मोदी मानिया का प्रताप गैर एसटी ले रहा फर्जी एसटी जाति प्रमाण पत्र का लाभ गैर एससी एसटी पर लगा रहा फर्जी मुकदमे व्यवस्था किन्नर के रोल में।
क्या गैर एससी एसटी भी छद्म जाति प्रमाण पत्र के दम पर किसी भी गैर एससी एसटी को तंग करने के साथ ही सरकारी धन का बंदरबांट कर व करवा सकता है। जी हां ऐसा ही एक मामला देवरिया से प्रकाश में आया है। सबसे मजेदार बात यह है की उक्त परिवार फर्जी एसटी जाति प्रमाणपत्र के दम पर न केवल सरकारी नौकरी में है बल्कि गांव के राजभर, यादव, श्रीवास्तव पर एससी एसटी एक्ट का मुकदमा भी दर्ज करवाया है।
एक जनसूचना के क्रम में यह भी निकल कर आया है की उक्त फर्जी एसटी परिवार ने उक्त एक्ट का फायदा लेते हुए अब तक सरकारी खजाने से 2 लाख 40 हजार रुपए भी लूटे हैं। इस सब में स्थानीय प्रशासन व शासन भी लगातार बराबर सहयोगी बने हुए हैं। जबकि पुराने सरकारी अभिलेखों के अवलोकन में कोई भी आसानी से समीक्षा करके उक्त परिवार को राष्ट्रीय खजाने का डकैत कह सकता है।
जब कायस्थ वह भी वकील से ले लिया पंगा
इस तथाकथित एसटी परिवार ने गलत जाति प्रमाण पत्र के दम पर जब सरकारी नौकरी प्राप्त कर ली पैसा हुआ, पड़ोसी निर्बल राजभारो व यादवों को प्रताड़ित किया एससी एसटी एक्ट लगवाया, सरकारी इमदाद मिली हराम की खाने की लत लगी जो बढ़ती ही गई, जिसका परिणाम हुआ श्रीवास्तव वकील के परिवार से भिड़ गए एससी एसटी एक्ट भी लगवाया, जिसका परिणाम है दूध का दूध पानी का पानी निकलने को सचिन श्रीवास्तव ने ठानी, परिणाम यह है की व्यवस्था अपनी नाकामी छुपाने के लिए सच को झूठ साबित करने पर तुली है।
सचिन श्रीवास्तव पुत्र स्व0 जगदम्बा प्रसाद श्रीवास्तव, साकिन हाटा, तप्पा वलिया बनाम् परगना स० म०, जिला देवरिया। द्वारा जाति प्रमाण पत्रों के सत्यापन/ संवीक्षा हेतु मण्डल स्तरीय समिति, गोरखपुर मण्डल, गोरखपुर।अपील संख्या- डी०-09/2021 जिलाधिकारी, देवरिया व अन्य के विरुद्ध दी गई।
जिस अपील को सुनने के बाद सक्षम प्राधिकारी द्वारा जनपद स्तरीय जाति प्रमाण-पत्र सत्यापन समिति देवरिया द्वारा पारित आदेश दिनांक 31. 03. 2021 के विरुद्ध समाज कल्याण अनुभाग-3 द्वारा निर्गत शासनादेश संख्या- 428/ 26- 03- 2011 दिनांक 27 जनवरी 2011 में विहित प्रावधानों के अनुरूप दिनांक 16. 06. 2021 को प्रस्तुत की गयी।
अपील दर्ज रजिस्टर की गयी सभी सम्बन्धित पक्षकारों को सुनवाई हेतु सूचित किया गया तथा अपील में प्रश्नगत आदेश दिनांक. 31. 03. 2021 से सम्बन्धित पत्रावली प्राप्त की गयी। नियत तिथि दिनांक 26. 04. 2022 को अपीलार्थी एवं विपक्षी के अधिवक्ता को सुना गया तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।
संक्षेप में मामले के तथ्य इस प्रकार है कि विपक्षी न0- 2 रामायन पुत्र मुनेसर व विपक्षी न०- 3 अतुल कुमार पुत्र रामायन मौजा हाटा तप्पा वलिया परगना सलेमपुर मझौली, तहसील- सलेमपुर, जनपद देवरिया के निवासी हैं, जिनके पक्ष में अनु० जनजाति खरवार के प्रमाण पत्र क्रमश:-604185000107 एवं 604185000108 जारी हैं।
