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सुरेश खन्ना माननीय मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार, बनें मानव अंग तस्कर डा० दीक्षित के संरक्षक, दिव्यांग हाईकोर्ट वकील अवस्थी व परिवार का नियोजित उत्पीड़न, राष्ट्रपति महोदय भी चुप।

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लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी की सरकार जैसे ही 2014 में केंद्र पर काबिज होती है तभी से चुन- चुन कर ब्राह्मणों का उत्पीड़न सत्ता के चाटुकार दलाल ब्राह्मणों के द्वारा ही शुरू किया गया, यहां तक की ब्राह्मण ही नही हर जाति वर्ग के सक्षम द्वारा अपनें से मजबूर का उत्पीड़न लगातार जारी है, जिसमें जन आर्थिक तालेवरों का साथ सत्तासीन मंत्री, स्थानीय शासन व प्रशासन देकर गरीबों को यहां तक की विकलांगों मोदी द्वारा तथाकथित दिव्यागों की भी परिसम्पत्तियों पर लगातार यह धनपशु निगाहें गड़ाये हुऐ हैं।

आज हम एक ऐसे मामले को आप सभी के समक्ष लेकर आये हैं। जो उत्तर प्रदेश की राजधानी के बख्शी का तालाब थानाक्षेत्र का है, एक दिव्यांग वकील साहब जो की जाति से ब्राह्मण हैं व मूल रूप से सुल्तानपुर जनपद के हैं, लेकिन वर्तमान में लखनऊ के ही वासी बन गये हैं, जबकि गांव की परिसम्पत्तियों को उत्पीड़न से उकताकर बेंच चुके हैं। व लखनऊ में ही शान्ति की तलाश में बस गये। लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था उनका उत्पीड़न मानव अंग के तस्कर डाक्टर सोमशेखर दीक्षित जिन पर कई मानव अंग तस्करी के मुकदमें पंजीकृत हैं, लेकिन सत्ता की मंजिल तक विधायकों को पहुँचानें में आर्थिक सहयोग करनें वाले इस डाक्टर व इसके गैंग का संरक्षण सत्ता, शासन व प्रशासन लगातार कर रहा है, तभी हाईकोर्ट के इस वकील की पीड़ा को सुननें का समय किसी के भी पास नही है।



पीड़ित दिव्यांग वकील दीक्षित जी द्वारा राष्ट्रपति को प्रेषित पत्र शायद यह भी पढ़े लिखे नही होते हैं, य दिमागी रूप से गुलाम होते हैं।

सेवा में,

महामहिम राष्ट्रपति महोदय, भारत सरकार, नई दिल्ली।

विषय: प्रार्थी का प्रकरण संपूर्ण भारत वर्ष का एक बेहद गंभीर मामला है, अतैव न्यायहित में अविलम्ब इसका विधिवत अवलोकन कर संपूर्ण प्रकरण की समस्त एफ० आई० आर० व घटनाओं पर सी० बी० आई० जाँच का आदेश पारित कर दोषियों के विरुद्ध कठोरतम कार्यवाही करा न्यायोचित आदेश पारित करने के संबंध में।

मान्यवर,

प्रार्थी/ अपाहिज है, सादर करबद्ध निवेदन करते हुए निम्नलिखित प्रकार से करूण विनम्र निवेदन करता है।

1. यह कि प्रार्थी अनेको विभिन्न जटिल रोगों से ग्रसित एक अपाहिज व बेहद गरीब व्यक्ति है- प्रार्थी के पास संपूर्ण भारत वर्ष में मात्र 11 बिस्वा जमीन है। उसी पर दो कमरों पर टीन शेड डालकर उसी पर अपने नाबालिग बीमार पुत्र आशुतोष बिना पढ़ी लिखी ग्रामीण परिवेश की उसकी माँ संग भयंकर भय व आतंक के माहौल में डर- सहम कर गुजर बसर किसी तरह से सुनसान जगह पर ग्राम मामपुर बाना थाना बक्शी का तालाब जिला लखनऊ में कर रहा हूँ। विकलांगता प्रमाण पत्र संलग्नक संख्या- 1 है।

