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लक्ष्मण बिंद नें बिना दाखिल खारिज, फर्जी रजिस्ट्री, 90 वर्षीय विधवा निराश्रित बुजुर्ग की जमीन पर कब्जा, शासन प्रसासन दोनों उदासीन व मौन, पढ़ें पूरी रिपोर्ट।

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हम आपको दिखाते हैं शासन में किसी योजना के शुरूआती दौर में अपवादों के प्रति कोई बेहतर नियोजन न होनें के कारण बुजुर्ग निराश्रित महिला जो शायद हमारी दादी य नानी की उम्र की हैं की जमीन को गांव के ही एक व्यक्ति नें दूसरे के हाथ बेंच दी, जब हमारी टीम नें उक्त माता जी से सम्पर्क किया वह भर्रायी आवाज जिसको सुनकर दिल दिमाग हिल जाये लेकिन धूर्त जातीय व्यक्ति द्वारा दूसरे के हाथ बेंच दी गयी, लेकिन उक्त धूर्त द्वारा दाखिल खारिज न होनें के बाद भी कब्जा कर लिया, निठल्ले अकर्मण्यता के शिकार धूर्त कर्मियों व जिम्मेदारों द्वारा केवल आश्वासन के लड्डू माताजी को खिलाये गये।



मामला है, विद्यादेवी पत्नी स्वर्गीय राममूरत तिवारी ग्राम सभा मौहारी सदर, थाना मड़िहान जनपद मिर्जापुर, जन्म सन् 1927 की एक मात्र 4 बिस्वा जमीन जिसकी अराजी संख्या 149 परिमाप 4 बिस्वा जो इनके नाम है, गांव की मुख्य रोड पर यह जमीन है, जिसे गांव के रामानन्द तिवारी पुत्र स्वर्गीय लक्ष्मीनारायण तिवारी नें उक्त जमीन को फर्जी तरीके से चन्द्रावती देवी पत्नी लक्ष्मण बिंद के हाथों फरवरी 2021 को बेंचनामा कर दिया था, जिसकी आजतक अंशभिन्नता वश दाखिल खारिज नही हो सकी है।



जिसका वाद जिला विधिक न्यायिक अधिकारी के पास लम्बित है, पर फिर भी चन्द्रावती देवी बिना दाखिल खारिज के उक्त जमीन पर जबरन ट्रैक्टर खडा़ करते है, व जमीन के सड़क वाले छोर को पूरी तरह से कब्जा कर लिया है, जबकि आजतक उनकी दाखिल खारिज नही हुई।

अब प्रश्न यह उठता है कि लक्ष्मण बिन्द उक्त जमीन पर बिना दाखिल खारिज के ही कैसे कब्जा किये है, किस अधिकार के तहत उन्होंनें खेत से बांस की कोठी उजाडी़ है।



जबकि पीड़ित द्वारा लगभग 20 प्रार्थना पत्र स्थानीय जिम्मेदारों व मुख्यमंत्री तक द्वारा पोस्ट व पोर्टल पर भेजा व लगातार मार्मिक करुण पुकार लगाती रहीं कि हमारी जीविकोपार्जन का मात्र यही एक जरिया है। लेकिन ये समस्त जिम्मेदार पीड़िता की शिकायतों का मजाक उड़ाते रहे। व विपक्षी के धन का रसास्वादन करते रहे।

आपको आज तक सरकार द्वारा एक अदद राशनकार्ड विभागीय दस्तावेजों की पूर्ति में बाधक ऊँगलियों के रेशे जो बायोमैट्रिक प्रणाली के सत्यापन में बाधक हैं, के कारण  नही बन सका है। मात्र सरकार की एक रेवडी़ के नाम पर विधवा पेंशन ही मिला है। जो कभी भी आधार कार्ड के आभाव में समाप्त हो सकता है।


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