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शिवमूर्ति मुरुघा शरणारू से जुड़े यौन शोषण के मामले में कर्नाटक पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दी है।

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कर्नाटक। मुरुघा मठ के शिवमूर्ति मुरुघा शरणारू से जुड़े यौन शोषण के मामले में कर्नाटक पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दी है। मीडिया रिपोर्टों में चार्जशीट के हवाले से बताया है कि नाबालिग बच्चियों को फल और चॉकलेट में ड्रग्स मिलाकर दिया जाता था। इसके बाद उन्हें शरणारू के बेडरूम में भेजा जाता था। यह भी कहा जा रहा है कि कर्नाटक सरकार अब इस मठ का नियंत्रण अपने हाथों में ले सकती है।

चित्रदुर्ग जिले में स्थित यह मठ कर्नाटक के प्रभावशाली लिंगायत समुदाय से जुड़ा हुआ है। पुलिस के अनुसार, शरणारू के बेडरूम में ड्रग्स, शराब और अन्य नशीले पदार्थ सप्लाई किए जाते थे। दो नाबालिग लड़कियों ने मठ प्रमुख के खिलाफ 27 अगस्त 2022 को यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज करवाया था, जिसके बाद उसे 1 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चित्रदुर्ग पुलिस ने यौन उत्पीड़न मामले में शरणारू के खिलाफ 694 पन्नों का आरोप-पत्र 27 अक्टूबर को कोर्ट में दाखिल किया। पुलिस का दावा किया है कि मठ द्वारा संचालित छात्रावास में फलों और पेय पदार्थों में ड्रग्स मिलाकर लड़कियों को दिया जाता था। इसके बाद नाबालिगों को शरणारू के बेडरूम में भेजा जाता था, जहाँ यौन शोषण होता था। नाबालिगों ने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत अपने बयान दर्ज करवाए हैं।

नहीं जाने पर करते थे परेशान

लड़कियों ने अपने बयान में कहा कि उन्हें ड्रग्स देने के बाद शरणारू के बाथरूम और ऑफिस में भी भेजा गया। उन्होंने आरोप लगाया कि विरोध करने पर वार्डन उन्हें परेशान करते थे और सजा देते थे। चित्रदुर्ग के एसपी के परशुराम ने कहा, “हम गंगाधरैया और अन्य आरोपितों के खिलाफ भी मामला दर्ज कर सबूत जुटा रहे हैं।”

जिस एनजीओ ने इन लड़कियों की मदद की, उसके निदेशक स्टैनली ने बताया कि ड्रग्स वाले फल और चॉकलेट को खाने के बाद लड़कियाँ बेसुध हो जाती थीं। इसके बाद उन्हें रात में आरोपित के बेडरूम में भेज दिया जाता था। सुबह जब वे छात्रावास आने के लौट रही होती थीं तो काफी सुस्त रहती थीं। उनके शरीर के विभिन्न हिस्सों और निजी अंगों में तेज दर्द होता था।



एक लड़की को मठ से दूर भेजा

एनजीओ के निदेशक स्टैनली ने कहा कि चार्जशीट में कर्नाटक- आंध्र प्रदेश सीमा पर रेलवे ट्रैक पर रहस्यमय परिस्थितियों में एक लड़की की मौत के संदेह का भी उल्लेख किया गया है। घटना से कुछ दिन पहले हॉस्टल की रहने वाली लड़की को मठ से दूर भेज दिया गया था। लड़की के पिता नेत्रहीन थे, इसलिए वह छात्रावास में रहती थी। अगर मठ ने प्रक्रिया का पालन किए बिना उसे घर भेज दिया गया।

इसको लेकर चित्रदुर्ग पुलिस ने कहा कि लड़की की मौत को अप्राकृतिक मौत के रूप में दर्ज किया गया था। इस मामले को रेलवे पुलिस ने बंद कर दिया था। परशुराम ने कहा, “हमने पाया कि हिंदूपुर रेलवे पुलिस में एक यूडीआर दर्ज था, जिसमें कहा गया था कि एक लड़की ट्रेन से गिर गई और उसकी मौत हो गई। जाँच के बाद, यह एक आकस्मिक मृत्यु पाई गई और मामला बंद कर दिया गया।”

अनाथ लड़कियों को बनाता था शिकार

बताया जा रहा है कि पीड़ित लड़कियों को उनकी पृष्ठभूमि के आधार पर चुना जाता था। इसमें अनाथ और सिंगल माता-पिता की बेटियाँ होती थीं। अगर किसी पीड़िता ने आरोपित के कमरे में जाने से इनकार किया, तो उन्हें कैद कर दिया जाता था। भूखा रखा जाता था और कड़ी सजा दी जाती थी।

सरकार सँभाल सकती है बागडोर

कर्नाटक सरकार मुरुघा मठ को अपने हाथों में लेने की योजना बना रही है। राज्य प्रशासक नियुक्त करने पर विचार कर रहा है। शरणारू को मठ के प्रमुख के पद से हटाने के बढ़ते दबाव के बीच मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा, “हमने डीसी से एक रिपोर्ट माँगी है, रिपोर्ट को देखने के बाद निर्णय लिया जाएगा।”


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