2 प्राथी की जमीन के बायत मेरे द्वारा दाखिल याचिका सं० (2753) 2014 व W.P. No. 80 54 (M/ S) 2014 में पारित आदेशोपरांत एस० डी० एम० सदर लखनऊ द्वारा दिनाँक 11.05.2015 को जमीन का विवाद पर फैसला कर दिया गया है। परन्तु दागी वकील, पुलिस, राजस्व अधिकारी, प्रार्थी के विपक्षी डा ० सोमशेखर व जयप्रकाश के प्रलोभन में आकर कुछ नहीं मान रहे हैं, और जबरदस्ती प्रार्थी की जमीन हड़पना चाहते है। राजस्व अभिलेखो में प्रार्थी का नाम दर्ज है। आधार कार्ड, बिजली बिल निर्वाचन आयोग आदि का प्रमाण हमारे पास मौजूद है। माननीय हाईकोर्ट के आदेशों को संलग्न कर रहा हूँ, जो संलगनक संख्या जिन्हें संलग्न कर रहा हूँ। जो सलग्नक संख्या 2, 24, 28, 2C तथा 2D है।
3. यह कि राजस्व अभिलेखों में भी प्रार्थी का व उसके नाबालिग पुत्र आशुतोष द्विवेदी का नाम दर्ज है। क्योंकि जमीन प्रार्थी के नाबालिग पुत्र आशुतोष द्विवेदी के नाम सखरीदी गई थी। खतौनी खसरा आधार कार्ड, बिजली बिल व निर्वाचन आयोग के आई० डी० कार्ड की छायाप्रतियों संलगनक संख्या 3. 3A . 3B , 3C तथा 3F है।



