कुत्ता काटनें व ताकतवर बनाम कमजोर कुत्ते के उदाहरण से नोटा का महत्व समझे के शरण पुरोहित साहब, पोस्ट आफ द डे।

कल एक परिचित रास्ते में मिले, बोले, “तुम कितना भी नोटा नोटा चिल्लाओ.. दुसरी टर्म भी मिलेगी उनको..पहलेवालोंसे तो ये वाले अच्छे है न..”
मैंने पुंछा वो सब छोडिये आप ये ऐसे क्यूँ चल रहे हो? क्या हुआ?
तो बोले रेबीज की इंजेक्षन लेके आ रहा हूँ।
मैं: इस उमर में आप क्यो कुत्ते के पिछे पडे थे?
वो: अरे हम् कहा दौडे़? वो तो हम कूडेदाणी के पास से गुजर रहे थे, उधर दो कुत्तों की लढाई चल रही थी, अचानक उसमें से जो कमजोर् था वो मेरे सामने से जान बचाकर भागा.. और जो बलवान था वो गुस्से में पागल होता हुआ पास से जा रहे, मेरे ऊपर झपट पडा, हाथ में जो बाल्टी थी उससे मारकर भगा दिया, लेकिन तब तक पैर को बुरी तरह काट चुका था वो .. तो सोचा जल्द् ही रेबीज की इंजेक्षन ले लूँ।
मैने कहा: जी, ठीक किया आपने.. पर एक बात बताईये, अगर उस वक्त जिस वक्त कुत्ता आपको काटनें जा रहा था। भगवान नें आपको ऐसा ऑप्शन दिया होता की उसमें से किसी एक कुत्ते को आप चुनो, और बताओ किससे आप अपना पैर कटवाना चाहते हो, तो आप किसको चुनोगे?
इस सवाल पर वो भडक उठे!
बोले: तुम्हारा दिमाग तो ठिक है? कुत्तेने मुझे काटा है, और् बेवकुफों की तरह बाते तुम कर रहे हो..
मैं: फिर भी बताईये ना..
इस बार वो इतने जोर से चिल्लाये की बगल से जाने वाले लोग भी देखने लगे।
बोले: अगर मेरा बस चले तो उन दोनो कुत्तोंको ढुंढकर इतना पीट दूँ की उन की जान चली जाये…।
मै: ये गलत है.. आपको available में से best को चुनना पडेगा, वरना बुरा, पागल और् खुंखार कुत्ते नें काटा तो? इसीलिये आप उसमें से मृदु कुत्ते को चुन सकते हो ना, कितनी अच्छी बात है…
वो फिर चिल्लाये: भांग पी कर आये हो क्या? मैं ऐसा नही कर सकता, उल्टा दोनों को लाठी से पीट दूँगा…।
तो मैं बोला: मतलब नोटा?
वो: क्या क्या क्या ?? क्या कहा तुमने आप दोनो में किसीको भी चुन न ही रहे हो.. मतलब नोटा ही दबा रहे हो न?
मेरी बात सुन कर वो नीचे बैठ गये और बोले मुझे तो ये नोटा महत्व समझ में ही नही आ रहा था… आवारा कुत्ते नें काट लिया ..।
तब जाकर कही नोटा का महत्व समझ में आ गया…।
बोले चलो… देर हो गई.. पर अब आंखे खुल गई….।
सिर्फ नोटा ही दबायेंगे……।
(के शरण पुरोहित की वाल से साभार)
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