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साइकलिस्ट नंदन नरूला और जामरान हुसैन ने द ग्रेट हिमालयन रेस में विश्व चैंपियन खिताब जीता!

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द ग्रेट हिमालयन अल्ट्रा 600 किमी की रेस 28 घंटे 45 मिनट में की पूरी के जामरान और नंदन ने!

भोपाल! यह भोपाल के लिए बड़ा अचीवमेंट हैं कि यहां के दो साइकलिस्ट नंदन नरूला और जामरान हुसैन ने 27 एवं 28 अगस्त को द ग्रेट हिमालयन रेस चौथे संस्करण में प्रथम स्थान प्राप्त किया । यह रेस भारत ही नहीं बल्कि विश्व की समुद्र तल से सबसे अधिक ऊंचाई पर होने वाली कठिनतम और जटिल अल्ट्रा साइकिल रेस है।

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लेह कारगिल दास और फिर यू – टर्न से लेकर वापस राइडर्स 28 घंटे 45 मिनट में यह रेस खत्म कर सके । यह नॉन स्टॉप रेस है लेकिन कारगिल पहुंचकर अनिवार्य रूप से आराम करना होता है वह उच्च पर्वतीय दौड़ वाला इलाका है , जहां अन्य जगहों के मुकाबले सिर्फ 60 फीसदी ही ऑक्सीजन मिलती है । नंदन और जामरान ने प्रतियोगिता में 600 किमी साइकलिंग की जिसमें उन्हें 10500 मीटर की क्लाइबिंग करना पड़ी । 27 अगस्त रेस शुरू की जिसमें लेह कारगिल दास और फिर यू – टर्न लेकर वापस लौटे । इस दौरान इन्होंने तेज हवाओं के बीच साइकलिंग और कई राइडर्स तो गिर भी गए थे।

 

हमने तय समय से 8 घंटे पहले अपनी राइड को पूरा किया क्योंकि हमारा क्रू गैस स्टोव लेकर चलता था और उन्हें पता होता था कि हमें कब खाने की जरूरत होगी । रेडी – टू – ईट पोहा और उपमा गर्म करते वो हमें देते थे । यह सब एक से दो मिनट में पूरा करते थे तो हमारा समय बच जाता था पीछे दो गाड़िया भी चलती जिसमें भोपाल से यश भदौरिया , वरुण नामदेव , शुभेद्र सिंह और अंकुर सवसेना ने किया । टीम भोपाल के कू को जोशीले प्रदर्शन के लिए ऋत्विक खरे आउटस्टैंडिंग कू अवार्ड से भी सम्मानित किया गया । – नंदन नरूला साइकलिस्ट

कारगिल में साइकिल संभालना मुश्किल हुआ यह रेस लेह ( 11500 फीट ) से शुरू होकर ठीक से , लमायुरू , फोटुला पास नामिकला पास कारगिल दास से होते हुए लेह पर खत्म होती है 1600 किलोमीटर लंबी रेस में लगभग 10500 मीटर की चढ़ाई आई । इस दौरान कारगिल से द्रास साइकलिंग करते हुए सामने से आने A वाली तेज एवं ठंडी हवा के साथ – साथ अत्यधिक तेज धूप कार भी सामना करना – पड़ा । इस जगह सबसे ज्यादा मुश्किल आई और 60 किमी का सफर 4 घंटे में SHE SH चलाना यहां मुश्किल था । जाकर तय हुआ क्योंकि साइकिल पर ऑक्सीजन की इस । इस ऊंचाई 160 प्रतिशत ही TUR रह गई थी । ऐसे में सफलतापूर्वक रेस समाप्त करने के लिए यह आवश्यक था कि राइडर्स रहते अपने आप को पहाड़ों की परिस्थिति के लिए एक्लाइमेटाइज करें , जिसके लिए टीम भोपाल 10 दिन पहले ही लेह पहुंच कर अपनी ट्रेनिंग पर ध्यान देने लगी थी। -जामरान हुसैन , साइकलिस्ट

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