4. यह कि प्रार्थी के उक्त घर/ जमीन को सफेदपोश अमरपति डा० सोम शेखर दीक्षित जिस पर मानव अंगों की तस्करी व गौ तस्करी जैसे घिनौने आरोप लग चुके है। अपने चचेरे दबंग दामाद जयप्रकाश शुक्ला संग गैंग बनाकर अपने ब्लैकमनी व राजनैतिक रसूख के दम पर उक्त जमीन प्रतिष्ठा का विषय बनाकर हड़पना चाहता है, और विगत वर्षो से हमारा सपरिवार जीना दुश्वार कर दिया है।
5. यह कि उक्त डा० सोमशेखर दीक्षित, जय प्रकाश शुक्ला संग माह- मार्च 2014 से ही अपनी अकूत ब्लैकमनी के दम पर एक बेहद सशक्त गिरोह का संचालन बखूबी कर रहा है। जिसमें लखनऊ के गुण्डे किस्म के वकील, पुलिस अधिकारी राजस्थ अधिकारी, राजनेता, क्षेत्रीय हरिजन सब को मुँह मांगा लाखो रूपये व अन्य प्रलोभन देकर हमारा जीना हराम कर दिया है।
6. यह कि उक्त डा० सोमशेखर से रूपये लेकर उसका सब काम उक्त जय प्रकाश शुक्ला करता है, जो लोगों को रूपये गिफ्ट में अन्य प्रलोभन देकर खरीद लेता है, और उनके अवैधानिक काम जैसे हम पर हमले करवाना फर्जी F.I.R. लिखवाना, अनेकानेक प्रकार से प्रताड़ित करवाना आदि करता है। प्रार्थी के गाँव कटारी रूपमेश कुमारी अनारकली का उच्च न्यायालय आदि में पुलिस आदि में भी फर्जी शिकायतों के यह कि उक्त जयप्रकाश शुक्ला ने अपने के दम पर शातिर दिमाग की उपज द्वारा झूठ फरेव आदि का इस्तेमाल कर कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना P.CS ज्योत्सना यादव उनके L.A.S, पति राजकमल यादव दागी व गुण्डा के धानिक कृत्य करने वाले ग्राम मामपुर बाना के बेरोजगार व दबंग हरिजनों को लाखों रुपये देवर हमारे पुत्र पत्नी आदि पर अनेको प्राणघातक हमले पर जमीन पर कोर्ट में थाने के अंदर अनेको जगह अनेकों बार करवा चुके है। जिसके हाईकोर्ट लखनऊ में W.P. No 8984 MB ) W.P. No. 18216 ( M / B ) 2014 W.P. No. 3780 ( M / B ) 2015 . 2017. W.P. No. 13177 ( M / B ) 2017 W.P. No. 16899 ( M / B ) 2019 तथा किमिनल रिवीजन संख्या -1116 / 2018 किमिनल रिवीजन संख्या -712 / 2019 आदि याचिकाओं रिवीजनों को न्यायहित में अविलम्ब मँगवाकर या स्टेट ऑफ यू० पी० सरकार से फोटो कापी करवा कर विधिवत अवलोकन करें तो प्रकरण की स्थिति क गंभीरता स्वतः स्पष्ट हो जायेगी और स्पष्ट हो जायेगा कि प्रार्थी का प्रकरण संपूर्ण भारतवर्ष का विरले से विरलतम श्रेणी का बेहद गंभीर प्रकरण है, जिसमे मेरा पूरा परिवार टूट चुका है, और बर्बाद हो चुका है। प्रार्थी माननीय हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेशों को संलग्न कर रहा है जो संलग्नक संख्या 4, 4A, 5, 5A, 5B5C है।
5 प्रार्थी शुरूआत में थाने से लेकर अब तक CO, Add S.P, S.S.P, D.I.G, I.G, A.D.G, D.G.P, D.M . प्रमुख सचिवों सभी जगह दौड़ते- दौड़ते लिखा पढ़ी कर टूट चुका है।” हमे अनेकों बार सपरिवार थाने के अंदर घर के अंदर पुलिस व विरोधियों द्वारा मारा गया है। लूटा गया घर में नजरबंद कर दिया गया ताकि हम अपने चोटो का मेडिकल व दवा ईलाज कोई कार्यवाही आदि न कर सके। इज्जत आवस सब लूट ली गई बर्बाद कर दी गई पुलिस ही हमारे शत्रुओं संग राजनैतिक दबाव व प्रलोभन में आकर दुश्मन बन गई है। हमारी जायज एफ० आई० आर० तक नहीं लिखी जाती है। पूरा परिवार हर समय 24 घंटे मौत के मुहाने पर खड़ा है।