श्री सचिन कुमार श्रीवास्तव के शिकायती पत्र दिनांक 30.12.2020 द्वारा श्री रामायन खरवार पुत्र स्वo मुनेश्वर खरवार की जाति प्रमाण पत्र संख्या-604185000107 दिनांक 25.01.2018 तथा अतुल कुमार पुत्र रामायन की जाति प्रमाण-पत्र संख्या-804185000108 दिनांक 25.01.2018 एवं जाति प्रमाण-पत्र संख्या-40 दिनांक 11.01.2005 की जाँच कराये जाने एवं दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही किये जाने हेतु शिकायत की गयी।
अपीलार्थी श्री सचिन श्रीवास्तव का तर्क है कि विपक्षीगण 2 एवं 3 द्वारा तथ्यों को छिपाते हुए फर्जी तरीके से अनु0 जनजाति खरवार का प्रमाण पत्र जारी करवा लिया गया जबकि वास्तव में ये कमकर वर्ग के हैं इस तथ्य की जानकारी होने पर अपीलार्थी द्वारा इसकी शिकायत जनपद स्तरीय जाति प्रमाण-पत्र सत्यापन समिति देवरिया के सम्मुख की गयी। अपीलार्थी का आरोप है कि समुचित सुनवाई का अवसर दिए बिना जनपद स्तरीय जाति प्रमाण- पत्र सत्यापन समिति द्वारा विपक्षीगण संख्या-2 एवं 3 के पक्ष में दिनांक 31. 03. 2021 को पारित आदेश विधि नियम एवं तथ्यों के विपरीत होने के कारण निरस्त किये जाने योग्य है।
RTI से पता चला कि FIR कराने पर SC/ST को लाखो रुपये सरकार देती है। रामायन जो कमकर जाति के है, अधिकारियों की मिली- भगत से खरवार जनजाति का फर्जी सर्टिफिकेट बनवाया, और गाँव वालो पर फर्जी SC/ST Act मे caseकरके सरकार से रुपये ऐंठ रहा है, इस जनसूचना दाता के पास डाटा ही गलत है।@Uppolice pic.twitter.com/u0QneS4MQz
— विनय श्रीवास्तव (@vinaysrivasta4) October 29, 2022
इसमें भी व्यवस्था को चुनौती, देश चुनौतियों से नही चूतियो से परेशान है। वाह रे खैरतियों।
अपीलार्थी के अनुसार विपक्षी नं0-2 एवं 3 के पूर्वजों का विवरण 1356 फसली में कमकर के रूप में दर्ज है। इसी प्रकार चकबन्दी से सम्बन्धित आकार पत्र संख्या-5 में विपक्षी रामायन के बड़े भाई रमाकान्त पुत्र मुनेसर की जाति कमकर के रूप में उल्लिखित है। इसके अतिरिक्त नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर ग्राम हाटा में विपक्षी संख्या 2 एवं 3 और इनके परिवार के लोग बतौर कमकर के रूप में दर्शाये गए हैं। विपक्षी अतुल कुमार पुत्र रामायन के नाम से निर्गत टी० सी० पंजिका संख्या 512 दिनांक 22. 01. 2005 में अतुल कुमार व इनके पिता रामायन के आगे खरवार अंकित है।
रामायन के परिवार रजिस्टर की सत्य प्रतिलिपि दिनांक 06.01.2014 में जाति के कॉलम में खरवार अंकित है। इस आदेश में तहसीलदार सलेमपुर के कार्यालय पत्रांक-380 दिनांक 22. 02. 2021 द्वारा प्रेषित जाँच आख्या का उद्धरण देते हुए स्पष्ट किया गया कि विपक्षीगण 2 एव 3 के पक्ष में खरवार (अनुसूचित जनजाति) का प्रमाण- पत्र शासनादेश संख्या-136/ 2017/ 31 की वी०आई०पी०/ 26- 03- 2017-3(1)/ 2013 दिनांक 01. 09. 2017 के आलोक में जारी किया गया है।
उक्त सन्दर्भ में अपीलार्थी द्वारा निदेशक अनु०जाति एवं अनुसूचित जनजाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान उ० प्र० के पत्र संख्या-263/ दिनांक 3 जून 2008 आधार पर कहा गया कि उपलब्ध अभिलेखों के आधार पर कमकर को उ० प्र० की अनु० जाति की सूची में अंकित खरवार जाति की उपजाति नहीं कहा जा सकता है। कमकर जाति न तो अनुसूचित जाति/ जनजाति और न ही पिछड़ी जाति सूची में शामिल है। इसी प्रकार संयुक्त सचिव उ० प्र० शासन के पत्र संख्या- 2190/ 26- 03- 08-10 (21)/ 08 दिनांक 2 जून 2008 में स्पष्ट रूप से वर्णित है कि कमकर जाति न तो अनु० जाति/ अनु०जनजाति और न ही पिछड़ी जाति की सूची में सूचीबद्ध है। अत: कमकर को सामान्य वर्ग माना जाएगा।
