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आखिरी सच के समाचारों का असर श्रमोदय आवासीय विद्यालय को मिले प्राचार्य, हिटलर अभिनिका पाण्डेय को मिली उनके गृह जनपद में तैनाती, जबकि हिटलरशाही की पीड़िता एकता बम को नही मिला न्याय, शिवराज मामा की व्यवस्था व स्कूल शिक्षा विभाग सब मौन।

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मध्यप्रदेश। की राजधानी भोपाल में स्थिति श्रमोदय विद्यालय की हिटलर प्रभारी प्राचार्या अभिनिका पाण्डेय का स्थानांतरण उनके गृह जनपद जबलपुर के लिये किया गया, आखिरी सच की विगत पांच समाचारों को देखते हुए उस हिटलर प्राचार्या का स्थानांतरण तो मध्यप्रदेश की सरकार के जिम्मेदारों नें तो कर दिया लेकिन, रसायन शास्त्र की पीजीटी अध्यापिका एकता बम को उनकी ईमानदारी व कर्तव्यनिष्ठा का ईनाम यह मिला कि पूरी ईमानदारी से काम करनें वाली अध्यापिका को आज दो साल आठ महीनें बीतनें को हैं, लेकिन न तो शिवराज मामा को दिखा और न ही उनकी व्यवस्था के संचालक गैर जिम्मेदार कर्मियों को दिखा, जिससे कि उक्त ईमानदार व कर्तव्यनिष्ठ कर्मी को न्याय ही मिला हो।

उच्चाधिकारियों द्वारा बच्चों के शोषण का विरोध अध्यापिका एकता हुई जातिवाद का शिकार, नौकरी से बहिस्कृत, छात्र व अध्यापक, एकता के पक्ष में।

हम आपको बताते चलें कि एकता बम जो नवोदय विद्यालय समिति में भी अपनी सेवायें कई वर्षों तक दे चुकी थीं, उन्हें अभिनिका पाण्डेय व उनके तथाकथित आकाओं के द्वारा षड़यंत्र में फर्जी अभियोग लगाकर केवल नौकरी से इस लिये निकाल दिया गया, क्योंकि एकता बम उनकी प्राचार्या के पद के लिये उनसे ज्यादा योग्य थीं जो कभी भी उनकी कुर्सी के लिये खतरा बन सकती थीं। जिसके क्रम में अभिनिका पाण्डेय नें एक नियोजित षड़यंत्र में उन्हें अपनी दमनकारी नीतियों का शिकार बनाया था।



जबकि उक्त मुद्दे पर सामाजिक संचार माध्यम की माईक्रोब्लागिंग वेब साइट ट्वीटर पर एकता बम के समर्थन में इसी विद्यालय के छात्रों व छात्राओं द्वारा एकता जी के समर्थन में काफी ट्वीट भी सक्षम जिम्मेदारों को टैग करके किये गये लेकिन भोपाल से लेकर दिल्ली तक के समस्त जिम्मेदार मूक दर्शक बनकर उक्त समस्त ट्वीटों को देखते रहे लेकिन सत्य के समर्थन में कोई निर्णय नही ले पाये।

बृजेंद्र प्रताप सिंह श्रम विभाग मंत्री को आखिरी सच नें व्यक्तिगत फोन कर मामले का संज्ञान भी दिया था लेकिन माननीय मंत्री जी का आश्वासन जरूर मिला था, लेकिन माननीय श्रममंत्री द्वारा उक्त मसले पर आजतक कोई कार्यवाही नही की गयी। जबकि एकता बम न्याय की गुहार लगाते लगाते थक गयी।



श्रम विभाग,  स्कूल शिक्षा विभाग, सरकार सब के सब मौन

जबकि हम आपको बताते चलें कि यदि विद्यालय में प्राभारी प्राचार्या अभिनिका पाण्डेय के कार्यकाल की जांच यदि मध्यप्रदेश सरकार द्वारा किसी पृथक एजेंसी य सीबीआई से करवाई जाय तो इनके कार्यकाल में करोड़ो.रूपये का गमन व अधीनस्थों से बर्बरता की कहानी साफ दिखाई पड़ जायेगी, जबकि एकता बम को बिना किसी गलती के सेवा मुक्त किया गया, वहीं अभिनिका पाण्डेय के कुकृत्यों पर पर्दा डालनें के लिये उनको इनाम के तौर पर केवल स्थानांतरण वह भी उनके गृह जनपद जबलपुर में नियोजित षड़यंत्रान्तर्गत लक्ष्मी प्रसाद पाठक ( पूर्व श्रमायुक्त भोपाल व वर्तमान पदस्थ इंदौर) जी के द्वारा दबाव बनाकर दिलवाया गया।

