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पतंजलि के पांच उत्पादों पर, आयुर्वेद और यूनानी लाइसेंसिंग प्राधिकरण देहरादून ने लगाई रोंक।

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उत्तराखंड। एक रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड के देहरादून में आयुर्वेद और यूनानी लाइसेंसिंग प्राधिकरण ने दिव्य फार्मेसी को मधुग्रित, आईग्रिट, थायरोग्रिट, बीपीग्रिट और लिपिडोम का उत्पादन बंद करने का निर्देश दिया है। आदेश डॉ जीसीएस जंगपांगी, लाइसेंस अधिकारी, उत्तराखंड आयुर्वेदिक और यूनानी सेवा द्वारा जारी किया गया था, और पतंजलि पर भ्रामक विज्ञापनों का आरोप लगाया था।



केरल के नेत्र रोग विशेषज्ञ केवी बाबू द्वारा जुलाई में दायर एक शिकायत के आधार पर यह कार्रवाई की गई है।  केवी बाबू ने 11 अक्टूबर को ईमेल के जरिए राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण (एसएलए) को एक और शिकायत भेजी थी। प्राधिकारी नें कंपनी से आगे कहा, ‘या तो विभाग अपनी गलती सुधार कर इस षडयंत्र में लिप्त व्यक्ति के विरुद्ध उचित कार्यवाई करे अन्यथा पतंजलि को हुए संस्थागत नुकसान की क्षतिपूर्ति सहित इस षडयंत्र के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों को दंडित करने के लिए संस्था कानूनी कार्यवाई करेगी।



भ्रामक विज्ञापनों का हवाला देते हुए आयुर्वेद और यूनानी लाइसेंस अथॉरिटी, उत्तराखंड ने पतंजलि के उत्पाद बनाने वाली दिव्य फार्मेसी को पांच दवाओं के उत्पादन पर रोक लगाने को कहा है। इसके विरोध में योग गुरु बाबा रामदेव ने एक ‘आयुर्वेद विरोधी ड्रग माफिया’ पर साजिश करने का आरोप लगाया है।

कंपनी ने कहा कि उसे अखबारों में छपी रिपोर्ट में दिए गए आदेश की कॉपी नहीं मिली है, लेकिन इसमें ‘आयुर्वेद विरोधी ड्रग माफिया की संलिप्तता स्पष्ट है।” गुरुवार को कई अखबारों की रिपोर्ट में कहा गया था कि उत्तराखंड प्राधिकरण ने रामदेव के पतंजलि आयुर्वेद को उन पांच उत्पादों का निर्माण बंद करने के लिए कहा है, जिनका प्रचार कंपनी ने रक्तचाप, मधुमेह, घेंघा (गॉइटर), ग्लूकोमा और उच्च कोलेस्ट्रॉल के इलाज के तौर पर किया है।



कंपनी ने एक बयान जारी कर कहा, ‘पतंजलि द्वारा बनाए गए सभी उत्पादों और दवाओं को 500 से अधिक वैज्ञानिकों की मदद से आयुर्वेद परंपरा में उच्चतम अनुसंधान और गुणवत्ता के साथ सभी वैधानिक प्रक्रियाओं और अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करते हुए, निर्धारित मानकों का पालन किया जाता है। आयुर्वेद और यूनानी सेवा उत्तराखंड द्वारा प्रायोजित तरीके से 9.11.2022 को जो पत्र षडयंत्रपूर्वक लिखा और मीडिया में प्रसारित किया गया था, उसे अब तक किसी भी रूप में पतंजलि संस्थान को उपलब्ध नहीं कराया गया है।’


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