इस वर्ष करवा चौथ १३ अक्टूबर को मनाया जायेगा और इन खास ६ बातों का करे विशेष ध्यान –
१। कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी को रख्खा जाने वाला करवा चौथ का व्रत केवल स्त्रियाँ ही कर सकती है और इसकी फलश्रुति उन्हें ही मिलती है।
२। सुहागिन स्त्री निर्जला व्रत रहकर संध्याकाल में कथा श्रवण करती है, रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देकर भोजन करती है, उसको शास्त्रानुसार पुत्र, धन- धान्य, सौभाग्य एवं अतुल यश की प्राप्ति होती है।
३। ये जरूर करे – आचमन के बाद संकल्प लेकर मन में शिव-पार्वती और कार्तिकेय का ध्यान करके ये बोले- “मैं अपने सौभाग्य एवं पुत्र- पौत्रादि तथा निश्चल संपत्ति की प्राप्ति के लिए करवा चौथ कर रही हूँ।”
४। पूजा में ये न भूले- चंद्रमा, शिव, पार्वती और कार्तिकेय की मूर्तियों की पूजा षोडशोपचार विधि से विधिवत् करने के बाद एक तांबे या मिट्टी के बर्तन में चावल, उड़द की दाल, सुहाग की सामग्री और रुपया रखकर अपनी सास या किसी सुहागिन स्त्रीके पांव छूकर देनी चाहिए।
५। शाम को कथा सुने और रात्रि में जब पूर्ण चंद्रोदय हो जाए तब चंद्रमा को छलनी से देखकर अर्घ्य दें, आरती उतारें और अपने पति को भी छलनी से देखे और उनकी भी पूजा करे।
६। श्रीवामन पुराण की ये कथा जरूर सुने- एक बार द्रौपदी ने भगवान् श्रीकृष्ण से अपने कष्टों के निवारण के लिए कोई उपाय पूछा, तो उन्होंने एक कथा सुनाई- किसी समय इंद्रप्रस्थ में वेदशर्मा नामक एक विद्वान् ब्राह्मण रहता था। उसकी पत्नी लीलावती से उसके परम तेजस्वी सात पुत्र और एक सुलक्षणा ‘वीरावती’ नामक पुत्री पैदा हुई। वीरावती के युवा होने पर उसका विवाह एक उत्तम ब्राह्मण से कर दिया गया। जब कार्तिक कृष्ण चतुर्थी आई, तो वीरावती ने अपनी भाभियों के साथ बड़े प्रेम से यह व्रत शुरू किया, परन्तु भूख-प्यास से तड़प तड़प के चंद्रोदय के पूर्व ही बेहोश हो गई। बहन की दुर्दशा देखकर सातों भाई व्याकुल हो गए और उन्होंने अपनी लाडली बहन के लिए पेड़ के पीछे से जलती मशाल का उजाला दिखाकर बहन को होश में लाकर चंद्रोदय निकलने की सूचना दी, तो उसने विधिपूर्वक अर्घ्य देकर भोजन कर लिया।
ऐसा करने से उसके पति की मृत्यु हो गई। अपने पति के मृत्यु से वीरावती व्याकुल हो उठी। उसने अन्न-जल का त्याग कर दिया। उसी रात्रि में इंद्राणी पृथ्वी पर विचरण करने आई। ब्राह्मण-पुत्री ने उससे अपने दुःख का कारण पूछा, तो इंद्राणी ने बताया की व्रत भांग होने के कारण पति की मृत्यु हुई है और विधिपूर्वक व्रत करने से देवी उनके पति को जीवित कर देंगी। वीरावती ने बारह मास की चौथ और करवाचौथ का व्रत पूर्ण विधि-विधानानुसार किया, तो इंद्राणी ने प्रसन्न होकर पति को जीवन दान दिया।