साथ ही निदेशक अनु०जाति एवं अनुसूचित जनजाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान उ० प्र० के पत्र संख्या- 847/ 11- 12- 2017 दिनांक 11 दिसम्बर, 2017 में शोध सर्वेक्षण से प्राप्त आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर स्पष्ट किया गया है “कमकर” शब्द मूल जाति खरवार जाति की कोई उपजाति/ समूह/ वर्ग नहीं है अपितु मात्र व्यवसाय आधारित (पेशागत) एक पुकारू नाम है। अतएव खरवार जाति के साथ कोष्ठक में कमकर शब्द नहीं जोड़ा जा सकता है।
इस सन्दर्भ में शासनादेश दिनांक 01. 09. 2017 व दिनांक 25. 04. 2018 के विरुद्ध मा० उच्च न्यायालय इलाहाबाद में योजित पी०आई०एल० संख्या – 496 / 2021 डा० भीमराव अम्बेडकर, अनुसूचित जाति जनजाति उत्थान सेवा समिति एवं अन्य बनाम यूनियन ऑफ इण्डिया एवं 07 अन्य में दिनांक 02. 09. 2021 को पारित आदेश के अनुपालन के क्रम में जारी शासनादेश स० 112/ 2021/ 2739/ 26- 03- 2021 दिनांक 28. 09. 2021 द्वारा शासनादेश संख्या-136/ 2017 / 31 वीआईपी / 26-3 -2017- 3(1)2013 दिनांक 01. 09. 2017 व शासनादेश संख्या-35 वीआईपी / 26- 03- 2018 दिनांक 25/ 04/ 2018 को निष्प्रभावी/ निरस्त करते हुए भारत सरकार की अधिसूचना अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों आदेश (संशोधन) अधिनियम 1976 व 2002 के अनुरूप प्रदेश के खरवार जाति के व्यक्तियों द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों/ साक्ष्यों का भली भांति जाँच पड़ताल/ निरीक्षण करते हुए नियमानुसार अनु०जाति/ अनु०जनजाति का जाति प्रमाण- पत्र निर्गत करने के निर्देश दिए गए हैं।
ऐसी स्थिति में जिला स्तरीय जाति प्रमाण पत्र सत्यापन समिति द्वारा शासनादेश संख्या-136/2017/31 वीआईपी/ 26- 03- 2017- 03 (1) 2013 दिनांक 01. 09. 2017 के आलोक में विपक्षी सं० 02 व 03 (रामयन पुत्र मुनेसर व अतुल कुमार पुत्र रामायन) के पक्ष में जारी खरवार जाति का जाति प्रमाण पत्र निरस्त करते हुये अपील स्वीकार की जाये।
यादवों को प्रताड़ित करने की झूठी शिकायत
प्रतिवादी सं० 2 व 3 (रामायन पुत्र मुनेसर य अतुल कुमार पुत्र रामायन) ने अपने लिखित तर्क में कहा है कि शासनादेश संख्या-136/2017/31 वीआईपी / 26-3-2017-3(1)2013 दिनांक 01. 09. 2017 के आलोक में उनके पक्ष में खरवार (अनुसूचित जनजाति) का प्रमाण पत्र जारी किया गया है, जिस पर सचिन कुमार श्रीवास्तव पुत्र स्व० जगदम्बा प्रसाद श्रीवास्तव द्वारा दिये गये शिकायती प्रा० पत्र पर जिला स्तरीय जाति प्रमाण पत्र सत्यापन समिति की बैठक में उभय पक्षों को सुनवाई का व्यक्तिगत अवसर दिया गया। दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद दिनांक 31. 03. 2021 को प्रश्नगत आदेश पारित करते हुये सचिन श्रीवास्तव के प्रत्यावेदन को निरस्त किया गया है।
