विश्वनाथ दरबार से धाम से कारीडोर तक के सफर में सनातन संस्कृति की विरासत विश्वनाथ दरबार का अस्तित्व समाप्त। सनातन संस्कृति के विनाश के लिये तथाकथित हिन्दुत्व वादी सरकार द्वारा इंगलैण्ड के कांट्रैक्टर नियुक्त।
जनना शौच, मरणा शौच, के संदर्भ में जब अपचारी, कर्मचारी, पुजारी श्रीकांत मिश्रा जी को
धर्म शास्त्र में वर्णित सूतक और पातक में मंदिर जाना, पूजा, पाठ, सामग्री स्पर्श, नमस्कार प्रणाम आदि पूर्णतया वर्जित है, जब यह सूतक होने और मा. मोदी जी की गरिमा का भी भान है, तो सूतक में काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा, करने का फल क्या?
काशी के सांसद माननीय @narendramodi
जी आपने काशी की हजारों वर्षों की परंपरा, पौराणिक इतिहास,काशी की संस्कृति आस्था को सुरक्षित रखते हुए विकास का कार्य करवाने का वचन दिया था । क्या एक शिव भक्त मोदी जी के वचन और एक राजनेता भक्त के वचन में अंतर नही?? लिंक https://t.co/snTdphYCUu pic.twitter.com/TWHLIpxyiy— अजय शर्मा (@Ajaysha96010178) December 17, 2021
काशी के सांसद माननीय नरेन्द्र मोदी
जी आपने काशी की हजारों वर्षों की परंपरा, पौराणिक इतिहास,काशी की संस्कृति आस्था को सुरक्षित रखते हुए विकास का कार्य करवाने का वचन दिया था। क्या एक शिव भक्त मोदी जी के वचन और एक राजनेता भक्त के वचन में अंतर नही??
जनना शौच,मरणा शौच के संदर्भ में जब अपचारी/कर्मचारी,पुजारी श्रीकांत मिश्रा को
धर्म शास्त्र में वर्णित सूतक और पातक में मंदिर जाना,पूजा,पाठ,सामग्री स्पर्श नमस्कार प्रणाम आदि वर्जित होने और मा.मोदी जी की गरिमा का भी भान है,तो सूतक में काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा,करने का फल क्या? pic.twitter.com/rQKzBLoIQw— अजय शर्मा (@Ajaysha96010178) December 19, 2021
धार्मिक प्रसाद भगवान को चढ़ता है.. राजनैतिक प्रसाद मीडिया में फोटो तक य फिर चमचों तक।
काशी में दीपावली के अगले दिन होने वाले अन्नकूट का प्रसाद इस बार नहीं बंटा लेकिन चुनावी लड्डू घर घर बांटा जा रहा है…..। प्रसाद बोल के!
जब बाबा को भोग ही नहीं लगा तो फ़िर प्रसाद कैसा?
भोली भाली जनता के साथ ऐसा छल क्यों?
धार्मिक प्रसाद भगवान को चढ़ता है.. राजनैतिक प्रसाद मीडिया को।
काशी में दीपावली के अगले दिन होने वाले अन्नकूट का प्रसाद इस बार नहीं बंटा लेकिन चुनावी लड्डू घर घर बांटा जा रहा है.. प्रसाद बोल के!
जब बाबा को भोग ही नहीं लगा तो फ़िर प्रसाद कैसा?
भोली भाली जनता के साथ ऐसा छल क्यों? pic.twitter.com/rjkDT0A1nm
— Rishi Jhingran #save_kashi (@jrishi7) December 18, 2021
व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी वाले सन्त हैं, सरकारी शंकराचार्य के सरकारी चेले। काशी के विध्वंस में इनका भी बहुत बड़ा हाथ है.. एक ठो पद अउरी 2 ठो पुरस्कर के लिए अपने कर्तव्य और धर्म से विमुख हो गए।
भाजपा के स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती जी के अनमोल वचन सुनकर में धन्य हुआ
अब मुझ शिवभक्त के मन के प्रश्न_
यदि मां गंगा_भगवान शंकर की पत्नि हैं,तो शांतनु कौन?2यदि मां गंगा का शिव से मिलन काशी में,तो जटाओं में कौन?3मां गंगा के पति शिव तो माता पार्वती के कौन?
