विजय कृष्ण पांडेय जी की कलम से साभार आर्यावर्त का अघोर अतीत की पोस्ट, जमीन के नीचे गुफाएं खोदकर भी पूर्वजो ने मार्ग बना रखा था।
मुख्य फोटो के नक्शे में जहाँ जहाँ नीला निशान बनाया है, उस प्रत्येक स्थान पर गुफाएं हैं, और यह सभी गुफाएं एक दूसरे से कनेक्टेड हैं।
जैसे कर्नाटक की बादामी गुफाओं का रास्ता विश्व मे कहाँ- कहाँ जा सकता है, उसका अनुमान कोई नही लगा सकता। महाराणा प्रताप जिस
मायरे की गुफ़ा में रुके थे, ऐसे ही रहस्यों के कारण आज उस गुफा को भी बन्द कर दिया गया है।
हम दावा करते हैं, निश्चित रूप से चित्तौड़ की गुफाओं का रास्ता सीधे अरब तक जाएगा,
और, दूसरी छोर पर अमेरिकी देश तक।
कश्मीर में आज भी रूसी गुफाएं हैं, वहाँ के लोगों की मान्यता आज भी है कि इन गुफाओं से रूस तक आना जाना होता था।
पांडवो ने वारणावत यात्रा में एक ऐसी गुफ़ा में से भी यात्रा की थी, जिसमे जल था। नाव के द्वारा पांडवों को उस गुफ़ा के अंदर से जाना पड़ा था।
ऐसी गुफाएं आजकल ईरान में हैं, उसमे पानी भरा रहता है, पहले इजिप्ट की गुफाओं में भी जल भरा रहता था। बाकी आप अपना भी शोध कर लीजिए। आपको हमारी बात पर ज़्यादा हैरानी नही होगी।
हम जल्द ही आपको वह टूटे फूटे मकान, जले हुए पहाड़, मकान, सभ्यता आदि सब कुछ दिखाएंगे,
जिनका नाश महाभारत में हुआ था।