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पुलिसिया उत्पीड़न से मृत पत्रकार दिनेश मिश्रा के परिवार को सरकार 5 करोड़ मुवावजा, एक आवास व एक सरकारी नौकरी दे- श्रीवास्तव

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पत्रकार पर थर्ड डिग्री से हुई मौत, अमेठी पुलिस पर लग रहा है आरोप।

सुल्तानपुर के पत्रकार की मौत पर जिले की पुलिस हुई मौन, खानापूर्ति में लगे आला अधिकारी।

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के संसदीय क्षेत्र की पुलिस पर पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका संजय गांधी के संसदीय क्षेत्र के पत्रकार की  हत्या लगा आरोप।

ना कोई f.i.r. ना अपराधिक इतिहास ना कोई वारंट फिर भी आतंकियों जैसा व्यवहार, सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की भी अवलेहना कर दी योगी की पुलिस नें।

एक पत्रकार के घर आधी रात को दबिश देते हुए पत्रकार को आतंकी समझ बैठी अमेठी जिले की पुलिस।

वही इस पूरे प्रकरण में सुल्तानपुर जनपद की पुलिस मूकदर्शक बन बैठी है।

“खाकी का इतना बड़ा दुस्साहस” ना पोस्टमार्टम ना अंतिम संस्कार, मृतक पत्रकार के परिवारजनों का रो-रोकर हुआ बुरा हाल।

आईसीआईजे, मीडिया वेलफेयर एशोसिएशन व श्रमजीवी पत्रकार एशोसियेशन नें लिया संज्ञान।

सुल्तानपुर‌। धम्मौर थाना क्षेत्र के रहने वाले पत्रकार दिनेश मिश्रा के घर अमेठी पुलिस नें गुरूवार की देर रात दबिश देने आई थी। पत्रकार के बार- बार यह कहने बावजूद कि मै सुबह थाने पर आ जाऊंगा। पुलिस नही मानी और गेट तोड़ कर घर के अंदर घुस गई।

बताते चलें कि गुरुवार को देर रात अमेठी जनपद के गौरीगंज कोतवाली की पुलिस पड़ोसी जनपद सुल्तानपुर के धम्मौर थाना क्षेत्र में पहुंचकर पुलिस की नज़रों के हिसाब से टप्पेबाजी के संदिग्ध आरोपी मान रही पत्रकार दिनेश कुमार मिश्र के घर पहुंच गए, और अपना पुलिसिया तांडव करने लगे वहीं मृतक दिनेश की बेटी विभा मिश्रा की मानें तो दबिश देने पहुंची गौरीगंज और धम्मौर पुलिस की संयुक्त टीम ने देर रात अमर्यादित व्यवहार करते हुए आवासीय परिसर में दाखिल हो गई।

यही नहीं बल्कि बगैर महिला पुलिस के ही पुलिसकर्मियों ने देर रात दिनेश के घर जमकर तांडव मचाया। पत्रकार की पुत्री विभा की माने तो पुलिस कर्मियों ने बच्चों के कमरे को भी टार्च की रोशनी के जरिए तलाशी ली। वही एसपी अमेठी इलामारन की माने तो धमौर थाना क्षेत्र के निवासी दिनेश कुमार मिश्र गौरीगंज थाना क्षेत्र के बैंक ऑफ बड़ौदा में हुई टप्पेबाजी में सस्पेक्ट में थे, जिसके लिए पुलिस ने देर रात दबिश दी थी।लेकिन मृतक की पुत्री विभा की माने तो पुलिस दबाव बनाते हुए दिनेश जबरन ले जाने की कोशिश की तो दिनेश अपने मकान के दूसरे तल पर जाने लगे और पुलिसकर्मियों से नोकझोंक होती रही और पुलिसकर्मियों ने उनके पापा के साथ द्वितीय तल पर मारपीट की और छत से धक्का दिया जिसके चलते दिनेश चोटिल हो गए और उठ पाने में भी असमर्थ थे।