9. यह कि प्रार्थी द्वारा दर्ज एफआईआर मुकदमा अपराध संख्या 223/2016 धारा 147 , 326 324 458, 323, 504, 506, 120 आई० पी० सी० [ पंजीकृत थाना बसी का ताला लखनऊ में दिना के नाम पर विवेचकों ने हमारे साथ हाईकोर्ट लखनक द्वारा याचिका सं ० 12200 ( M / B ) 2016 W.P. No. 5388 ( M / B ) 2017 में जहाँ दो माह में विवेचना निष्पक्ष कर समाप्त करने का आदेश पारित किया।” वहाँ सी० ओ० स्तर के विवेचकों ने 4 वर्ष से भी ज्यादा का समय लगाया विवेचना घोर लापरवाही उदासीनता अपने पद व प्रभाव का दुरूपयोग आदि जो जो कृत्य किया है। वह आज तक भारत वर्ष के इतिहास में कहीं पर भी नहीं हुआ होगा। पूरी ताकत प्रभावशाली मुल्जिमानों को बचाने के लिये पुलिस अधिकारियों ने लगा दी।
प्रा र्थी माननीय हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेशों को संलग्न कर रहा है जो संलग्नक संख्या 6 व 7 पर लगे हैं।
10. यह कि उक्त सोमेश्वर दीक्षित व जय प्रकाश शुक्ला ने अपने बेहद करीबी कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना द्वारा पूर्व नियोजित षडयंत्र रचकर माननीय हाईकोर्ट के आदेशों को दरकिनार कर मंत्री जी ने 06.05.2017 को एक पत्र जिलाधिकारी लखनऊ को लिखा तथा अपने पद प्रभाव का नाजायज दुरूपयोग कर पुलिस पी० सी० लगवाकर दि० 22.06.2017 को मेरे घर धावा बोल, अंदर घुसकर नारपीट लूटपाट आदि करवाया। पुलिस ने हमारे विपक्षी संग मिलकर वो नंगा नाच/ ताडव रचाया जो शायद आज तक संपूर्ण भारतवर्ष में न हुआ होगा। उपरोक्त कुकृत्यों के बाबत संबंधित प्रपत्रों की सलग्न कर रहा हूँ। जो 9A, 9B, 9C 9D व 9E है।
11. मान्यवर आजाद भारतवर्ष का यह पहला प्रकरण होगा जहाँ हाईकोर्ट लखनऊ में WP . No. 13177 ( M / B ) 2017 में दिनाँक 02.06.2017 को पारित आदेशोपरांत भी मेरी एफआईआर कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना की साठगांठ में अरबपति अपराधी डा० सोमशेखर के प्रभाव के नहीं लिखी गई जबकि मेरे नाबालिग पुत्र आशुतोष को लगभग 11 वर्ष की आयु से ही उसका बचपन रौंद डाला गया इतना ज्यादा सताया कि उसे पैनिक अटैक आने लगे और आज भी वह अवसादग्रस्त हालात में दया इलाज के बलपर जी रहा है। मेरी अपाहिज अनपढ़ लाचार गरीब पत्नी व परिजनों के साथ घोर अत्याचार विगत वर्षों से अनवरत जारी है। प्राथी उपरोक्त प्रकरण से संबंधित मा० हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेशों को संलग्न कर रहा है जो संलग्नक संख्या 10, 11 व 11ए तथा 11बी है।
12. यह कि प्रार्थी के विपक्षी सोमशेखर दीक्षित बिल्डर जय प्रकाश शुक्ला काफी फ्राड शातिर किस्म के है, जिसके बादत मुकदमा अपराध सं० 132/2015 धारा 420, 467, 468, 471 आई० पी० सी० पंजीकृत थाना कैसरबाग लखनऊ में माननीय हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश को संलग्न कर रहा है, जो संलग्नक संख्या 12 है।



