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हिम्मतनगर  बन रहा 1990 का कश्मीर…..घरों पर फेंके पेट्रोल बम, लोगों को कर रहे है पलायन को मजबूर, गुजरात।

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नवरात्र शुरू होते ही उन्मादी भीड़ ने देश के कई इलाकों में उन्माद फैलाना शुरू कर दिया, और यह आज तक ख़त्म नहीं हुआ। बात करे गुजरात की तो यहां 10 अप्रैल को श्रीराम नवमी पर गुजरात के तीन जिलों क्रमशः हिम्मतनगर, खंभात और द्वारका में दो समुदाय के बीच दंगे हुए थे। दंगे के बाद तीनों जिलों में धारा 144 लगा दी गई थी, लेकिन सोमवार की देर रात फिर से हिम्मतनगर के वंजारावास इलाके में दंगा भड़क उठा। दंगाई दूसरे समुदाय के लोगों के घरों को निशाना बना रहे हैं।

इससे पहले पुलिस ने शांति समिति की बैठक करके दोनों समुदायों से शांति की अपील की थी। हालांकि इसके बाद भी दंगाइयों ने एक खास समुदाय के लोगों के घरों में पेट्रोल बम और पत्थर फेंके, नतीजा दर्जनों परिवार अपनी जान बचाने के लिए पलायन करने को मजबूर हैं। पुलिस भी मदद नहीं कर रही।

वंजारावास इलाके के लोगों का कहना है कि पुलिस ने उन्हें घर से बाहर न निकलने की हिदायत दी थी, लेकिन सोमवार देर रात उनकी बस्ती पर हमला हुआ। घरों में तोड़फोड़ की गई और सामान भी चोरी कर लिया गया। रात में चांदनगर और हसननगर के लोगों ने उन पर हमला किया था। दंगाइयों ने उनके घरों पर पेट्रोल-बम फेंके, जिससे दो घरों में आग भी लग गई थी। पुलिस टीम के पहुंचने तक हमलावर फरार हो गए थे।



हिम्मतनगर में रामनवमी के जुलूस पर पथराव के बाद गृह विभाग और पुलिस एक्शन में आए। पुलिस, RAF और SRP की तैनाती कर दी गई थी। स्थिति की जांच करने और दंगे रोकने के लिए जिला पुलिस प्रमुख और कलेक्टर की अध्यक्षता में सोमवार शाम को शांति समिति की बैठक भी हुई थी, लेकिन शांति समिति की बैठक के पांच घंटे बाद ही देर रात हिम्मतनगर के वंजारावास में हमला हो गया।

उसी बस्ती में रहने वाले राहुल सिंह राजपूत ने बताया कि अब तक करीब 50 परिवार बस्ती छोड़कर जा चुके हैं। पलायन की सूचना मिलते ही पुलिस अधिकारियों के साथ गृह राज्यमंत्री हर्ष संघवी वंजारावास पहुंचे और लोगों से उनकी सुरक्षा का वादा किया। फिलहाल इलाके में पुलिस के कड़े बंदोबस्त कर दिए गए हैं। CCTV फुटेज और अन्य साधनों से उन लोगों की तलाश की जा रही है, जिन्होंने रात में बस्ती पर हमला किया था। अब तक करीब 15 संदिग्ध लोगों को हिरासत में लिया जा चुका है।

साबरकांठा जिले के हिम्मतनगर कस्बे में रामनवमी के दिन शोभायात्रा निकाली गई थी। इसी दौरान हसन नगर दरगाह के पास जुलूस में लाउडस्पीकर बजाने को लेकर दोनों पक्षों में बहस हो गई थी। बहस आगे बढ़ते हुई हिंसा में तब्दील हो गई और दोनों समुदायों के लोगों में पथराव और मारपीट होने लगी। बाद में गाड़ियां और दुकानें भी जला दी गईं। इस घटना में दस से ज्यादा पुलिस वाले भी घायल हुए थे।


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