इनके पिछे शंकराचार्य कौन? pic.twitter.com/XsY3I63xuG— अजय शर्मा (@Ajaysha96010178) December 18, 2021
एक ब्लूटिक और फ़र्ज़ी फॉलोवर क्या मिल गए, अपराध का लाइसेंस मिल गया, रोज- रोज हमारे देवी- देवताओं का अपमान कब तक सहेंगे हम, उत्तर प्रदेश पुलिस कृपया इस दिलीप मंडल नामक अपराधी पर कठोर कार्यवाही करें यह माता सरस्वती और भगवान परशुराम जी भगवान के विरुद्ध अमानवीय एवं अपमानजनक टिप्पणी कर रहा है।
एक ब्लूटिक और फ़र्ज़ी फॉलोवर क्या मिल गए, अपराध का लाइसेंस मिल गया, रोज- रोज हमारे देवी- देवताओं का अपमान कब तक सहेंगे हम, @Uppolice कृपया इस दिलीप मंडल नामक अपराधी पर कठोर कार्यवाही करें यह माता सरस्वती और भगवान परशुराम जी भगवान के विरुद्ध अमानवीय एवं अपमानजनक टिप्पणी कर रहा है। pic.twitter.com/zrwObuNCDT
— परशुराम भक्त (@DevBrahmarshi) December 18, 2021
भारतीय संस्कृति के संविधान मनुस्मृति में कहा गया है कि यदि ब्राह्मण की वृत्ति ब्रह्मण्य कर्म से न चल सके तो कृषि कर्म करें,पर नौकरी (सेवा कर्म) न करें। परन्तु आज शिक्षित उच्च पदस्थ होकर ब्राह्मण ही राजसत्ता की प्रसन्नता हेतु धर्म शास्त्रीय वचनों का गला घोंट रहे है..
मनुस्मृति पर मनुवादी पार्टी के मुखिया का दृष्टिकोण
मनुस्मृति अधूरी नहीं चल सकती।मनुस्मृति को पलटकर जब मोदीजी ने पंडों का पैर न धोकर केवल सफाई कर्मियों का पैर धोकर मनुस्मृति का पूर्ण समापन कर दिया तब उसकी चर्चा व्यर्थ है। मनुस्मृति का मलवा तब तक शेष था जब तक डा राजेंद्र प्रसाद ब्राह्मणों का चरण धोकर उसका पान करते थे। नेहरू ने हिंद नेहरू ने हिंदू कोड बिल पास कर यनुस्मृति का मलवा भी साफ कर दिया। मोदी जी नें सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटकर एस सी ऐक्ट को करोड़ गुना कडा़ कर मनुस्मृति और ब्राह्मण को पुरातत्व विभाग की चीज बना दिया।
https://twitter.com/Ajaysha96010178/status/1471815562837725188?t=rpufjxw-cNCBKYU9BP0w6A&s=19
कहां गया काशी विश्वनाथ मंदिर? कहा गया विश्वनाथ दरबार? क्या है विश्वनाथ दरबार 5 लाख वर्ग फिट में? ……. काशी के सांसद देश के माननीय यशस्वी प्रधानमंत्री श्रद्धेय नरेंद्र मोदी जी …. क्या 13/12/2021 को मां गंगा एवं विश्वनाथ पूजा में कोई दोष .. स्मरण नही सत्य का पता करे। था …………. जब खेत ही शुद्ध नहीं होगा, तो फसल कहां से शुद्ध होगी? जब जल ही शुद्ध नहीं होगा, तब सामग्री शुद्ध नहीं होगी? जब धर्मगुरु / विद्वान शुद्ध नही होगा, तो शास्त्रों के वचन कैसे शुद्ध होगे? जब देवता का मंदिर भ्रष्ट होगा, तो मन कैसे शुद्ध होगा? मोदी जी आपने सत्य कहा काशी में सिर्फ देवो के देव महादेव की चलती हैं …. लेकिन महादेव मौन है? बाबा के एक भक्त से अपने कुछ सवालों के उत्तर ले और कृपया हो सके तो कुछ प्रश्नों के सत्य का पता कर उजागर करे।
आपने शिलान्यास समय पूछा / बोला था …… 1..आपने कहा 40 से ऊपर मंदिर मिले ….. आप बड़े हैं, मान लिया मिले ……. जबकि वह गलियों में अपने मूल स्थान पर पहले, से विराजित थे जहाँ उनका भक्त दर्शन पूजन करते थे।
2 … माननीय मोदी जी आपने कहा पिछली सरकारों ने इन मंदिर के लिए क्या किया … … अब विगत 40 वर्षो से दक्षिणी के विधायक बीजेपी के लगभग 30 वर्षो से सासंद बीजेपी के नगर निगम मेयर बीजेपी क्षेत्र के सभासद बीजेपी … अब आप बोले हम पूछे किस्से ….. क्योंकि हमने वोट तो आपकी ही पार्टी को दिया …….. लेकिन अब दूसरे को देकर पूछते है?