13. यह कि प्रार्थी ने अपने प्रकरण में माननीय हाईकोर्ट में क्रीमिनल रिवीजन न ० 1116/2018 विचाराधीन है, जहाँ कोर्ट जाने पर भी मेरी पत्नी पर दागी वकीलों के गैंग ने विपक्षी संग मिलकर हमला किया था काफी चोटे आयी थी जो संलग्नक संख्या 13 है। इसके अतिरिक्त कन्टेम्ट आदि याचिका दाखिल की है जिन्हें सलग्न कर रहा हूँ जो संलग्नक संख्या 14, 15, 16 व 17 है। 14. यह कि मुझ अपाहिज व मेरे नाबालिग पुत्र पत्नी के खिलाफ Inquiry Case” से चार्जशीट दाखिल की गई और” मेरे द्वारा लिखाई गई F.I.R. में जहाँ अनेको छोटे है तीनों लोगों को गंभीर चोटे हैं जिसपर विवेचकों ने F.R. लगा दी। न्याय का गला घोट डाला प्रार्थी के प्रकरण में Total System Fail हो चुका है। प्रत्येक जगह स्तर पर कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना आई० ए० एस० राजकमल यादव व अरबपति सफेदपोश अपराधी डा० सामशेखर दीक्षित हावी हो चुके है। हमारा सब बर्बाद य तहस- नहस कर ” डाला है इन लोगों ने ” हमारे फर्जी बयान अपने मन से लिख लिया फर्जी गवहों के बयान खूब लिखे गये, जिनसे घटना का दूर- दूर तक कोई लेना देना ही नहीं है जो खेल खेला गया है वो संपूर्ण भारत देश में आज तक किसी के भी साथ ऐसा शत्रुवत व निदनीय कृत्य न किया गया होगा। सभी नियम – कानून पुलिसवालों ने ताक पर रख दिया अपना जमीर बेंच डाला इंसानियत व न्याय की हत्या कर डाली। पूरा शासन प्रशासन हमारे खिलाफ लामबंद है, हमे किसी भी कीमत पर उत्तर प्रदेश राज्य की सीमा के अंदर न्याय नहीं मिल सकता है। प्रार्थी ने माननीय हाईकोट, लखनऊ में सी० बी० आई० जाँच हेतु याचिका स० 16899 (एम० बी०)/ 2019 दाखिल की है, जो विचाराधीन न्यायालय है। उसमे दि० 07.06.2019 को पारित आदेश संलग्न कर रहा हूँ जो संलग्नक संख्या 18 है।
15. यह कि प्रार्थी मा० प्रधानमंत्री महोदय के कार्यालय के निवास तथा श्री मानजी गणों के यहाँ, दिनांक 27.03.2018 को अनेको संलग्नक प्रपत्रों मय 94 पृष्ठ का प्रार्थना पत्र भेजा, फिर सूचनाधिकार के तहत सूचनाएं माँगी प्रथम व द्वितीय अपीले मा० केन्द्रीय सूचना आयोग में की तथा मा० मुख्यमंत्री व मुख्यसचिव आदि के यहाँ अनेकों पत्र भेज न्याय माँगा, प्रत्येक जगह अपने प्रकरण पर सीबीआई जांच की माँग की सूचनाएं मांगी, राज्य सूचना आयोग में अनेकों अपीले की, परन्तु दुख के साथ आश्चर्य का विषय यह है कि प्रार्थी के प्रकरण में सभी आयोग बेईमानी साबित हुये प्रधानमंत्री कार्यालय से मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश को कार्यवाही हेतु निर्देशित किया गया, परन्तु उन्होने कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना व आई० ए० एस० राजकमल यादव का नाम देखते ही प्रकरण को बंद कर दिया। प्रार्थी उपरोक्त प्रार्थना पत्र दिनांक 27.05.2018 व केन्द्रीय सूचना आयोग द्वारा पारित आदेश व मुख्यसचिव, उत्तर प्रदेश द्वारा 21 मई 2016 को केस बंद किये जाने के बावत प्रपत्रों को संलग्न कर रहा है जो संलग्नक संख्या – 19, 19 ए तथा 20 व 21 है।
16 यह कि “प्रार्थी ने दिनांक 27.03.2018 को अपने ७८ पृष्ठ संलग्नक के प्रार्थना पत्र राज्य मानवाधिकार में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तथा सम्मानीय मुख्य न्यायाधीश महोदय भारत नई दिल्ली को भी पत्र भेजा था व सूचनायें मांगी प्रथम व द्वितीय अपीले का परन्तु आज तक कोई भी संतोषजनक कार्यवाही किसी भी स्तर से नहीं हो सकी है। “समस्त प्रकरण लीपा पोती कर समाप्त कर दिया गया है। प्रार्थी माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई उपरोक्त कार्यवाही दि० 16.05.2018 व दि० 07.07.2020 के बादत प्रपत्रों को संलग्न कर रहा है जो संलग्नक संख्या 22 तथा 23 है। 17. यह कि प्रार्थी के विरोधियों पर मेरे और मेरी पत्नी द्वारा दर्ज कराई गई 14 एफआईआर के बावत प्रपत्र संलग्न कर रहा हूँ जो संलग्नक संख्या -24 है, तथा विपक्षीगण कोर्ट द्वारा सशर्त जमानत पर रिहा है। आदेश को सलग्न कर रहा हूँ, जो संलग्नक संख्या- 25 है। प्रार्थी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा दि० 26.07.2018 को पारित आदेश को संलग्न कर रहा है, जो संलग्नक संख्या -28 है तथा राज्य मानवाधिकार आयोग द्वारा दि० 22.04.2019 द्वारा पारित आदेश को भी संलग्न कर रहा है, जो संलग्नक संख्या 26 ए है। इसके बाद समस्त प्रकरण समाप्त कर दिया गया। “जबकि उसे प्रार्थी स्पष्ट रूप से कई बार लिख चुका है राज्य के अंदर न्याय प्रार्थी को किसी भी कीमत पर न्याय नहीं मिल सकता “जिसके बावत दि० 02.07.2018 को लिखे गये पत्र को संलग्न कर रहा हूँ, जो संलग्नक संख्या -27 है।

