ग्रामीण इलाकों में स्थिति सरकारी अस्पताल में नहीं रुकना चाहते हैं सरकारी डॉक्टर, गरीब प्राइवेट डॉक्टरों से इलाज करवाने को मजबूर,
पट्टी में लगभग एक दर्जन सीएचसी वह पीएचसी केंद्र मौजूद स्वास्थ्य विभाग को लेकर सरकार द्वारा ग्रामीण इलाकों में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बना कर गरीबों को और सामान्य आम जनमानस के लिए इलाज की व्यवस्था तो कर दी गई, लेकिन ग्रामीण इलाकों में बने सरकारी अस्पताल में डॉक्टर साहब रुकना नहीं चाहते हैं। यही हाल प्रदेश के अमूमन हर ग्रामीण इलाकों में तैनात डाक्टरों का है, कुछ अपवादों को छोड़कर।
पट्टी तहसील के अंतर्गत लगभग एक दर्जन सीएचसी तथा पीएचसी केंद्र मौजूद है लेकिन गिनती के लिए सिर्फ 4 या 5 सीएचसी और पीएचसी संचालित हो रही हैं। और जगहों पर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर ताला लटक रहा है, तैनाती तो हुई है, लेकिन रजिस्टर पर हस्ताक्षर करने के बाद डॉक्टर साहब अस्पताल परिसर में बने आवास में रुकना नहीं चाहते हैं।
2 घंटे के बाद अस्पताल से प्राइवेट क्लीनिक में बैठकर मोटी रकम लेते हुए गरीबों का इलाज कर रहे हैं। योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल में उपमुख्यमंत्री तथा स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक जिस तरह से पूरे प्रदेश के अलग- अलग जिलों के ग्रामीण इलाकों में स्थित सरकारी अस्पतालों का भ्रमण कर रहे हैं।
इसके बावजूद भी सरकारी डाक्टरों द्वारा अस्पताल में ना रुकने का सिलसिला चल रहा है। हालात यह है कि सिर्फ सरकारी कार्यक्रम बैठकों में पहुंच कर डॉक्टर साहब अपना कोरम पूरा करते हुए अपने आवास लौट जाते हैं। पट्टी तहसील में स्वास्थ्य को लेकर सबसे बड़ी समस्या वर्षों से बरकरार हैं। लेकिन विभाग के आला अधिकारियों के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है, आकंठ भ्रष्टाचार में डूबे स्वास्थ्य विभाग की किरकिरी हो रही है। ग्रामीण इलाकों में करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद अस्पतालों अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही है।
जनप्रतिनिधियों द्वारा भी अस्पतालों का संचालन कराने में कोई दिलचस्पी नहीं ली गई। पट्टी तहसील क्षेत्र के सामाजिक संगठन तथा राजनीतिक संगठनों व्यापारी संगठनों द्वारा तहसील क्षेत्र में स्थित सरकारी बंद पड़े अस्पतालों का संचालन कराए जाने को लेकर जिलाधिकारी तथा स्वास्थ्य विभाग से मांग की है।