नाकाम इश्क के 35 टुकड़े, मुम्बई की श्रद्धा मार्डर मिस्ट्री के अनसुलझे सवाल- रमेश श्रीवास्तव वरिष्ठ कलमकार की कलम से।
रमेश श्रीवास्तव। नाकाम इश्क के 35 टुकड़े, मुम्बई की श्रद्धा और आफताब के बीच न कोई प्यार था और न ही कोई चाहत-ये आफताब की एक सोची समझी साजिश थी जिसके जाल में श्रद्धा फंस गई और यही वजह है कि मुम्बई के भाजपा विधायक राम कदम ने इस हत्याकांड की जांच को ‘लव जिहाद’ एंगल से करने की मांग की है।
इस हॉरर स्टोरी में कुछ सवाल है जो आगे जांच में सामने आएंगे बड़ा सवाल
(1)- आफताब का वो दोस्त कौन है, जो उसे हिमाचल में मिला और जिसने आफताब को छतरपुर आने को कहा? इस दोस्त का श्रद्धा की हत्या में क्या रोल है?
(2)- दिल्ली में आफताब को नौकरी किसने दिलाई? वह गारण्टर कौन है?
(3)- पहाड़गंज के किस होटल में आफताब श्रध्दा को लेकर 10 दिन रहा, इस होटल का बिल किसने और क्यों भरा?
(4)- हत्या के बाद नया फ्रिज खरीदना, डेडबॉडी काटने के लिए आरी खरीदना, बॉडी पार्ट्स फेंकने के सामान, एसिड, रूम फ्रेशनर, रस्सी, बैग ये सब सामान खरीदने में आफताब की मदद कौन कर रहा था?
(5)- वो लड़कीं कहाँ है जो श्रद्धा की हत्या के बाद उसी फ्लैट में आफताब के साथ रह रही थी? उसका इस हत्याकांड में क्या रोल रहा था।
(6)- क्या आफताब ने और किसी लड़कीं को भी श्रद्धा की तरह हत्या कर अपने रास्ते से हटाया था? जैसा कि आखिरी सच नें अपनी कल की रिपोर्ट में चार लड़कियों के और नाम सार्वजनिक किये थे वो आज कहां हैं?
(7)- क्या आफताब लड़कियों को प्यार के जाल में फंसाकर उन्हें अपने बाकी दोस्तो, मालिको, हैंडलर्स को भी देता था और जो लड़कीं विरोध करती उसे रास्ते से हटा देता था?
(8)- आफताब के माँ बाप,परिवार वाले कहाँ है?अब तक कोई सामने क्यों नही आया? उनका नाम पुलिस नें अभी तक सार्वजनिक क्यों नही किया?
(9)- क्या आफताब कुछ धार्मिक गुरुओं य इस्लामिक कट्टरपंथियों के संपर्क में था? यदि था तो वो कौन हैं?
सिरफिरों की नही होती कोई जाति न होता कोई धर्म- रमेश श्रीवास्तव की बेबाक कलम से यथार्थ पर प्रहार।