जयपुर! बचपन से ही संगीत में रुचि रखने वाले सुदीप जयपुरवाले संगीतकारों के प्रसिद्ध परिवार से ताल्लुक रखते हैं। सगींत में उनकी प्रतिभा ने ही उन्हें मणिरत्नम की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘पोन्नियिन सेलवन 1’ (PS-1) में गीत “देवरालन नाच” गाने का हिस्सा बनने की प्रेरणा दी है। एआर रहमान द्वारा रचित और महबूब द्वारा लिखे गए इस गीत को सुदीप ने अपनी आवाज से सजाया है। 9 साल की उम्र में उन्होंने अपना पहला पॉप सॉन्ग गाया था। सुदीप ने एआर रहमान के साथ काम करने का अपना शानदार अनुभव भी शेयर किया है।
प्लेबैक सिंगर सुदीप जयपुरवाले जाने माने संगीत घराने से ताल्लुक रखते हैं। संगीत उन्हें विरासत में मिला है। सुदीप जयपुर कुंअर श्याम गौस्वामी घराने से हैं। उनके दादा जी पंडित गोविंद प्रसाद जयपुर वाले हिंदुस्तान क्लासिकल वोकल के बड़े पिलर थे। जिन्होंने कविता कृष्ण मुर्ति, पकंज उदास और आशा भोसले जैसी कई नामचीन हस्तियों को संगीत सिखाया था। सुदीप के पिता भी संगीत सिखाते हैं। अब सुदीप भी संगीत के इस कल्चर को आगे लेकर जाना चाहते हैं। हाल ही में न्यूज18 हिंदी से हुई बातचीत में उन्होंने एआर रहमान के साथ काम करने का शानदार अनुभव साझा किया है।
सुदीप जयपुरवाले संगीत को अपना सब कुछ मानते हैं।उनका मानना है कि जो चीजें आपके आस-पास होती हैं उनसे आपको अपने आप लगाव हो जाता है। संगीत में उनकी रुचि शुरुआत से रही है। ऐसा नहीं था कि कभी उन्हें कोई चीज क्लीक की हो और उन्होंने एक प्वाइंट पर आकर संगीत में करियर बनाने का मन बनाया हो। सुदीप की मानें तो संगीत के बिना हर किसी जीवन अधूरा है। संगीत उनकी रोम-रोम में है। यह सबसे बड़ी वजह रही कि उन्होंने संगीत की दुनिया में करियर बनाने का मन बनाया था। सुदीप कहते हैं, संगीत सीखा नहीं जाता ये तो गॉड गिफ्टेड होता है।
ऐसे हुई संगीत के सफर की शुरुआत
अपने संगीत के सफर को बयां करते हुए सुदीप कहते हैं, “नींद से जगते ही हमारे कानों में तानपुरे की आवाज आ जाती थी। सफर तो होश संभालते ही शुरू हो गया था। संगीत घराने में जन्म लेते ही एहसास हो जाता है कि हमें भी संगीत के दुनिया में कुछ कर दिखाना है। हालांकि मुझ पर कभी प्रैशर नहीं बनाया कि संगीत में ही करियर बनाना है। मैंने बोलने से पहले ही गाना शुरू कर दिया था। संगीत मेरे खून में है। 9 साल की उम्र में मैंने सुनीता राव जी के साथ एक पॉप सॉन्ग गाया था. ये मेरा पहला सॉन्ग था। इसके अलावा एक फिल्म के लिए पहली बार लता मंगेश्कर जी के साथ, हरिहरण जी के साथ बच्चे का पार्ट मैंने गाया था। इसके बाद मैंने फिल्म आक्रोश के लिए भी गाया और तब सफर जारी है।
ऐसा था एआर रहमान के साथ काम करने का अनुभव
एआर रहमान के साथ अपना एक्सपीरियंस शेयर करते हुए सुदीप बताते हैं, ” उम्दा अनुभव रहा, ऐसा अनुभव जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। मैंने जब साल 2017 में रहमान जी के साथ श्रीदेवी जी की फिल्म मॉम के लिए ‘बेनजारा’ सॉन्ग गया था। उसमें हमने क्लासीकल टप्पा गाया था जो ऑरिजनली मेरे दादा जी ने गाया था। इसके लिए मुझे रेडियो मिर्ची अवॉर्ड के लिए नॉमिनेट भी किया गया था। रहमान जी चाहते थे कि मैं कुछ नॉर्मल सॉन्ग न गाकर कुछ हटकर गाऊं उन्होंने कहा था जिससे आपकी इंडस्ट्री में अलग पहचान बने। वैसे यह पहली बार था जब मुझे रहमान सर के साथ काम करने का चांस मिला। इसके बाद मैंने मिमी में रहमान सर के लिए अलाप गाएं। अब पीएस 1 में मणिरत्नम जैसे फिल्ममेकर की फिल्म का हिस्सा बनना मेरे लिए बहुत बड़ी बात है।
एआर रहमान के साथ यादगार लम्हा
जब मैंने रहमान जी के साथ फिल्म ‘मॉम’ के लिए बेनजारा सॉन्ग किया तो उसके लिए हम रहमान जी के मुंबई वाले स्टूडियो में गए। उस दौरान पूरे स्टूडियो में मेरे और रहमान सर के अलावा कोई नहीं था। इंजीनियर भी नहीं था। मॉनिटर रूम में वो और डबिंग रूम में थे। उस दौरान उनके साथ जो मैंने काम किया वो मेरे लिए एक यादगार लम्हा बन गया है। मैं शायद ही कभी उस मौके को भूल पाऊंगा जब मुझे उनसे इतना कुछ सीखने को मिला। वहां उन्होंने मेरे काम को भी सराहा भी जो मेरे लिए बहुत बड़ी बात है।
पोन्नियिन सेलवन 1 में गाया गीत “देवरालन नाच”
यह गाना जितने भी लोग सुनेंगे वो इस गाने से जरूर कनेक्ट करेंगे। हिंदी ऑडियंस को मेरा यह गाना जरूर पसंद आएगा। जितनी ऑडियंस गाने को सुनेगी गाने की पॉपुलैरिटी भी वैसे ही बढ़ेगी। इस गाने की पक्तियों में भक्तिरस काफी है। मां काली का भी इस गाने में वर्णन किया गया है। ईश्वर को याद करने के लिए भाषा का महत्व नहीं होता। चाहे ये गाना किसी भी भाषा में हो लेकिन लोग इसे पसंद जरूर करेंगे। क्योंकि भक्ति की कोई भाषा नहीं होती।