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धर्मांतरण कर चुके अनुसूचित जनजाति के लोगों को किया जाय आरक्षण सूची से बाहर, आरएसएस समर्थक संगठन की मांग।

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अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति की सही संख्या पता करने के लिए राष्ट्रव्यापी जनगणना होनी है। इससे पहले आरएसएस से जुड़े जाति सुरक्षा मंच ने अनुसूचित जनजाति (एसटी) से धर्मांतरण करने वाले आदिवासियों को सूची से हटाने की मांग की है। इस सूची के लोगों को नौकरियों, शिक्षा और विधायी निकायों में आरक्षण मिलता है।

भोपाल स्थित संगठन ने दावा किया कि उसने अपनी मांग के समर्थन में देश के 170 जनजातीय बहुल जिलों में रैलियां आयोजित की हैं और विभिन्न दलों के 550 सांसद इसके समर्थन में हैं। मोर्चा के वरिष्ठ पदाधिकारी शरद चव्हाण ने कहा, “एसटी समुदाय के जो लोग धर्म परिवर्तन कर चुके हैं उन्हें आरक्षण या अन्य लाभ नहीं मिलने चाहिए, क्योंकि वे जनजातीय लोगों के लिए हैं। उनसे ऐसे सभी फायदे वापस ले लेने चाहिए।”



साठ के दशक में कांग्रेस सांसद ने उठाई थी यह मांग

दिलचस्प बात यह है कि यह कांग्रेस सांसद कार्तिक उरांव की ओर से पहली बार साठ के दशक में यह मांग उठाई गई थी, जिसे अब आगे बढ़ाया जा रहा है। उरांव ने यह दावा करते हुए इस मुद्दे को हरी झंडी दिखाई थी कि एसटी धर्मान्तरित लोगों को आरक्षण लाभ का एक बड़ा हिस्सा मिल रहा है। इसके बाद 1968 में इस मुद्दे की जांच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति का गठन किया गया था।

3,000 विधायकों और एमएलसी तक पहुंचने की योजना

मंच देश भर में अगले महीने कम से कम 3,000 विधायकों और एमएलसी तक पहुंचने की योजना बना रहा है। साथ गुजरात के एसटी बहुल नर्मदा, वलसाड और भरूच जिलों में चार रैलियां और झारखंड में 11 और छत्तीसगढ़ में 13 और रैलियां आयोजित करने की तैयारी है। मध्य प्रदेश में रतलाम- झाबुआ निर्वाचन क्षेत्र के सांसद गुमान सिंह डामोर और भरूच निर्वाचन क्षेत्र के सांसद मनसुखभाई वसावा ने इस कदम का समर्थन किया है।


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