जबलपुर। पांच मई (भाषा) मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक महिला से बलात्कार और गर्भवती करने के आरोपी एक पुलिसकर्मी की जमानत याचिका को खारिज करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया है, कि जबलपुर के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) और छिंदवाड़ा के पुलिस अधीक्षक (एसपी) का तबादला दूरदराज के इलाकों में कर दिया जाए।
न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकल पीठ ने 21 अप्रैल को पारित आदेश में कहा कि मामले में फॉरेंसिक साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ की गई है।
महिला की शिकायत के आधार पुलिसकर्मी अजय साहू को 13 नवंबर 2021 को गिरफ्तार किया गया था। साहू ने अदालत जमानत याचिका दायर की थी। अदालत ने कहा कि जहां तक इस अपील के गुण-दोष का सवाल है, यह स्पष्ट है कि फॉरेंसिक साक्ष्य के साथ पहले ही छेड़छाड़ की जा चुकी है और अब मामला चश्मदीद की गवाही पर निर्भर है। इसलिए जब अपीलकर्ता (साहू) स्वतंत्र माने जाने वाले विभिन्न प्राधिकारियों को प्रभावित कर रहा है, सबूतों के साथ छेड़छाड़ की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है।
उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, “इस प्रकार, जब तक अभियोजन पक्ष के महत्वपूर्ण गवाहों से पूछताछ नहीं कर ली जाती है, तब तक यह नहीं कहा जा सकता कि अपीलकर्ता जमानत पर रिहा किए जाने का हकदार है।” अदालत ने कहा कि वह पुलिस अधीक्षक (छिंदवाड़ा) और अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (जबलपुर) सहित विभिन्न कर्मियों के आचरण को देखते हुए इस मामले को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप देती। लेकिन मामले के इस मौके पर सीबीआई जांच पीड़ित के अधिकारों की रक्षा में तत्काल मददगार नहीं प्रतीत होती है।
उसने कहा, ‘‘इसलिए, मामले की जांच सीबीआई को सौंपने के बजाय, यह निर्देश दिया जाता है कि संबंधित अधिकारियों को मध्य प्रदेश में दूर-दराज के स्थान पर स्थानांतरित कर दिया जाए ताकि वे गवाहों को प्रभावित नहीं कर सकें।’’
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पुलिस प्रशसान के कार्य नामे तो क्या चल रहे है इस समय जब रक्षा करने वाले ही भक्षक बन जायेगे तो क्या होगा देश का
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