जबकि यह सूच्य है कि खरवार जाति के परिवार के सदस्यों द्वारा हलवाई, मजदूरी, पानी भरना एवं डोली उठाना, लकड़ी से कत्था बनाना एवं घरेलू नौकर का काम आदि का पेशा आधारित कार्यों को किए जाने के कारण स्थानीय बोलचाल में इन्हें “कमकर” कहा जाता है। अतः कमकर कोई जाति/ उपजाति या वर्ग न होकर मूलतः खरवार जाति का व्यवसाय आधारित पेशागत स्थानीय पुकारू नाम है। इस आधार पर उनके पक्ष में अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र प्रमाण- पत्र विधिवत जॉच के उपरान्त निर्गत हुआ है, जिसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। अपील बलहीन होने के कारण निरस्त की जाये।
जिसने रहने को दिया उसी को उजाड़ने को सोच लिया।
मण्डलीय जाति प्रमाण-पत्र सत्यापन समिति पक्षकारों द्वारा प्रस्तुत अभिलेखीय साक्ष्यों एवं पत्रावली का अनुशीलन किया गया। उभय पक्षों द्वारा प्रस्तुत तर्कों, अभिलेखों एवं शासनादेशों के परिशीलन से यह विदित हो रहा है कि शासनादेश संख्या-136/ 2017/ 31 वीआईपी/ 26- 03- 2017-3(1)2013 दिनांक 01.09.2017 के प्रस्तर-3 में यह प्राविधानित किया गया था कि अनुसूचति जाति एवं अनुसूचित जन जाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान द्वारा जातीय सर्वेक्षण अध्ययन कराया गया। सर्वेक्षण अध्ययन के अनुसार खरवार जाति के परिवार के सदस्यों द्वारा हलवाई, मजदूरी, पानी भरने एवं डोली उठाना, लकड़ी से कत्था बनाना एवं घरेलू नौकर का काम आदि पेशा आधारित कार्यो को किये जाने के कारण स्थानीय बोलचाल में इन्हें कमकर कहा जाता है। अतः कमकर कोई जाति/ उप जाति या वर्ग न होकर मूलतः खरवार जाति के व्यवसाय आधारित (पेशागत स्थानीय पुकारू नाम है।
“इस शासनादेश के उपरान्त निदेशक, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जन जाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान, उ0 प्र0 के पत्र सं0 847/ 1- 16/ 2016- 17/ शो०प्र०सं०/ अध्ययन दिनांक 11 दिसम्बर, 2017 के माध्यम से यह स्पष्ट किया गया है कि “शोध सर्वेक्षण से प्राप्त आंकड़ों के विश्लेषण से यह स्थिति स्पष्ट हो रही है, कि “कमकर” शब्द मूल जाति खरवार जाति की कोई उपजाति/ समूह/ वर्ग नहीं है, अपितु मात्र व्यवसाय आधारित ( पेशागत ) स्थानीय पुकारू नाम है। अत एव खरवार जाति के साथ कोष्ठक में कमकर शब्द नहीं जोड़ा जा सकता है।” इसके उपरान्त समाज कल्याण विभाग, अनुभाग-3 उoप्रo शासन द्वारा निर्गत शासनादेश स० 112/2021 / 2739 / 26-3-2021, दिनांक 28.09.2021 द्वारा स्थिति को स्पष्ट करते हुये पूर्व के शासनादेश संख्या-136/ 2017/ 31 वीआईपी/ 26- 03- 2017-3(1)2013 दिनांक 01. 09. 2017 व शासनादेश संख्या-35 वीआईपी / 26- 03- 2018 दिनांक 25/ 04/ 2018, जिसके द्वारा खरवार की उपजाति कमकर माना गया था, को निष्प्रभावी/ निरस्त करते हुए भारत सरकार की अधिसूचना अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों आदेश (संशोधन) अधिनियम 1976 व 2002 के अनुरूप प्रदेश के खरवार जाति के व्यक्तियों द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों/ साक्ष्यों का भली भांति जाँच पड़ताल/ निरीक्षण करते हुए नियमानुसार अनु०जाति/ अनु०जनजाति का जाति प्रमाण- पत्र निर्गत करने के निर्देश दिए गए है।
ये भी विशुद्ध फर्जी शिकायत
