पत्रकारिता करना आसान नही उत्तर प्रदेश में, योगी सरकार करवा रही पत्रकारों का उत्पीड़न, एक श्रंखला पत्रकार उत्पीड़न पर।
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि योगी टू में पुलिस बेलगाम हो गई है। पुलिस ने ऐसे पत्रकारों को चुन- चुनकर झूठे मुकदमों में फंसाकर जेल भेज रही है, जिन्होंने पुलिस और माफियाओं के गठबंधन को खोलने का प्रयास किया। योगी वन के समय पुलिस एक्का दुक्का पत्रकारों पर फर्जी मुकदमें दर्ज कर रही थी, लेकिन जैसे ही योगी टू की शुरुआत हुई तो पत्रकारों पर फर्जी मुकदमों की संख्या बढ़ने लगी।
डिटेक्टिव रिपोर्टर के संपादक श्री जाकिर भारती को देख रहे हैं, अलीगढ़ निवासी संपादक पर कोतवाली नगर अलीगढ़ पुलिस ने 08/12/2021 को सट्टा संचालकों से सांठगांठ कर पोक्सो एक्ट के एक फर्जी मुकदमा अपराध संख्या 0319/2021 दर्ज कर श्री जाकिर भारती को अलीगढ़ से बर्बाद कर दिया। ये योगी वन की पुलिस थी। वैसे तो पुलिस का यह सिलसिला हर सरकार में लगातार जारी रहता है। लेकिन अब जो हो रहा है वह बहुत तेज गति से चल रहा है। कभी नोएडा पुलिस तो कभी बांदा पुलिस पत्रकारों पर लगातार फर्जी मुकदमें दर्ज करने के रिकॉर्ड बनाने की होड़ में लगी है।
श्री अजय सिंह भदौरिया अध्यक्ष जिला पत्रकार संघ फतेहपुर
वहीं प्रतापगढ़ के अर्जुन गुप्ता पर केस मारपीट का मामला हो य रायबरेली जनपद के सलोन के तीन पत्रकारों के फर्जी उत्पीड़न का मामला रहा हो, लगातार आईसीआईजे उत्पीड़ित पत्रकारों की आवाज बनता रहा है, इसी क्रम में आईसी आईजे के वरिष्ठ उपाध्यक्ष हमारे आखिरी सच परिवार के कर्ता- धर्ता विनय कुमार श्रीवास्तव पर भी एक एससी एसटी एक्ट का मुकदमा गाजीपुर जनपद में उस निठल्ले एसेचो रमेश द्वारा लगाया गया जिस हिटलर शाही के मामले में देश य संयुक्त राष्ट्र में ही नही वैश्विक स्तर पर खिताब मिलना ही चाहिए। जहां भी बंदा रहा लोगों का विशेषकर गरीबों का ही शोषण किया गया यहां तक की मार तक डाला गया लेकिन वह गोरखपुर जनपद के कोहटा रुप के जगदीश का लाल गाजीपुर में लाईन हाजिर होनें के बाद मरदह थानें में तैनाती पाता है व बैट्री चोरी के तथाकथित दोषी को पीट पीटकर मार देता है फिर वही विभागीय ड्रामा करके गैर जनपद स्थानांतरण कर दिया जाता है, उक्त दरोगा आज जनपद जौनपुर के चंदवक थानें में तैनात है, जिसका रस्सी को सांप बनानें का काम बदस्तूर जारी है, योगी पकड़ का यह है असर।
जबकि दूसरा मुकदमा 7 जून 2022 को कानपुर पुलिस द्वारा केवल इसलिए हमारे बुनियाद पर केवल इस लिये लादा गया कारण श्रीवास्तव जी नें गूगल पर वर्णित स्वतंत्र भारत का प्रथम बलात्कारी…….. आलेख को गूगल पर संकलित जानकारी के आधार पर प्रकाशित किया था। जिसको पंजीकृत करवाया है। कानपुर जेल भेजे गये अभियुक्त धनीराम पैंथर नें जिसे 2014 में तत्कालीन एडीजे 11 सर्वेश चंद्र पांडेय की कोर्ट में ग्वालटोली थाने से राज्य बनाम बबलू पासी और अन्य के खिलाफ हत्या का मामला चल रहा था।
जिसमें शासकीय अधिवक्ता मनोज वाजपेयी ने बताया कि 17 अगस्त 2004 में मो. लतीफ की हत्या हुई थी। लतीफ की मां ने 20 नवंबर 2004 को धारा 156(3) के तहत रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसमें धनीराम पैंथर को भी नामजद किया गया था। बाद में विवेचक ने धनीराम पैंथर के पक्ष में फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी। इसलिए धनीराम पैंथर का नाम हटा दिया गया था।
जबकि ट्रायल के दौरान मो. लतीफ की मां ने अपने बयान में धनीराम पैंथर के हत्या में शामिल होने की बात कही। इस पर कोर्ट ने धारा 319 के तहत धनीराम पैंथर को अभियुक्त मानते हुए तलब किया था। बुधवार को धनीराम पैंथर कोर्ट में हाजिर हुए और अंतरिम जमानत अर्जी लगाई। कोर्ट ने उनकी जमानत अर्जी खारिज कर न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया था।
