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एकता कपूर को सुप्रीम कोर्ट ने देश की युवा पीढ़ी के दिमाग को दूषित करने की बात कही- सेलिब्रिटी वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा अग्रवाल, कोलकात

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ओटीटी प्लेटफार्म पर एकता कपूर की वेबसेरिएस में सैनिकों का कथित रूप से अपमान करने और उनके परिवारों की भावनाओं को आहत करने के लिए एकता कपूर के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट को चुनौती में कपूर द्वारा दायर सुप्रीम कोर्ट की एक याचिका पर सुनवाई में, न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने कहा कि आप लोगों को किस तरह का विकल्प दे रहे हैं? इसके विपरीत आप युवाओं के दिमाग को प्रदूषित कर रहे हैं।

न्याय पीठ की ये बात सुन कर मुझे आज इसी विषय पे लिखना सही लगा। मैं भी फिल्मे बनाती हूं और कई दूसरे फ़िल्मकार है, वे भी फिल्मे बनाते है, परन्तु एकता कपूर के बनाये हुए कार्यक्रम बोलिये या सिनेमा ये सदा से ही भूलते आये है, की हमे क्या दिखाना चाहिए और क्या नहीं।

इनके टीवी सेरिअल्स की बात करे तो स्त्रियों के सौम्य, सुशीलता और सकारात्मक स्वभाव और गुणवक्ता को इन होने गोंड ही कर दिया है। हलाकि इनके सीरियल ने टीवी इंडस्ट्री को बूम किया परन्तु स्त्रियों की सोच को इतना प्रदुषित किया है, जिसका परिणाम घर के सदस्य तो भोग ही रहे है, और साथ ही समाज भी प्रदुसित हो गया। स्त्रियों की त्याग तपस्या और कर्मठता से घर स्वर्ग बनता है, पर जब यही स्त्रियाँ अपने बाल्य अवस्था में जब मानसिक और शारीरिक बढ़ोतरी होती है।

बचपन के उस करुण दौर में इन सीरिअल्स को देखती है, तो कही न कही उनकी मानसिकता उस से प्रभावित होती है, वे बातों को बनावटी तरीके से बोलना, करना सीखती है, साथ ही साथ ये भी सीखती है की अच्छा बनने से लोग तंग करते है, कूटनीतिज्ञ बनने की ट्रेनिंग भी मिल जाती है।



आगे चल कर इनके दुस्प्रभाव से वे एक ऐसी स्त्री के रूप में उभर के आती है, जो न केवल अपना नुकसान करती है,अपितु जिस घर में विवाह कर के जाती है। वहा भी दुष्परिणाम भुगतती है,और नाना प्रकार के दुस्परिणामों को अंजाम देती है।
एक साधारण सी बात है देविया शक्ति, धन, विद्या सबकी स्वामिनी हैं फिर उनके रूप को इतना न्यूनतम क्यों प्रदर्शित किया जा रहा है।

स्त्रियों के बदलते स्वरुप के कारण कई पुरुष गृहलक्ष्मी की ऊर्जा का उपयोग नहीं कर पाता, उस ऊर्जा का अपने भविष्य को संवारने में उपभोग नहीं कर पाने के कारण अपार सफलता को प्राप्त नहीं कर पाता है। यूँ तो एक अनाम सी जिन्दगी बहुत सारे लोग बिताते हैं। कई लोगों का जीवन निरुद्देश्य बीतते देखा गया है। लेकिन जिन्होंने सफलता की कुछ सीढ़ियाँ भी चढ़ी हों, अवश्य ही उनकी पृष्ठभूमि में स्त्री की ऊर्जा और उसकी त्याग तपस्या काम करती है।

पुरुष की तुलना में एक स्त्री अधिक त्याग करती है। विवाह के बाद जब अपने पतिगृह में आती है, तो अपना सब कुछ पीछे छोड़ आती है। अपनी सखियाँ, अपने माँ- बाप, अपना लोक व्यवहार और पीहर का अपना सम्पूर्ण अस्तित्व। बहुत बार ससुराल में, पुरुष प्रधान समाज में उसकी भूमिका को गौण कर दिया जाता है। पुरुष यह नहीं समझ पाते कि स्त्री का कर्मबल या उसके भी संचित कर्म मनुष्य की सफलता की पृष्ठभूमि में काम करते हैं।

एकता कपूर की जन्म पत्रिका मेष राशि और कर्क लग्न की है। उनकी जन्मपत्रिका के विश्लेषण से ही ये बताया जा सकता है, कि अगर वे अपने गुरु को सशक्त करे तो निश्चित ही उनके फिल्में बनानें और टीवी सीरियल बनाने के ढंग में सकारात्मक परिवर्तन आएगा। हलाकि वे कई ग्रहो की रत्न को पहनती है, परन्तु मात्र रत्नो को धारण करना ही पर्याप्त नहीं होता, अपितु सही महूर्त में उसका बनना और धारण दोनों ही महत्वपूर्ण है चमत्कारी परिणामो के लिए।


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