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शेर पालना कोई मामूली शौक नही, इसी चक्कर में प्रति व्यक्ति कर्ज लगभग एक लाख, हम नही आँकड़े कहते हैं।

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आखिरी सच वांट
आखिरी सच वांट

हमको आपको मोदी ने 15 लाख तो दिए नहीं बल्कि देश को एक लाख करोड़ का कर्जदार जरूर बना दिया……।

आज की खबर है, कि वित्त मंत्रालय ने एक रिपोर्ट में बताया है, कि दिसंबर तिमाही तक सरकार पर कुल कर्ज का बोझ बढ़कर 128.41 लाख करोड़ रुपये हो गया है। इस लिहाज से देश के हर नागरिक पर 98,776 रुपये का कर्ज लदा है। यह आकड़ा भी दिसंबर 2021 तक का है, आज तो प्रति व्यक्ति एक लाख रुपए का कर्ज मोदी सरकार चढ़ा चुकी है।

सीधा गणित पकड़िए देश की जनसंख्या है, लगभग 130 करोड़ और सरकार पर कर्ज है मोटा मोटा 130 लाख करोड़ यानि हो गया न हर व्यक्ति पर 1 लाख रुपए का कर्ज..…।

यही थे अच्छे दिन जिसे दिखाने का वादा आपसे हमसे किया गया था, ..मोदी कितने ही राज्यों के चुनाव क्यों न जीत जाए, चाहे वह 2024 भी जीत जाए लेकिन उससे यह हकीकत नहीं बदल जाएगी कि मोदी ने देश की अर्थव्यवस्था का भट्ठा बैठा दिया है।


शोभित भरद्वाज
शोभित भरद्वाज

मैं यह क्यों कह रहा हूं उसकी भी वजह है …. आज 2022 में हम पर 128.41 लाख करोड़ रुपये कर्ज है यह तो आप देख ही रहे हैं। लेकिन आपको जानकर बेहद आश्चर्य होगा कि जब मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार 2014 में देश को मोदी जी के पास छोड़कर गई थी, तब तक देश के ऊपर कुल कर्ज मात्र 54.90 लाख करोड़ रुपए था यानी आजादी के 67 सालो में यानी महज 55 लाख करोड़ का कर्ज और मोदी जी के मात्र 8 साल के राज में 73 लाख करोड़ का कर्ज. जी हां यह सच है।

यह लोग न्यू इंडिया बनाने की बात करते हैं, बताइये…….! ऐसे बनाया जाएगा न्यू इंडिया? देश को कर्ज में डुबोकर?


मार्च 2019 के अंत में सरकार पर 84.68 लाख करोड़ का कर्ज था, और आज हम मार्च 2022 में खड़े है, यानि 36 महीने में सरकार ने 42 लाख करोड़ रुपए का लोन ले लिया यानि हर महीने एक लाख करोड़ से भी अधिक का लोन सरकार ले रही है, बेशक कोरोना काल इसमें शामिल हैं, लेकिन आप यह भी देखिए कि इसी दौरान पैट्रोल डीजल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाकर सरकार ने कई लख करोड़ कमाए है।

अब आप समझ पाएंगे कि क्यों मोदी सरकार सार्वजनिक संपत्तियों, सरकारी कंपनियों और देश में उपलब्ध संसाधनों को जल्द से जल्द बेच देने की जल्दी मचा रही है, दरअसल जिस व्यक्ति पर कर्ज गले तक आ जाता है, तो उसकी सबसे पहली नजर पुरखो की जोड़ी हुई संपत्ति पर ही होती है।

साभार: अचूक संघर्ष

गिरीश मालवीय


डोनेशन
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