3 … काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए किसी सरकार ने क्या किया … काशी विश्वनाथ मंदिर 1983 से मंदिर अधिग्रहण अधिनियम के पारित होने के साथ ही मंदिर न्यास द्वारा समय समय पर विस्तारीकरण के संदर्भ में अनेक भवनों की खरीद बाबा के नाम, नवनिर्माण व सौंदर्यीकरण को करते हुए न्यास में समाहित कर चल – अचल और नकद में उत्तरोत्तर वृद्धि करते हु 2017 तक लगभग 400 करोड़ रुपया सुरक्षित रखा था, जिसमें किसी भी सरकार द्वारा भक्तों के चढ़त के धन व संपत्ति के कार में कोई रीति – नीति विरुद्ध कोई कार्य नहीं किया गया, जिससे बाबा के लाखों भक्तों की आस्था व श्रद्धा की भावना को कोई ठेस पहुंच सके।
क्या उपरोक्त बाबा की धन संपत्ति आज सुरक्षित हैं? यहां तक कि जब पिछली सरकार के समय जाने अंजाने डीनू मारिया ( ईसाई ) फिल्म एक्टर की फार्म को काशी विश्वनाथ मिं प्रसाद वितरण और सीसीटीवी लाइव का टेंडर हुआ। जिसका उद्घाटन भी पूर्व माननीय मुख्यमंत्री जी से कराया गया था। लेकिन बाबा के भक्तो के विरोध और हमारी आस्था भावना को ध्यान में रखते हुऐ, पूर्व मुख्यमंत्री जी ने न्यास अध्यक्ष जी से वार्ता कर तत्काल टेंडर निरस्त किया था।
2 माननीय मोदी जी 2018 अधिनियम जारी होने पश्चात् 1983 अधिनियम को 2 वर्ष के निष्क्रिय कर 2 दो वर्ष में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर धाम का सुंदर निर्माण तो किया गया। जिसके लिए सरकार धन्यवाद योग्य हैं। लेकिन वह हम हिंदुओं की सम्पत्ति तो नही है। लेकिन क्या इसमें जगत गुरु शंकराचार्यो एवं हम हिंदुओं के धार्मिक पहलुओं की अनदेखी तथा शास्त्रोक्त विधि नियम का परित्याग नही किया गया?
क्या काशी विश्वनाथ मंदिर की 2017 तक में अर्जित धन चल अचल सम्पत्ति सुरक्षित हैं?
4 … अब मोदी जी आपने कहा अनेक पौराणिक मंदिरों को स्थापित करवा दिया है ……. काशी विश्वनाथ कॉरिडोर निर्माण क्षेत्र में आने वाले अनेक ऐतिहासिक, प्राचीन, पौराणिक मंदिर, कूप और अन्नान्य वृक्ष सदिय से जो अपने मूल स्थान पर पहले से ही स्थापित थे। लेकिन आज उनको नष्ट कर उनके स्थान पर गेस्ट हाउस भवन आदि बना दिया गया।
क्या काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण में बाबा दरबार शिव कचहरी अक्षय वट वृक्ष नष्ट, भ्रष्ट नही किया गया?
क्या बाबा के लाखो करोड़ों भक्तो की आस्था एवं धर्म शास्त्र विधि विधान का परित्याग कर , निर्माण नही किया गया?
5 …. माननीय मोदी जी आपने कहा की काशी विश्वनाथ धाम का विस्तार 5 लाख वर्ग फिट में कर दिया …… सराहनीय कार्य हुआ ……….. क्या पूर्व की भाती 5 लाख वर्ग फिट की भूमि आपने काशी विश्वनाथ जी के नाम किया? या भक्तों हेतु किया? वास्तविकता तो यह है की 5 लाख वर्ग की भूमि राजपाल महोदय के नाम है। जिसके संचालन हेतु यूके की कंपनी ( ईसाई ) को नीलाम किया गया हैं।
6 … माननीय मोदी जी आपने कहा की काशी विश्वनाथ मंदिर पहले 3000 वर्ग फिट में था ……. जी नहीं आप को गलत सूचना हैं , बाबा दरबार पहले 10000 वर्ग फिट में था, जिस भूमि के मालिक स्वयं बाबा थे, अब लगभग 28000 वर्ग फिट में है, जिसके मालिक 8 लोग है। जबकि इससे ज्यादा भूमि बाबा के नाम 2017 व 2018 तक भक्तों के सहयोग से वहां थी। अब कहा है? इससे स्पष्ट हैं कि पूर्व की सरकारें हो या आपकी य किसी की भी सरकार नें विश्वनाथ दरबार को कुछ नही दिया। महादेव मौन है। आज भक्त द्धारा माननीय आपको पत्र या कमिश्नर महोदय को पत्र देने पर कोई कार्यवाही नहीं होती। मंदिर प्रशासन से आरटीआई से प्रश्न पूछे जाने पर बोला जाता है उत्तर देने से तुम्हारी जान को खतरा होगा| भक्त जीवन देने वाले भगवान का पता पूछे तो कैसे जान का खतरा होगा? वैसे अनेक शिवभक्तो को आज काशी विश्वनाथ धाम शिवत्व विहिन नजर आता है। हमे काशी विश्वनाथ कॉरिडोर नही। काशी विश्वनाथ मंदिर दरबार दें।
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