अतः उक्त के आलोक में यह समिति इस निष्कर्ष पर पहुचती है कि जनपदीय जाति प्रमाण पत्र सत्यापन समिति ने विपक्षी अतुल कुमार पुत्र रामायन के नाम से निर्गत टी० सी० पंजिका संख्या-512 दिनांक 22. 01. 2005 तथा परिवार रजिस्टर की सत्य प्रतिलिपि दिनांक 06. 01. 2014 के आधार पर जाति प्रमाण-पत्र को अपने आदेश दिनांक 31. 03. 2021 द्वारा यथावत् बनाये रखा हैं, जो उचित नहीं है, क्योंकि शासनादेश संख्या-3469 / 26- 03- 2010 दिनांक 26.10. 2010 व शासनादेश संख्या-112/ 2017/ 117 सी0एम0/ 26- 03- 2017- 3(6)/ 2012 टी0सी0 दिनांक 13. 07. 2017 में दिये गये निर्देश के अनुसार वर्ष 1950 के अथवा उसके पूर्व के वर्षो के दस्तावेज को संज्ञान में लिया जाना चाहिये, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि संदर्भगत जाति से सम्बन्धित दस्तावेज पर्याप्त समय पूर्व के है तथा संतोषजनक है।
इन शासनादेशों में दिये गये निर्देशों के क्रम में ही जनपदीय जाति प्रमाण- पत्र सत्यापन समिति को निणर्य लेना था, परन्तु जनपदीय जाति प्रमाण-पत्र सत्यापन समिति ने शासनादेश संख्या-136/ 2017/ 31 वीआईपी / 28- 03- 2017- 3(1)/2013 दिनांक 01. 09. 2017 व शासनादेश संख्या- 35 वीआईपी / 26- 03- 2018 दिनांक 25. 04. 2018 के आधार प्रश्नगत आदेश पारित किया गया है, जो उचित नहीं है, क्योंकि शासनादेश संख्या-112/2021 / 2739 / 26-3-2021 दिनांक 28.09.2021 द्वारा शासनादेश संख्या- 136/ 2017/ 31 वीआईपी/ 26- 03- 2017- 3 (1) 2013 दिनांक 01. 09. 2017 व शासनादेश संख्या-35 वीआईपी / 28-3-2018 दिनांक 25/04/2018 को निष्प्रभावी / निरस्त कर दिया गया है।
इसलिये इस प्रकरण में जनपदीय जाति प्रमाण- पत्र सत्यापन समिति को पुनः भारत सरकार की अधिसूचना अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों आदेश (संशोधन) अधिनियम 1976 व 2002 के अनुरूप प्रदेश के खरवार जाति के व्यक्तियों द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों/ साक्ष्यों का भली भांति जाँच पड़ताल/ निरीक्षण करते हुए नियमानुसार अनु०जाति/ अनु०जनजाति का जाति प्रमाण- पत्र निर्गत पर विचार करने की आवश्यकता है। अपील में उठाये गये बिन्दुओं में बल है तथा तद्नुसार यह अपील आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य तथा यह प्रकरण पुनः जनपद स्तरीय जाति प्रमाण पत्र सत्यापन समिति को प्रत्यावर्तित किये जाने योग्य है।
आदेश
उपर्युक्त वर्णित तथ्यों के आलोक में जिला स्तरीय जाति प्रमाण पत्र सत्यापन समिति द्वारा पारित आदेश दिनांक 31.03.2021 को निरस्त किया जाता है तथा यह अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। इस आदेश की एक प्रति के साथ जिला स्तरीय जाति प्रमाण-पत्र सत्यापन समिति की पत्रावली इस निर्देश के साथ प्रेषित की जाती है कि वह उपरोक्त संवीक्षा में अंकित तथ्यों एवं अद्यतन शासनादेश संख्या 112/ 2021/ 2739/ 26- 03- 2021 दिनांक 28. 09. 2021 में दिये गये निर्देश के परिप्रेक्ष्य में विधिवत जॉच व उभय पक्षों को सुनवाई का अवसर देकर गुण दोष के आधार पर आदेश पारित करें। बाद आवश्यक कार्यवाही यह पत्रावली अभिलेखागार में संचित की जाय।
संयुक्त निर्देशक (प्रशिक्षु/ शिशुक्षु) आई०टी०आई० चरगांवा, गोरखपुर।
उप निदेशक (समाज कल्याण) गोरखपुर मण्डल, गोरखपुर।
अपर जिलाधिकारी, (प्रशासन) देवरिया, कृते जिलाधिकारी देवरिया।
अगली किस्त में एससी एसटी एक्ट की प्रयोगशाला से।