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सरकारी मशीनरी की खामी का खामियाजा, भुगतें पत्रकार, बलिया बंद का दिखा असर, जमींनी जुड़ाव लाया रंग।

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जिला प्रशासन की ओर से नकलविहीन बोर्ड परीक्षा कराने का दावा केवल कागजों तक सीमित होकर रह गया। जिले में शुरू से लेकर अंत तक नकल व पेपर लीक का खेल चलता रहा। जो आज से नही बल्कि आज कई दशकों से धड़ल्ले से चल रहा है, और जबतक लोकतंत्र के नाम पर तंत्रलोक हाबी है तब तक चलता रहेगा, जिला प्रशासन की कमेटी द्वारा बनाए केंद्र इसमें शामिल रहे।

जिला प्रशासन की ओर से प्रश्नपत्रों की सुरक्षा के लिए प्रत्येक केंद्र पर स्टैटिक मजिस्ट्रेट तैनात किए गए थे। प्रश्नपत्र डबल लॉक में रखे गए थे और एक लॉक की चाबी स्टैटिक मजिस्ट्रेट के पास रखने की व्यवस्था थी। इसके बावजूद पेपर लीक कैसे हो गया? बोर्ड परीक्षा में 12वीं के अंग्रेजी विषय का पर्चा लीक होने के बाद से प्रशासन व नकल माफिया के गठजोड़ की परतें खुलने लगी हैं। 23 मार्च के अंक में ही बोर्ड परीक्षा की डुप्लीकेट कापियां खुले में बिकने की खबर प्रकाशित कर जिला प्रशासन को आगाह किया गया था। लेकिन इससे प्रशासन की नींद नहीं खुली। शासन ने इस बार प्रश्नपत्रों की सुरक्षा के कड़े इंतजाम करने का निर्देश दिया था। इसके तहत व्यवस्था थी कि प्रश्नपत्र डबल लॉक में रखे जाएंगे।



एक लॉक की चाबी केंद्र व्यवस्थापक के पास रहेगी तो दूसरे लॉक की चाबी जिला प्रशासन की ओर से नामित स्टैटिक मजिस्ट्रेट के पास। इसके बावजूद जिले में पेपर लीक हो गया, जबकि बिना डबल लॉक खोले प्रश्नपत्र बाहर नहीं आ सकता था।

पत्रकारों की गिरफ्तारी के विरोध में अभूतपूर्व बलिया बंद

बोर्ड परीक्षा के इंटरमीडिएट अंग्रेजी के पर्चे लीक होने की खबर उजागर करने वाले पत्रकारों की गिरफ्तारी के विरोध में शनिवार को पूरा बलिया लामबंद नजर आया। व्यापारियों ने बंद का खुले दिल से समर्थन किया।नतीजतन शहर ही नहीं जिले के सभी कस्बों और चट्टी चौराहों की भी दुकानें बंद रहीं। चायपान तक की दुकानें नहीं खुलीं। पुलिस प्रशासन ने कुछ जगहों पर दुकानें खोलने के लिए दबाव डाला तो व्यापारियों से उनकी नोकझोंक भी हुई।



संयुक्त पत्रकार संघर्ष मोर्चा व इण्टरनेशनल काउंसिल फार इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट की ओर से किए गए बलिया बंद के आह्वान का व्यापक असर देखने को मिला। लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा और प्रशासनिक दमन के विरोध में व्यापारियों, शिक्षकों, राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों की एकजुटता के चलते पहली बार ऐसा हुआ कि बिना किसी प्रतिरोध के दुकानें बंद रहीं। पुलिस ने शहर में व्यापारियों पर दबाव डालकर दुकानें खुलवाने की कोशिश की तो दुकानदारों से उनकी कहासुनी, तू- तू, मैं- मैं नोकझोंक भी हुई।

https://twitter.com/Dranandking/status/1514949197338124288?t=lKWU25AwZ3upCxycmkTW7w&s=19

बंदी को सफल बनाने के लिए एक दिन पहले ही व्यापारियों, राजनीतिक दलों, पटरी दुकानदारों, छात्रों और शिक्षकों के संगठनों ने जिले भर में घूम कर लोगों से आंदोलन में सहयोग की अपील की थी, और शनिवार को इसका असर दिखा। सुबह से ही व्यापारियों ने दुकानें बंद रखीं। कस्बों और चट्टी चौराहों तक की दुकानें नहीं खुलीं।

वहीं आखिरी सच टीम नें “इंटरनेशनल काउंसिल फार इंवेस्टीगेटिव जर्नलिस्ट” की तरफ से दिये गये दायित्वों का निर्वाहन करते हुए बलिया जनपद के शिक्षा माफियाओं के नेटवर्क व शैक्षिणिक मकड़जाल पर निकट शीघ्र एक विस्तृत रिपोर्ट प्रसारित करेगा, जिसमें बलिया की डिग्रियों का अलग अलग प्रांतों के विद्यार्थियों को देनें के लिये क्या रेट किस रैंकिंग व सुविधा के हैं, हमनें अपनीं पिछली रिपोर्टों में अनेंक राजों का पर्दाफाश किया था।



आईसीआईजे की तरफ शीघ्र ही पत्रकारों पर उनकी कलम रोंकनें के लिये मुकदमों के सहारे अपनी धूर्तता की दुकान संचालित करनें वालों के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर कमर कस कर संवैधानिक युद्ध का ऐलान किया है।

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