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न बनते देर न बिगड़ते देर, बच्चों की शिक्षा का मंदिर चढ़ा भ्रष्टाचार की भेंट, बाउण्ड्री पलटनें के बाद सेक्रेटरी व तकनीकी सहायक पर एफाईआर, प्रधान पर एफाईआर नही क्यों….. डीएम सुल्तानपुर संज्ञान लें।

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जनपद सुल्तानपुर बना मर्यादा विहीन भ्रष्टाचार की कम्पनी जब हो रहा था मानक विहीन निर्माण तब शिकायत कर्ता मुस्लिम की शिकायतों पर ग्राम पंचायत विकास अधिकारी लगाते रहे मन मर्जी की रिपोर्ट, खास बात यह रही की सरकारी व्यवस्था ही दूषित व दोषी है, कि जिस अधिकारी के विरूद्ध शिकायत करो उच्चाधिकारी जांच उसी भ्रस्ट कर्मी से करवाई जाती है व आख्या लगाकर उक्त भ्रष्ट कर्मी जिम्मेदारियों से इतिश्री कर लेता है।



आपको बताते चलें कि जनपद के थानाक्षेत्र व विकास क्षेत्र लम्भुआ के खुदौली गांव में कम्पोजिट विद्यालय खुदौली प्रथम में सन् 2021 में निर्माणाधीन बाउंड्री के निर्माण शुरू होनें के उपरांत से ही मानक व गुड़वत्ता विहीनता की शिकायत लगातार जाती रही लेकिन उच्चाधिकारी सदैव जांच उसी कर्मी सज करवाते रहे जो इसकी निर्माण की बुनियाद रहे।



गांव के जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी व जनप्रतिनिधि तो मलाई खानें में व्यस्त रहे, जबकि गरीब तबके के वह लोग इस निर्माण के मुखर विरोध व शिकायत कर्ता बनें जिनके बच्चे विद्यालय में पढ़नें थे य फिर जो अपनें को सामाजिक प्राणी एक प्रतिशत भी समझते रहे। देखिये ग्राम पंचायत विकास अधिकारी को जांच दु गयी जबकि निर्माण में उसकी मातहती भूमिका थी। जब शिकायत जिलाधिकारी के विरूद्ध हो तो जांच का जिम्मा उसी जिलाधिकारी य उपजिलाधिकारी को देकर व्यवस्था कैसे भ्रष्टता न किये जानें की व जांच परिणाम सही होनें की बात करता है।



गांव के लोग लगातार बीडीओ से लेकर जिलाधिकारी तक शिकायत करते रहे लेकिन क्या मजाल इन अधिकारियों का विवेक जागा हो, य फिर ये जिम्मेदारी का कुशल निर्वाहन कियें हो धिक्कार है ऐसे तथाकथित स्वार्थी जिम्मेदारों को जो गरीबों के अधिकारों पर डकैती डालते हैं।



उपरोक्त आख्या देखिये जो सरकारी तंत्र की लूट घसोट पूर्ण रवैये को बेहतर तरीके से दिखाती है कि “तोय जान मोर मैं जानों तोर, न तोय कह मोर न मैं कहूं तोर…..।

आखिर यह सब उदासीनता केवल आम आदमी के अधिकारों के साथ ही क्यों शाषन प्रशासन य जिम्मेदार लगातार कर रहें हैं….?



स्थानीय अधिकारी भी अपनें बंदर बांटू अभियान से इतना संतुष्ट हैं कि शिकायत कर्ताओं को खुली चुनौती होती है कि जहां मर्जी जाओ उखड़ेगा कुछ भी नही मेरा, यही तो हुआ इस गांव के शिकायत कर्ताओं के साथ, विकास विभाग नें शिक्षा विभाग पर थोपा, शिक्षा विभाग नें विकास विभाग पर थोपा व 10/1 के अनुपातिक मसाले से बाउण्ड्री का निर्माण पूर्ण हुआ व नैतिकता विहीन कर्मियों नें इमानदारों को ठेंगा दिखा कर मलाई खायी व ईमानदार को बेइमान साबित कर दिया।



लेकिन ग्राम पंचायत विकास के जिम्मेदारों यथा प्रधान, सेक्रेटरी, तकनीकी सहायक, रोजगार सेवक, एडीओ पंचायत सब के सब मलाई खानें में व्यस्त रहे व अवैध मानक से निर्माण होता रहा, अध्यापक व शिक्षा विभाग भी मूक दर्शक की भूमिका में रहा।



धन्यवाद प्रकृति का जिसनें गलत को गलत साबित किया।

खुदौली गांव के लोगों का ईश्वर व प्रकृति पर विश्वास और मजबूत हुआ जहां सरकारी व्यवस्था नोचो खाओ अभियान में ब्यस्त हैं वही प्रकृति व ईश्वर सदैव सत्य व यथार्थ के पक्ष में रहती है। इसकी बानगी हम आप खुदौली की इह बाउण्ड्री के हश्र को देखकर हम बेहतर समझ सकते हैं।



दरासल हुआ यह कि हाल ही में आयी आंधी में प्रकृति नें उक्त निर्माण की गुणवत्ता का आंकलन कर ही दिया, जो समस्त जिम्मेदारों के मुह पर तमाचा है, उस आंधी में जिसमें एक भी पेंड़ नही गिरा उसमें विद्यालय की बाउंड्री जो हाल ही में बनकर तैयार हुई थी गिर गयी शर्म करो जिम्मेदारों।



नव निर्मित बाउण्ड्री वाल गिरनें के बाद ट्वीटर पर हो रही फजीहत से बचनें के लिये आनन फानन में उच्चाधिकारियों नें ग्राम विकास अधिकारी व तकनीकी सहायक पर लम्भुआ थानें में मुकदमा दर्ज करवाकर जिम्मेदारी से इतिश्री कर ली।



क्या इतनें बड़े घोटाले को इन्ही दो जिम्मेदारों नें अंजाम दिया, क्या  प्रधान व हर वह अधिकारी इसमें जिम्मेदार नही है जिसे भी ग्रामीणों नें एक बार भी शिकायत दी हो, सभी पर कार्यवाही होनी ही चाहिए।

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