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10 प्रतिशत ही रहेगा ईडब्ल्यूएस कोटे का आरक्षण सुप्रीम कोर्ट ने लगायी मोहर- बार एण्ड बेंच।

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नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने एक अहम फैसला देते हुए EWS कोटे को जारी रखने का फैसला दिया है। EWS कोटा आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को दिया जाता है। कोर्ट ने 10 % रिजर्वेशन को जारी रखने का अहम फैसला दिया है। पांच जजों की बेंच में से चार ने इसके पक्ष में फैसला दिया है।

कोटा सिस्टम के पक्ष में फैसला

सबसे पहले चीफ जस्टिस यूयू ललित ने दिया और इसके विरोध में अपना फैसला सुनाया लेकिन उनके बाद जस्टिस दिनेश माहेश्वरी ने इस EWS कोटा सिस्टम को आगे जारी रखने पर अपनी मुहर लगायी। इस फैसले के बारें में बताते हुए जजों ने कहा कि यह संविधान के बेसिक स्ट्रक्चर को उलंघन नहीं करता है।

 

जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पारडीवाला ने इसके पक्ष में फैसला सुनाया जबकि चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस रवींद्र भट्ट ने इसे जारी न रखने के लिए फैसला दिया। लेकिन 3- 2 से यह फैसला EWS कोटे को जारी रखने के पक्ष में आया।
क्यों दायर की गयी थी याचिका?



EWS कोटा के खिलाफ याचिका दायर करते हुए याचिकाकर्ताओं ने इसके कई पहलुओं पर सवाल खड़े किये थे। इसमे कहा गया था कि यह 1992 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित आरक्षण पर 50 प्रतिशत की नेशनल लिमिट को कैसे पार कर सकता है। साथ ही याचिका में कहा गया कि यह संविधान के “बुनियादी ढांचे” का भी उलंघन करता है। इस तरह की 40 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुये सुप्रीमकोर्ट ने अपना फैसला दिया है।

क्या है EWS कोटा?

गरीब सवर्णों के लिए 10% ईडब्ल्यूएस कोटा 103वें संविधान (संशोधन) अधिनियम, 2019 के तहत पेश किया गया था। यह आर्टिकल 15 और 16 में संशोधन करके पेश किया गया था। इसमें संशोधन के माध्यम से आर्टिकल 15 (6) और आर्टिकल 16 (6) को जोड़ा गया था। यह आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए शैक्षणिक संस्थानों में नौकरियों और प्रवेश के लिए दिया गया है।


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