मुंबई। प्रजा फाउंडेशन की ओर से स्टेटस ऑफ पुलिस और लॉ एंड ऑर्डर इन मुंबई 2022 की मंगलवार को प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार मुंबई क्राइम कैपिटल बन गया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक मुंबई में 2012 से 2021 के बीच गंभीर अपराध में 112 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अपराध दर्ज करने की प्रक्रिया आसान हो गई है, यह राहत की बात है लेकिन महिलाओं और बच्चों पर बढ़ते अत्याचार के आंकड़े चिंताजनक हैं। इस रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि बढ़ते अपराध के बाद भी मुंबई पुलिस के 28 फीसदी पोस्ट रिक्त हैं।
प्रज्ञा फाउंडेशन की रिपोर्ट के अनुसार 2012 और 2021 के बीच, मुंबई में अपहरण के अपराधों में 650 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जबकि बलात्कार और यौन उत्पीड़न के मामलों में क्रमश: 235 प्रतिशत और 172 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसी अवधि के दौरान हत्या, चोरी और चेन चोरी जैसे अपराध के आंकड़ों में क्रमश: 27 प्रतिशत, 16 प्रतिशत और 88 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
रिपोर्ट के अनुसार में शहर में बढ़ते अपराधों पर अंकुश लगाने और उनकी उचित जांच करने के लिए कानून और व्यवस्था प्रणाली अच्छी तरह से सुसज्जित और सक्षम होनी चाहिए। जांच में सब इंस्पेक्टर की भूमिका अहम होती है लेकिन 2022 तक के आंकड़ों पर गौर करें तो पता चला है कि उनके स्वीकृत पदों में से 18 फीसदी पद रिक्त हैं। 2018 में मुंबई पुलिस व्यवस्था में 22 फीसदी पद रिक्त थे। यह बढ़कर 2022 तक कुल 28 फीसदी पद रिक्त हो गए हैं। अपराधों की बढ़ती संख्या को देखते हुए इस पद को तभी भरा जाना चाहिए जिससे जांच समय पर गुणवत्ता की जा सके।
रिपोर्ट के अनुसार 2017 में हत्या, बलात्कार आदि जैसे गंभीर 60 प्रतिशत अपराधों की जांच लंबित थी जबकि 2021 में यह आंकड़ा 68 प्रतिशत रहा। साथ ही महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों के 96 फीसदी मामले 2021 तक सुनवाई के लिए लंबित हैं इसलिए एक तरफ जांच तेज गति से होनी चाहिए, दूसरी तरफ सुनवाई भी अविलंब होनी चाहिए। इस तरह का सुझाव प्रजा फाउंडेशन ने अपनी रिपोर्ट में दिया है।