लेकिन गौरीगंज थाने की पुलिस ने जबरन पत्रकार दिनेश को गाड़ी में लाद लिया और साथ ही घर के अलमारी से एडमिशन के लिए रखे 50000 की नगदी भी उठा ले गए। बेटी की माने तो पुलिस कर्मी पैसा लेने के लिए बराबर दबाव बना रहे थे।जब पुलिस हिरासत में पत्रकार की मौत के मामले ने तूल पकड़ा तो पुलिसकर्मियों के हाथ- पांव फूलने लगे और आनन- फानन में मंडल स्तर के अधिकारियों का जमावड़ा लगने लगा। बताते चले कि पुलिस अधीक्षक अमेठी की माने तो दिनेश छत से गिरने के कारण चुटहिल बताए जा रहे हैं। तो अब सवाल उठ रहा है, कि घटनास्थल से महज 15 किलोमीटर की दूरी पर सुल्तानपुर जिला अस्पताल होने के बावजूद भी 35 किलोमीटर दूर गौरीगंज जिला चिकित्सालय ले जाना भी सवालों के घेरे में है।

वहीं दूसरी तरफ पुलिस हिरासत के दौरान थर्ड डिग्री की चर्चायें आम हैं। सवाल यह कि अब देखना होगा कि आखिर थानाध्यक्ष गौरीगंज समेत अन्य पुलिसकर्मियों पर कार्यवाही कब व क्या होगी। और सवाल यह भी है अगर पुलिस पत्रकार को नही जान पाती हैं कि अमुक व्यक्ति पत्रकार है तो पुलिस फेलियर है, सिपाही हो या दरोगा या हो कोतवाल, अगर उसको अपने क्षेत्र के पत्रकार और संभ्रांत लोगों की जानकारी नही है और ऐसे फेलियर पुलिस से समाज मे हो रही संदिग्ध गतिविधियों की लिखा पढ़ी ऊपर बैठे आलाधिकारी कैसे भेजी जाती होगी इसका तो अब भगवान ही मालिक है।

श्रमजीवी पत्रकार ऐशोसियेशन के मनोज दीक्षित नें संज्ञान लेते हुए घटना की निंदा की है व सरकार से सभी मान्यता प्राप्त व गैर मान्यता प्राप्त पत्रकारों के हितार्थ पत्रकार संरक्षण संवर्धन एक्ट बनानें की बात कही वहीं गौरीगंज कोतवाली की इस घटना में दोषी समस्त स्टाप को तत्काल नौकरी समाप्त करनें की बात कही।

जबकि मीडिया वेलफेयर ऐशोसियेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट कुलभूषण शुक्ला नें पत्रकार दिनेश मिश्रा के साथ हुई पुलिसिया बर्बरता की कडी़ निंदा की है व मामले में आर पार की लड़ाई का ऐलान किया है। उन्होंनें इसे दिनेश मिश्रा के साथ ज्यादती होना न कहकर, समस्त पत्रकार साथियों की आत्मा पर प्रहार कहा है।

वहीं इण्टरनेशनल काउंसिल फार इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट के प्रमुख व ए जागरण मीडिया प्राईवेट लिमिटेड के सम्पादक एडवोकेट/ डाक्टर आनंद कुमार पाण्डेय नें एक अपील करते हुए देश के पत्रकारों से अपील की है कि सभी पत्रकार साथी व आम लोग पीड़ित परिवार की भरसक मदद करें। साथ ही यह लड़ाई हम सब पत्रकार साथी एकसाथ होकर लड़ेंगे। वहीं काउंसिल के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष/ आखिरी सच समाचार वेब मीडिया प्रमुख विनय कुमार श्रीवास्तव नें शासन व प्रसाशन की कलमकारों पर ज्यादती व फर्जी मुकदमों में फँसाये जानें की निंदा की है, वही श्रीवास्तव ने सरकार से यह अपेक्षा की है कि कलमकारों की कलमों की तरलता व सरलता के संरक्षण का जिम्मा सरकार का है, लेकिन शायद सरकारें अपनीं जिम्मेदारियों का य तो निर्वाहन नही कर पा रहीं हैं य फिर वह जिम्मेदारियों से भाग रहीं हैं। सरकार अपनी नीतियों को चौथे स्तम्भ के लिये सही करे। व पत्रकारों के उत्पीड़न पर तत्काल रोंक लगाये। वहीं दिनेश मिश्रा के परिवार को सरकार कम से कम 5 करोड़ मुवावजा, एक आवास व एक सरकारी नौकरी दे।


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