एन आई ए नें अपनें पूर्व वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अरविंद दिग्विजय नेगी को किया गिरफ्तार, आतंकियों को सूचनाएं लीक करनें का अभियोग।
आतंकी घटनाओं की जांच करने वाली एजेंसी NIA ने अपने ही एक पूर्व अधिकारी को गिरफ्तार किया है। IPS अरविंद दिग्विजय नेगी जो पहले NIA में तैनात थे, 18 फरवरी को उन्हें दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया गया। नेगी पर आरोप है कि उन्होंने लश्कर के ओवर ग्राउंड आतंकवादियों को खुफिया जानकारी मुहैया कराई। और यही ओवर ग्राउंड वर्कर्स लश्कर और पाकिस्तानी इंटेलिजेंस एजेंसी ISI तक देश की सुरक्षा से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी पहुंचाते थे।
कैसे हुआ शक?
NIA ने पिछले साल नवंबर में लश्कर के ओवर ग्राउंड आतंकवादियों के खिलाफ केस दर्ज किया। इस केस में 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था। इसी केस में 21 नंवबर को कश्मीर के चर्चित मानवाधिकार कार्यकर्ता खुर्रम परवेज़ को भी गिरफ्तार किया गया था। आरोप था कि लश्कर के आतंकियों तक ये जानकारी खुर्रम के जरिए ही पहुंची है। खुर्रम पर UAPA लगाया गया। लेकिन खुर्रम परवेज़ की गिरफ्तारी और इंटेलिजेंस ब्यूरो IB से मिली एक टिप के बाद शक की सुई जा पहुंची IPS अरविंद दिग्विजय नेगी तक।
NIA को ये शक हुआ कि ये खुफिया जानकारी IPS नेगी ही लीक कर रहे हैं। खुर्रम की गिरफ्तारी के एक दिन बाद 22 नवंबर को नेगी के तीन ठिकानों पर छापे भी मारे गए। नेगी लगातार NIA के रडार पर रहे और फिर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। NIA ने अपने आधिकारिक बयान में बताया, “जांच के दौरान, NIA से सेवा खत्म होने के बाद शिमला में तैनात IPS नेगी की भूमिका को वेरिफाई किया और उनके घरों की तलाशी ली गई। यह भी पाया गया कि NIA के आधिकारिक गुप्त दस्तावेज IPS नेगी द्वारा एक अन्य आरोपी व्यक्ति को लीक किए गए थे। जो इस मामले में लश्कर-ए-तैयबा का ओवर ग्राउंड वर्कर है।”
अरविंद दिग्विजय नेगी कौन हैं?
IPS नेगी फिलहाल हिमाचल प्रदेश में पुलिस सेवा में तैनात थे। इससे पहले वो NIA की शुरूआत से ही इसी एजेंसी के लिए काम कर रहे थे। नेगी हिमाचल कैडर के अधिकारी हैं। 2016 में उनकी सेवाओं को देखते हुए नेगी IPS में प्रमोट किया गया था। 2017 में नेगी को उनके सराहनीय कामों के लिए पुलिस मेडल से भी नवाज़ा गया।
पिछले साल नेगी NIA में सेवा खत्म होने के बाद वापस हिमाचल लौट गए थे। दि इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक IPS नेगी ने कश्मीर में आतंकवाद से जुड़े कई केस में तफ़्तीश की है। नेगी, कश्मीर में हुर्रियत की फंडिंग मामले की जांच में भी शामिल थे। इसके अलावा नेगी ने 2007 में हुए अजमेर दरगाह धमाके की भी जांच की थी। इस केस में 2018 में स्पेशल कोर्ट ने RSS प्रचारक देवेंद्र गुप्ता और भावेश पटेल को दोषी करार दिया था। वो मालेगांव बम धमाके मामले की जांच में भी शामिल रहे हैं।
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