चेन्नई! हिंदी को लेकर तमिलनाडु का विरोध फिर सामने आया है । मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने रिपोट्र्स के हवाले से कहा कि हिंदी थोपकर केंद्र सरकार को एक और भाषा युद्ध की शुरुआत नहीं करनी चाहिए ।
स्टालिन ने यह बातें राजभाषा पर संसदीय समिति के अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को हाल में सौंपी गई एक रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया में कहीं स्टालिन ने कहा कि ऐसा होने से देश की बड़ी गैर – हिंदी भाषी आबादी अपने ही देश में दोयम दर्जे की रह जाएगी । उन्होंने कहा , हिंदी को थोपना भारत की अखंडता के खिलाफ है । हमें सभी भाषाओं को केंद्र की आधिकारिक भाषा बनाने का प्रयास करना चाहिए । उन्होंने सवाल किया , अंग्रेजी को हटाकर केंद्र की परीक्षाओं में हिंदी को प्राथमिकता देने का प्रस्ताव क्यों रखा गया ? ये संविधान के मूल सिद्धांत के खिलाफ है । ऐसा करके दूसरी भाषाओं के साथ भेदभाव करने का प्रयास किया जा रहा है । 1965 से ही डीएमके हिंदी को थोपने के खिलाफ संघर्ष कर रही है । हिंदी की तुलना में दूसरी भाषा बोलने वाले लोग देश में ज्यादा है । भाजपा सरकार अतीत में हुए हिंदी विरोधी आंदोलनों से सबक ले ।
अंग्रेजी की जगह हिंदी माध्यम की सिफारिश संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में आईआईटी , आईआईएम , एम्स , केंद्रीय विश्वविद्यालयों और केंद्रीय विद्यालयों में अंग्रेजी की जगह हिंदी को माध्यम बनाने की सिफारिश की है । स्टालिन ने कहा कि संविधान की आठवीं अनुसूची में तमिल समेत 22 भाषाएं हैं । इनके समान अधिकार हैं ।