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देश की ऐसी हालत कभी नहीं रही, थोथे देशवाद से बचना होगा: नारायणमूर्ति

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नई दिल्ली। सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था सबसे खराब दौर में है। इस सुस्ती को दूर करने के लिए अतिरिक्त कदम उठाने और निजी क्षेत्र का डर खत्म करने के प्रयास करना होंगे।

आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि वित्तीय क्षेत्र में जारी संकट का असर अब हर क्षेत्र के आर्थिक विकास पर भी दिखने लगा है। उन्होंने कहा कि पिछले 70 वर्षों में वित्तीय क्षेत्र की ऐसी हालत कभी नहीं रही है। थोथे देशवाद से बचना ही होगा, दूसरा कोई विकल्प शेष नही है।

हर कोई पैसा जमा करने में लगा … कोई कर्ज देने तक को तैयार नहीं निजी क्षेत्र में अभी कोई किसी पर भरोसा नहीं कर रहा और न ही कोई कर्ज तक देने को तैयार है। हर क्षेत्र में पैसों को जमा किया जाने लगा है। इन पैसों को बाजार में लाने के लिए सरकार को अतिरिक्त कदम उठाने होंगे।



देश की ऐसी हालत कभी नहीं रही। थोथे देशवाद से बचना होगा: नारायणमूर्ति

नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी साफ्टवेयर कंपनी इंफोसिस के चेयरमैन नारायणूर्ति ने कहा कि देश के लोगों को थोथे देशवाद से बचना होगा। वर्तमान में देश में चल रहा आर्थिक मंदी का दौर भारी तबाही ला सकता है। लोगों के रोजगार जा सकते है। ऐसे में देशवाद के नारे मिथ्या साबित हो जाएंगे। सरकार को आर्थिक मंदी दूर करने के प्रयास करना चाहिए।

इंफोसिस के फाउंडर और चेयरमैन (EMERITUS) एन आर नारायण मूर्ति ने अभी हाल में विगत माह एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डिजिटिलाइजेशन कैसे विकास में भागीदारी करके बेहतर समाज का निर्माण कर सकता है पर भी विचार प्रस्तुत किया। नारायण मूर्ति ने बताया कि कैसे डिजिटाइजेशन देश की राष्ट्र के आर्थिक विकास को गति दे सकता है। उन्होंने कहा कि नेशनल डेवपलमेंट को तीन पारामीटर में डिफाइन किया जा सकता है, जो क्वालिटी ऑफ लाईफ में सुधार करने में मदद करता है और देश के भविष्य को उज्जवल बनाता है। पहला है इंवोटिव, इफिशियंट ईमानदार गर्वनेंस, दूसरा है ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स और तीसरा है समस्याओं को कैसे सुलझाया जाए और कैसे लोगों की आय में बढ़ोतरी लाया जाए।



ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स के तहत जिसमें पब्लिक और प्राइवेट फैसलिटी के जरिए देश के आम लोगों का जीवन बेहतर हो। जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, भोजन, घर, न्याय शामिल है। एन आर नारायण मूर्ति ने कहा कि डिजिटाइजेशन के बगैर हम बेहतर भारत की कल्पना नहीं कर सकते।

क्लाउड टेक्नोलॉजी, 5जी आने के बाद इंसान की जगह मशीन ले सकती है? इस डर को दरकिनार करते हुए एन आर नारायण मूर्ति ने कहा कि मेरा मानना है कि इन टेक्नोल़ॉजी का इस्तेमाल इंसानों की मदद के लिए किया जाएगा जो इसका लाभ मिलेगा और हमारे युवाओं के लिए नौकरियों के अवसर बढ़ेंगे। ऑटोमेशन और कम्प्यूटरीकरण को लेकर पुराना डाटा इस बात की तसदीक करता है। उन्होंने कहा कि इन एडवांस टेक्नोल़ॉजी का बेहतर इस्तेमाल दूसरे देशों ने किया है तो वहां रोजगार के अवसर बढ़े हैं। भारत ने कुछ हद तक इस दिशा में कार्य किया है। आज हमारे देश के लोगों को आनलाईन रिटेल, हाउसिंग, इंश्योरेंस, बैंकिंग, एंटरटेनमेंट, हेल्थकेयर और सोशल मीडिया जैसी सेवाएं उपलब्ध है। हालांकि सरकार द्वारा डिजिटाइजेशन की दिशा में उपलब्ध कराये गए सेवाओं का नतीजा उतना बेहतर नहीं रहा है। हालांकि सैम पित्रौदा द्वारा टेलीकॉम और नंदन निलेकणी द्वारा आधार के लिए किया गया कार्य इसमें अपवाद है।



एन आर नारायण मूर्ति ने बताया कि इंफोसिस में सक्रिय रहने के दौरान जब भी कंपनी ने सरकारी ठेका लिया कंपनी को हमेशा नुकसान उठाना पड़ा था। सॉफ्टवेयर कंपनियां अपने बेहतर लोगों को सरकारी काम में लगाने से डरती है। उन्हें डर होता है कि मिड लेवल मैनेजर कंपनी छोड़ ना दें। नारायण मूर्ति ने कहा कि देश की सॉफ्टवेयर कंपनियों को देश की ब्यूरोक्रेसी के साथ काम करना सीखना चाहिए। एन आर नारायण मूर्ति ने आनंद बाजार पत्रिका के 100 साल पूरे होने पर बधाई भी दी।


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