सुदर्शन शंकराचार्य आश्रम रायपुर, हिंदू राष्ट्र संगोष्ठी का आयोजन, 18 से 21 फरवरी तक चलेगा कार्यक्रम।

गोवर्धन मठ पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा है कि कोई हिंदू खतरे में नहीं है। जो हिंदूओं के लिए खतरा हैं उन पर बहुत खतरा है। ये सुनकर उनके सामने बैठे अनुयाई तालियां बजाने लगे। आगे शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि जो हिंदुत्व या हिंदुओं से चिढ़ते हैं, हिंदुओं को जो काफिर कहते हैं.. मानो वो अपने पूर्वजों को ही काफिर कहते हैं, क्योंकि सबके पूर्वज सनातनी वैदिक आर्य हिंदू थे।
ये बातें शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने रायपुर में कहीं। सिलतरा इलाके में बने सुदर्शन शंकराचार्य आश्रम में हिंदू राष्ट्र संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। यहां 18 से 21 फरवरी तक हिंदू राष्ट्र पर बातचीत होगी। आम लोग यहां आकर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती से सीधे तौर पर सनातन वैदिक धर्म को लेकर सवाल पूछ सकते हैं, दीक्षा ले सकते हैं।
हिंदू राष्ट्र में मुसलमान रहेंगे या नहीं?
इस सवाल को शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने सुना तभी पंडाल में तेज हवा चलने लगी, शंकराचार्य नारायण-नारायण कहने लगे। नाम लेते ही क्या हो गया ये, खंभे (पंडाल में बीच में लगे लोहे के पोल) जाने वाले थे मगर रुक गए, वैसे ही वो (अन्य धर्म के लोग) रुक जाएंगे। सामने बैठे लोग मुस्कुराए, जिसपर हमारे रिपोर्टर नें जवाब और स्पष्ट देने पर जोर दिया।
इसके जवाब में शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद ने आगे कहा कि मानवों की शील की रक्षा करने में कोई भी अपने धर्म, पंथ या कौम सहयोग करे तो उसका स्वागत है। किसी के अस्तित्व पर पानी फेरने का प्रयास न करें, इस तरह से बहादुरी का परिचय न दें.. वो बहादुरी नहीं है। जिस किसी कौम, पंथ का योगदान है एक सुसंस्कृत, सुशिक्षित, सुरक्षित समाज की संरचना में उसका स्वागत है।
मुसलमान तो बंटाधार की सोचते हैं।
एक सभा को याद करते हुए स्वामी निश्चलानंद ने कहा- मैं कानपुर में बोल रहा था..मुझे पता नहीं था कि वहां कुछ मुसलमान भी बैठे थे। हम तो विश्व का कल्याण हो कहते हैं, वो ये सुनकर आश्चर्य चकित हो गए कि वो (मुस्लिम) तो कभी ऐसा सोचते ही नहीं… उन्होंने कहा वो तो सोचते हैं हिंदुओं का बंटाधार हो। तो जब हम कहते हैं विश्व का कल्याण हो तो विश्व में कौन है इंसान, चीटी, जंगल, नदियां प्राणी सबके अस्तित्व की रक्षा हो, इसका ही प्रयास भी है।
हिजाब विवाद पर कहा- सुप्रीम कोर्ट मेरी बात नहीं काटता
देश में जारी हिजाब विवाद पर स्वामी निश्चलानंद ने कहा कि वहां के नेता मेरे पास आएंगे, धर्माचार्य आएंगे तो बात करूंगा, दक्षिण के शंकराचार्य भी हैं। उनसे सारी स्थिति समझे बिना मैं बोलूं, कहीं कोई बवंडर न हो जाए। इसलिए मैं उनसे बात करके उपाय बताउंगा, सुप्रीम कोर्ट आज भी मेरा निर्णय नहीं काटता।
कौन हैं निश्चलानंद सरस्वती
श्री ऋगवैदिय पूर्वाम्नाय गोवर्धनमठ पुरी पीठ के वर्तमान 145 वें प्रमुख शंकराचार्य स्वामी निश्चलानन्द सरस्वती हैं। कहा जाता है कि वो भारत के एक ऐसे सन्त हैं जिनसे संयुक्त राष्ट्र संघ ने अगस्त 2000 को न्यूयार्क में आयोजित विश्व शांति शिखर सम्मेलन और विश्व बैंक ने वर्ल्ड फेथ्स डेवलपमेंट डायलॉग- 2000 के वाशिंगटन सम्मेलन के अवसर पर उनसे लिखित मार्गदर्शन लिया था।
दावा किया जाता है कि वैज्ञानिकों ने कम्प्यूटर और मोबाइल फोन से लेकर अंतरिक्ष तक के क्षेत्र में जो आधुनिक आविष्कार किए उसमें इन्हीं की वैदिक गणित पर लिखी किताब के सिद्धांतों का उपयोग हुआ है। 10वीं क्लास तक स्वामी निश्चलानंद साइंस के स्टूडेंट थे। कॉलेज के वक्त सन्यास लिया, इनके गुरु करपात्री जी थे।
निश्चलानंद सरस्वती के बारे में
गोवर्धनपुरी पीठ के जगतगुरू शंकराचार्य का जन्म 30 जून 1943 को बिहार के दरभंगा के हरिपुर बख्शीटोला गांव में हुआ था। उनके पिता लालवंशी झा दरभंगा नरेश के यहां राजपुरोहित थे। मां गीता देवी झा गृहणीं थी।
बिहार से शुरुआती पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने दिल्ली के तिब्बतिया कॉलेज में बड़े भाई डॉ. शुकदेव झा के साथ रहकर पढ़ाई की। दिल्ली में रहने के दौरान वह विद्यार्थी परिषद के उपाध्यक्ष और महामंत्री भी रहे।
31 वर्ष की उम्र में हरिद्वार में करपात्री जी महराज के हाथों उन्होंने संन्यास ग्रहण कर लिया। संन्यास की दीक्षा ग्रहण करने के बाद वे गोवर्धन मठ पुरी उज्जैन के उस वक्त के 144वें शंकराचार्य जगतगुरू स्वामी निरंजनदेव तीर्थ महराज की सेवा में पहुंच गए। बाद में स्वामी निरंजनदेव जी ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया।
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