18. यह कि प्रार्थी महामहिम राष्ट्रपति महोदय को दि ० 22.02.2019 को अपनी हिमालय पर्वत सी पीड़ा को संक्षेप में लिखकर पत्र प्रेषित किया व महामहिम राज्यपाल महोदय को भी दि० 22.02 2019 को पत्र प्रेषित किया, परन्तु दुर्भाग्य का विषय है कि भारतवर्ष में किसी भी स्तर से न्याय नहीं मिल सकता है। दोनों पत्रकों को संलग्न कर रहा हूं, जो संलग्नक संख्या -28 29 है। तथा प्रार्थी पूर्व में ही अपने प्रकरण से संबंधित न्यूजपेपर में छपी खबर को संलग्न कर रहा है। जो सलग्नक संख्या -30 है।



19. यह कि प्रत्येक जगहों/ उच्च संस्थानों/ आयोगों आदि से सिर्फ कागजी खानापूर्ति कर हमारे साथ छलावा किया गया है। ऐसी स्थिति में भारतवर्ष में किसी भी छोटे- बड़े पदों पर आसीन अधिकारियों का संस्थानों व आयोगों का कोई औचित्य नहीं है जो व्यक्ति सबल है धनवान है, प्रभावशाली है. उसका कोई बाल बाँका नहीं कर सकता है। ” भारत के संविधान के अनुसार समानता का अधिकार सरासर झूठ व गलत है, छलावा है, आम जनता के साथ धोखा है।” कहाँ है आपका बाल आयोग? कहाँ है आपका महिला आयोग ? कहाँ है आपका राज्य/ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग? कहाँ सो गई भारत की न्यायपालिका जो त्वरित न्याय प्रदान कर दें? A B C D E- जब आतंकवादी कसाब के लिए रात में कोर्ट खुल सकती है तो हमारा प्रकरण क्यों नहीं सुना जा रहा है? मान्यवर यदि भारतवर्ष के महामहित राष्ट्रप्रति महोदय, प्रधानमंत्री महोदय सम्मानीय मुख्य न्यायाधीश महोदय व देश प्रदेश के संवैधानिक व उच्च पदों पर आसीन सभी लोग अक्षम है, असहाय है, मेरे बेहद गंभीर प्रकरण (जहाँ 4-5 जिंदगिया दाँव पर है।) के लिए समय नहीं है तो क्यो न मुझे मेरे पुत्र – पत्नी व माँ – बच्ची (9 वर्ष) आदि सभी को इच्छा मृत्यु दे दी जाय?
20. यह कि यदि आतंकवादी कसाब ‘ के लिये रात के समय मा० सुप्रीमकोर्ट खुल सकता है तो हम यदि भारतवर्ष के गरीब व असहाय लोग है और प्रत्येक जगह से टूट चुके है तो हमारे लिये माननीय सुप्रीमकोर्ट/ हाईकोर्ट क्यों नहीं समय दे सकता है? क्या हमारे देश के प्रधानमंत्री इतने व्यस्त है कि हमें अपने जीवन के मात्र 10-15 मिनट भी नहीं दे सकते हैं? वह भी तब, जब उन्हीं के पार्टी के कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना ने हमारा जीना मुश्किल कर दिया है।
21. जब एक सफेदपोश अरबपति डा० सोमशेखर समाज में नकली मुखौटा लगाये, आपराधिक मानसिकता से लबरेज हो अपने चचेरे दामाद जय प्रकाश शुक्ला संग मिल विगत वर्षों से सशक्त गँग बना पुलिस, वकील, गुण्डे अधिकारी, राजनेता सब की फौज खड़ी कर दी है तो हम कहाँ जाये? किसकी शरण में जाय? आखिर कब न्याय होगा हमारे साथ? ” महोदय, “पुलिस ने प्रार्थी के प्रकरण में विवेचना के नाम पर जो घोर लापरवाही, अत्याचार मा० हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेशों का भी मजाक बनाया है, वह शायद भारत देश में आज तक नहीं हुआ होगा। “मान्यवर, मुझ अपाहिज व गरीब के पीछे I.A.S., P.C.S., P.P.S. राजनेता, दागी गुण्डे क्षेत्रीय हरिजन सब पर कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना के दबाव में दि० 22.05.2017 को किया नया, जिसका विस्तृत वर्णन मेरे द्वारा दाखिल W.P. No. 13177 ( M / B ) 2017 W.P. No. 16899 ( M / B ) 2019 में लिखित प्रार्थी व उसके नाबालिग पुत्र पत्नी आदि पर ढाये गये जुल्म