अभिनिका पाण्डेय द्वारा विद्यालय संसाधनों का भरपूर उपयोग अपनी स्वार्थपूर्ति के लिये किया गया वह चाहे फर्नीचर रहा हो, पंखा रहा हो य एसी रहा हो, सोफा, कम्प्यूटर, लैपटाप, अलमारी के साथ ही विद्यालय की मानवीय सम्पदा का उपयोग भी व्यक्तिगत व पारिवारिक स्वार्थ की पूर्ति के लिये किया गया, चतुर्थ श्रेणी कर्मियों को अभिनिका पाण्डेय द्वारा अपनें पिता की बीमारी में अस्पताल में सेवा के लिये भेजा जाना रहा हो, य फिर घर पर झाडू चौका बर्तन की साफ सफाई का काम रहा हो जिसका सत्यापन जांच में निकलकर सामनें आ सकता है। वहीं प्रार्थना सभा में शायद ही महीने में सात दिन पाण्डेय महोदया उपस्थिति रही हों, य फिर विद्यालय समय में बिना गेट रजिस्टर पर दर्ज किये बाहर जाना रहा हो हर जगह पाण्डेय जी नें हिटलरशाही की हद पार कर दी।

ज्यादातर निष्क्रिय व प्रभारी प्राचार्या के चाटुकारों से सुशोभित समितियां कुछ को छोड़कर, कैसे हों जीवित, जबकि श्रमोदय विद्यालय बना वर्चस्व की जंग का अखाड़ा, बिना योग्यता अभिनिका पाण्डेय कैसे बनीं प्रभारी प्राचार्य, एक विस्तृत काला चिठ्ठा।

एकता बम से खुन्नस की मुख्य वजह

सन् 2019 में रसायन शास्त्र के उपयोगी घटकों की खरीददारी के बिलों पर प्राचार्या द्वारा जब एकता बम से हस्ताक्षर को कहा, तो एकता बम नें साफ शब्दों में सामान व बिल के मिलान के बाद ही हस्ताक्षर करनें की बात कही, जो पाण्डेय जी को नगवारा लगी, व वहीं से शुरु हुई  गांठ बढ़ते बढ़ते फर्जी अभियोग मसलन एकता बम प्रार्थना सभा में नही आती, विद्यालय समय में विद्यालय में शिक्षण कार्य न करके कमरे पर आराम करती हैं, बिना बताये स्कूल परिसर से बाहर निकल जाती हैं, चतुर्थ श्रेणी कर्मियों से मार पीट करती हैं, आदि आदि फर्जी अभियोग लगाये गये। जबकि विद्यालय के सीसीटीवी फुटेज किसी भी आला अधिकारी द्वारा देखकर गलत को गलत व सही को सही मूल्याकंन करनें की जहमत नही उठाई गयी, जब सीसीटीवी फुटेज का कोई उपयोग नही तो आम जनता के करों से प्राप्त धनराशि का सीसीटीवी कैमरा लगवानें में खर्च क्यों किया जा रहा है…..? यक्ष प्रश्न

वास्तविकता यह है

एकता बम द्वारा बच्चों से भ्रमण के नाम पर की जा रही अवैध वसूली का खुला विरोध किया गया था। वहीं स्थानांतरण प्रमाण पत्र के नाम पर 1000 से लेकर 1500 रूपये तक की अवैध वसूली पर भी मुखर विरोध एकता बम द्वारा किया गया था, बच्चों को उनकी रोजमर्रा की जरूरतों पर होनें वाली कटौती व स्टेशनरी वितरण के समय घर गये बच्चों को स्टेशनरी न देनें का भी विरोध किया गया था। क्या सरकार बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिये एकता बम की सेवायें पुनः बहाल करेगी य फिर एकता बम को उनकी इमनदारी की सजा नौकरी से बहर ही रहकर भुगतनी पड़ेगी।

बाद में ज्वाइन किये अध्यापकों को आवास व पहले वालों को दिया घंटा बम के आवास का ताला बिना सूचना तोड़ा

आपको बताते चलें कि विद्यालय में पाण्डेय मैडम की हिटलरशाही का आलम यह रहा कि एकता बम को आवंटित आवास का ताला बिना पूर्व सूचना के असंवैधानिक तरीके से  तोड़वाकर अतिथि शिक्षक को आवंटित कर दिया गया वहीं एकता बम के आवास का सामान कहां है कुछ भी जानकारी आज तक नही दी गयी, एक सबसे मजेदार बात यह भी निकल कर आयी का पाण्डेय जी के कार्यकाल में पहले से पदासीन अध्यपकों को आज भी आवास नही दिये गये जबकि नये नये आये अध्यापकों को आवास पाण्डेय जी द्वारा अवंटित कर दिये गये।

(विस्तृत जानकारी के लिये ऊपर संलग्नित लिंकों को खोलकर अवलोकन करें)


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