रायबरेली। शहरी क्षेत्रों के तालाबों में अवैध रूप से कब्जा करके निर्माण करा लिए जाने के मामले की पड़ताल शुरू हो गई है। एक पेपर की खबर को संज्ञान में लेते हुए एसडीएम सदर आरके शुक्ला ने शहरी क्षेत्र के सभी लेखपालों से तालाबों का चिह्नीकरण करके रिपोर्ट तलब की है। एसडीएम ने निर्देश दिए हैं कि लेखपाल चिह्नित करें कि कहां-कहां पर तालाब में कब्जा किया गया है। साथ ही तालाब में कब्जा करने वाले लोगों के नाम पते की सूची भी उपलब्ध कराएं। माना जा रहा है कि चिह्नीकरण के बाद तालाबों में अवैध रूप से किए गए कब्जे पर बुल्डोजर चलेगा।
नगर पालिका क्षेत्र में वैसे तो सरकारी आंकड़ों में 138 तालाब दर्ज हैं, लेकिन इसमें से करीब 80 तालाबों की पहचान अब कागजों तक सीमित रह गई है। यानि इन तालाबों को पाटकर आशियाने खड़े कर लिए गए हैं। शेष 59 तालाबों के अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा रहा है। उक्त पेपर ने 11 अप्रैल के अंक में ‘तालाब पर बन गईं कॉलोनी’ शीर्षक से खबर प्रकाशित किया। इसमें जिक्र किया गया कि किस तरह राजस्व कर्मियों और प्रापर्टी डीलरों के गठजोड़ के चलते शहरी क्षेत्र के तालाबों की न सिर्फ पहचान मिटा दी गई, बल्कि उस पर बिल्डिंगें खड़ी कर ली गईं। खबर छपने के बाद लेखपालों में हड़कंप मच गया। एसडीएम ने तत्काल तालाबों के चिन्हीकरण करके रिपोर्ट तलब कर ली।
यहां पर किया गया तालाबों पर अवैध कब्जा
शहर क्षेत्र के रतापुर स्थित तालाब पर एक नेता की तरफ से कब्जा कर लिया गया। कई बार शिकायत हुई, लेकिन आज तक तक कार्रवाई नहीं की गई। मिल एरिया थाने के पास इंडस्ट्रियल एरिया के पीछे स्थित कई बीघे सरकारी जमीन पर कब्जा करके उसे बेच दिया गया। इसमें कुछ जमीन तालाब की बताई जा रही है। इसके अलावा नया पुरवा, सर्वोदय नगर, सोनिया नगर, साकेत नगर, अहियारापुर, त्रिपुला के पास शंकरगढ़ आदि स्थानों पर भी तालाबों में अवैध कब्जा कर लिया गया है। खबर छपने के बाद इन तालाबों पर कब्जा करने वाले प्रापर्टी डीलरों में हड़कंप मचा है।
कब्जा करने वालों के खिलाफ दर्ज होगी एफआईआर।
उक्त पेपर की खबर को संज्ञान में लेते हुए सभी लेखपालों से सरकारी तालाबों का चिह्नीकरण करके रिपोर्ट मांगी गई है। जिन तालाबों पर अवैध रूप से कब्जा किया गया है, उसे हटवाया जाएगा। साथ ही तालाबों में अवैध रूप से कब्जा करने वाले लोगों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई जाएगी। वैसे शासन से भी तालाबों से अवैध कब्जा हटवाए जाने के निर्देश दिए गए हैं।
जबकि शहरी क्षेत्रों से भी भयावह स्थिति गाँवों की है यह कोई एक गांव य एक जिले की समस्या नही बल्कि पूरे देश की समस्या है, तालाब, चकरोड, चरागाह व बंजर जमीनों को स्थानीय स्तर पर स्थानीय दबंग कब्जा किये हैं, यदि सरकार द्वारा वास्तविक मूल्यों में दृढ़तापूर्वक अवैध कब्जे पूरे देश से हटवाकर छूटी जमीनों को गरीबों व जमीन विहीनों को दे दी जायें, य सरकारी निर्माण करवाकर जन सरोकारों से जुड़े रोजगार परक प्रतिष्ठानों को शुरू किया जाय तो शायद दशा व दिशा सुधार संभव हैं।