इस शिकायत के पीछे का कारण आखिरी सच वेब समाचार पर दिनांक 1 जून को प्रसारित पहला समाचार था। जिसमें केशव प्रसाद मौर्य का नाम निकलकर सामनें आया था। जिसे हमारे प्रमुख नें सार्वजनिक भी कर दिया था। जिसके क्रम में धनीराम पैंथर नें अपनें आका की गुलामी करते हुऐ श्रीवास्तव पर यह मुकदमा करवाया था। इस पर भी पेट नही भरा तो जेल भेजनें का भी काम इन सत्ता के भांटों द्वारा करवाया गया।
जबकि उक्त आलेख को प्रकाशित करनें के मुख्य आशय गूगल दोषी को दिखानें का प्रयास आखिरी सच की ओर से किया गया था, लेकिन बैसाखी लगाकर अयोग्यता व खैरातखोरी के दम पर कुर्सी पानें वालों से यही अपेक्षा की ही जा सकती है।
उत्तर प्रदेश ही क्या सम्पूर्ण भारत में आजकल पत्रकारों के साथ लगातार फर्जी मुकदमे दर्ज करने की घटनाएं सामने आ रही हैं हाल ही में बांदा जिले के थाना नरैनी में अवैध खनन को लेकर वहां के नरैनी क्षेत्राधिकारी द्वारा खनन माफियाओं के साथ मिलीभगत होने के चलते सात पत्रकारों पर रंगदारी का मुकदमा दर्ज करवा दिया ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है।
जब भी कोई पत्रकार इमानदारी से पत्रकारिता करने की कोशिश करता है, तभी पत्रकार को फर्जी मुकदमा और उसके साथ मारपीट आदि करके उसके कैमरे तोड़कर उसे फंसा दिया जाता है। पत्रकारों का उत्पीड़न में चलता रहा है।
पिछले 20 सालों से पत्रकारिता व समाज सेवा करते हुऐ हम देखते आ रहे हैं। सरकार किसी की भी हो माफिया उसी के साथ लग जाते हैं। इसका बड़ा कारण है, पुलिस- प्रशासन का भ्रष्टाचार में लिप्त होना। हमने कई सरकारें बनते और बिगड़ते और शासन करते देखी है। योगी की भी पहली सरकार देखी, लेकिन आज योगी टू में जो हालत इमानदार पत्रकारों की बनी हुई है। वह अब तक की पिछली चार पांच सरकारों में कभी नही थी। योगी फर्स्ट में भी कुछ धरबर था लेकिन योगी सेकंड में तो पत्रकारों को पूरी तरीके से मुट्ठी में रखने का मिशन सरकार व सरकारी मशीनरी और राजनीतिक संरक्षण प्राप्त गुंडों के द्वारा चलाया जा रहा है।
पूरे उत्तर प्रदेश में जगह-जगह अवैध धंधे चलाए जा रहे हैं। माफियाओं को पुलिस का संरक्षण प्राप्त है। जिसमें अवैध खनन से लेकर निर्माण कार्य, प्लॉटों के कब्जे, जमीनों के कब्जे, सरकारी ठेका आदि में धांधली एक आम बात है। अवैध शराब का निर्माण व बिक्री तक का काम सत्ताधारी दल के संरक्षण में चल रहा है।
वास्तविकता यह है कि पत्रकार इस सच्चाई को कहने की हिम्मत नहीं जुटा रहे हैं। क्योंकि लगातार एक के बाद एक पत्रकार को फर्जी मुकदमे दर्ज कर जेल भेजा जा रहा है। ऐसी स्थिति में हम लोग पत्रकारों का समर्थन करने में उन्हें कानूनी मदद देने के लिए हमेशा की तरह पत्रकारों के साथ हैं।
वहीं चाहे निखिल शर्मा समाचार दर्पण (एसडी) लाइव के संचालन को 4 माह तक बंधक बनाया जाना रहा हो, य एससी एसटी एक्ट लगाया जाना रहा हो, यह सभी मामले देश व समाज की अखंडता व एकता के लिये ग्रहण मात्र हैं। इस मामले में उत्तर प्रदेश भर के पीड़ित और गैर पीड़ित समस्त पत्रकारों से बातचीत और सम्पर्क किया जा रहा है। यह एक गंभीर मामला है। हम किसी भी सूरत में अपने पत्रकार साथियों के साथ हो रहे अत्याचार को बर्दाश्त नही करेंगे। पत्रकारों पर लगातार दर्ज किये जा रहे फर्जी मुकदमों के मामलों में हम सड़क से लेकर न्यायालयों तक मजबूती से लड़ेंगे।
-विनय श्रीवास्तव
वरिष्ठ उपाध्यक्ष
इंटरनेशनल काउंसिल फार इंवेस्टीगेटिव जर्नलिस्ट उ०प्र०।
सरकार और पुलिस-प्रशासन देश के पत्रकारों को अकेले समझने की भुल न करें। ये आखिरी लड़ाई साबित होगी। योगी सरकार में सच्चाई सामने रखने पर पत्रकारों पर फर्जी मुकदमें दर्ज होने का सिलसिला लगातार बढ़ता जा रहा है। अब ये बर्दाश्त से बाहर हो रहा है ~
पत्रकार सुरक्षा संयुक्त मोर्चा।