको नौकरी नहीं मिलती और उसे भीख मांगने पर मजबूर होना पड़ता है। इसके लिए कसूरवार कौन है? वह महिला…जिसने कंप्यूटर से स्नातक किया या वह समाज, जिसमे इतनी जनसंख्या बढ़ गई कि वहां एक आम भारतीय को गुजर बसर करना भारी पड़ रहा है, या वह सरकार जो समय रहते नौकरी का अवसर या रोजगार नहीं उत्पन्न कर पाई?
अभी जो हम बताने जा रहे हैं, यह एक उस लाचार महिला की कहानी है जो शायद इस सिस्टम पर सवाल है। महिला का नाम स्वाती है। स्वाती बनारस के अस्सी घाट पर भीख मांगने का काम करती हैं, लेकिन यह काम भी वह नित्य प्रतिदिन निष्ठा से करती है। यानी प्रतिदिन अपने समय से स्थान पर बैठ जाती हैं, और दैनिक तरीके से भीख मांगने का काम करती हैं।
पिछले 3 सालों से लगातार अस्सी घाट पर भीख मांगने वाली स्वाती, पिछले दिन की तरह ही भीख मांग रही थीं। ऐसे में उस समय वहां बीएचयू में पढ़ने वाले छात्र अवनीश पहुंचे। अवनीश ने भीख के रूप में उन्हें कुछ पैसे देना चाहा लेकिन स्वाती ने इसे अस्वीकार करते हुए बोलीं- हमें भीख में पैसे नहीं नौकरी चाहिए इसके बाद अवनीश ने स्वाती का वीडियो रिकॉर्ड किया और उसकी समस्या को फेसबुक पोस्ट पर लिख कर डाल दिया।
पहले आप यह जान लीजिए कि अवनीश ने पोस्ट में क्या लिखा है, फिर वह वीडियो दिखाएंगे। फेसबुक पोस्ट में अवनीश लिखते हैं “अस्सी घाट पर रह रही यह महिला स्वाती है, जो कि कम्प्यूटर साइंस में स्नातक है । एक बच्चे को जन्म देने के बाद इनके शरीर का दाहिना हिस्सा पैरालाइज हो गया है। यह तीन साल पहले वाराणसी आयी थी और यही रह रही है। यह मानसिक रुप से पूर्णतः स्वस्थ है, पर शरीर के दाहिने हिस्से के लाचारी वस घाटों पर ही रहती हैं।

इन्हें रिहैब की नही अपितु आर्थिक सहायता की आवश्यकता है जो निरंतर हो। इन्होंने मुझसे पैसे नही चाहिये पर कहा मुझे कोई काम दिलाओ। स्वाती टाइपिंग कर सकती है और कम्प्यूटर सम्बन्धी अन्य कार्य भी। अंग्रेजी फर्राटेदार है और शानदार व्यवहार। स्वाती बेहतर जिंदगी की हकदार है, कोशिश करिये आप सभी और हम स्वाती की मदद करिये।” अब वो वीडियो देखिए। उक्त वीडियो देखनें के लिये शारदा अविनाश त्रिपाठी की फेसबुक टाईम लाइन पर यहां देखें। देखनें व शारदा अविनाश त्रिपाठी की टाईम लाइन पर जाकर बेहतर टाईम लाइन बनानें के फोटो पर क्लिक करें।
और उसकी श्रंखला को देखिये स्वेच्छानुसार कदम बढ़ाइए।
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