व अत्याचार का वर्णन शब्दों में कर पाना असंभव है। हम सपरिवार घोर मानसिक संत्राश, विषम वेदना में जी रहे है । अब पूरा परिवार टूट चुका है। हमारे पूरे परिवार पर लगातार गंभीर खतरा उत्पन्न है धमकियाँ विरोधियों द्वारा तथा पुलिस अधिकारियों द्वारा लगातार दी जा रही है। सभी उम्मीदें समाप्त हो चुकी है, आय का कोई स्रोत नहीं है। वेदना व दुख जुल्म अत्याचार बताने के लिये अब शब्द नहीं है। रक्षक ही भक्षक बन चुके है। न्याय की आखिरी उम्मीद को लेकर यह अंतिम पत्र आप लोगों को प्रेषित कर रहा हूँ, क्योंकि आगे अब जीवित रहना सपरिवार के लिए असंभव है। स्थिति अत्यन्त मयावह व बेहद गंभीर है।
22. यह कि प्रार्थी ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन महोदय से स्पष्ट प्रार्थना की कि प्रार्थी का प्रकरण उत्तर प्रदेश ना भेजा जाय परन्तु कोई सुनवाई नहीं हुई है, जिसके बावत 02.07.2016 को प्रेषित प्रार्थना पत्र सलग्न कर रहा हूँ जो संलग्नक संख्या -27 है, डिलिवरी प्रूफ जो सलग्न कर चुका हूँ जो सलग्नक संख्या – 27 ए है, व कुकर्म, हमले आदि घर में घुसकर विपक्षी व पुलिस द्वारा किये जा रहे है। “थाने से लेकर कोर्ट जाने पर भी हम मारे जाते है। फाइले छिनकर फाड़ दी जाती है, कहीं कोई सुनवाई नहीं हो पा रही है हमारे साथ लगातार घोर अत्याचार आये दिन होता जा रहा है। हम जाये तो कहाँ जाय? अतः हम सपरिवार करबद्ध होकर श्रीमानजी से करूण विनम्र प्रार्थना करते है कि उक्त वर्णित समस्त तथ्यों व परिस्थितियों संग सलग्नक मा० हाईकोर्ट लखनऊ व माननीय सुप्रीम कोर्ट एवम् आयोगों के आदेशों व अन्य प्रपत्रों पर विधिवत बेहद गंभीरतापूर्वक विचार कर अवलिम्ब हमारे साथ माह मार्च 2014 से अब तक घटी सभी घटनाओं / F.I.R. जो मेरे व मेरी पत्नी द्वारा लिखाई गई है तथा जो मेरे व मेरे नाबालिग पुत्र आशुतोष द्विवेदी व पत्नी के ऊपर लिखाई गई है तथा जो दर्ज होना शेष है। तथा जो माननीय हाईकोर्ट लखनऊ द्वारा W.P. No. 13177 (M/ B) 2017 में पारित आदेशोपरांत लिखी जानी है। “सभी पर सी० बी० आई० जाँच का आदेश पारित कर “न्यायहित में मानीटरिंग माननीय उच्च न्यायालय की डिवीजन बेंच द्वारा यदि संभव हो तो कराये जाने का आदेश पारित करें तथा हमारे संपूर्ण परिवार के उपरोक्त प्रकरण की गंभीरता व समय- समय पर माननीय हाईकोर्ट लखनऊ द्वारा अनेको याचिकायें 8984 (M/ B) 2014 व W.P. No. 3780 (M/ B) 2015 आदि में पारित आदेशोपरांत पुलिस सुरक्षा प्रदान किये जाने का आदेश पारित करने की कृपा करें। श्रीमान जी की महान कृपा होगी।
नोट: इस प्रार्थना पत्र संग संलग्नक संख्या -1से लेकर सभी प्रपत्र पृष्ठ संख्या- 103 तक है।



“प्रार्थी के प्रकरण में मानव अंगों की तस्करी करने वाला, सफेदपोश अरबपति डा० सोमशेखर दीक्षित के बेहद करीबी उत्तर प्रदेश राज्य के कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना ने हमारे विरुद्ध पुलिस प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों के सहयोग से पूरे परिवार पर जो जुल्म/ अत्याचार किया है, उस पर न्यायहित में यदि अविलम्ब निष्पक्ष जाँच द्वारा सी० बी० आई० न हुई तो हमारे साथ घोर अनर्थ हो जायेगा। “कृपया समस्त प्रकरण/ एफ० आई० आर० पर अविलम्ब सी० बी० आई० जाँच का आदेश पारित करने की कृपा करें ।
” दिनांक – 16 – मार्च – 2021


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