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माफिया के तिलिस्मी संसार की बखिया उधेड़नें वाले सामाजिक कार्यकर्ता पर जानलेवा हमला, अस्पताल में भर्ती सामाजिक कार्यकर्ता पर जिलाध्यक्ष के संरक्षण में एफाईआर पंजीकृत।

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शाहजहांपुर। प्रदीप सिंह राठौर पुत्र श्री विनोद कुमार सिंह निवासी ग्राम व थाना मदनापुर जनपद शाहजहांपुर के निवासी जो विगत काफी समय से निरंतर सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में जनहित के लिए कार्य करता हैं। जिंहोंनें जनहित में मदनापुर निवासी सत्येंद्र सिंह पुत्र राजा सिंह, शैलेंद्र सिंह पुत्र राजा सिंह, आरती देवी पत्नी सत्येंद्र सिंह, जदुरानी पत्नी रामकिशन, रविंद्र पुत्र रामकिशन,आदि लोगों के द्वारा किए गए भ्रष्टाचार की कुछ जांचे करवाई। जो निम्नलिखित हैं।

सत्येंद्र सिंह ने राजस्व विभाग के अधिकारियों से मिलीभगत करके फर्जी तरीके से गलत दस्तावेजों के आधार पर ग्राम पंचायत मदनापुर की करोड़ों रुपए की श्रेणी 1 की सरकारी भूमि खाता संख्या 00302 गाटा संख्या 188 मि0 रकवा 0.1860 है0 मदनापुर की वर्तमान प्रधान जदुरानी एवं उनके बेटे रविंद्र एवं अनिल के नाम पट्टा करवाकर उसे औधोगिक भूमि में घोषित करवाकर प्लाटिंग शुरू कर दी। जब प्रदीप को इस भ्रष्टाचार के बारे में पता चला तो इंहोने कई बार राजस्व विभाग के अधिकारियों से मिलकर इसकी शिकायत की। लेकिन हर बार राजस्व विभाग के जिम्मेदारों द्वारा उन्हें गुमराह किया गया और उनको कर्मियों द्वारा गोल मोल जवाब दिया गया।

दिनांक 06/09/2022 को उन्होंने रजिस्टर्ड डाक से माननीय मुख्य मंत्री जी को संबोधित एक शिकायती प्रार्थना पत्र भेजा। जो IGRS पोर्टल पर दर्ज किया गया। जिसका संदर्भ संख्या 20015222014265 है। इसमें एसडीएम सदर ने जो आख्या पोर्टल पर अपलोड की उसमे साफ लिखा है कि उक्त प्रश्नगत भूमि जिल्दबंदोबस्त(C.H.45) में “श्रेणी 1 सरकार ग्राम समाज या स्थानिक संस्था के अधिकार में हो जिसको ज0वि0भू0 व्यवस्था अधिनियम की धारा 117 क के अधीन कास्त में दे दी गई हो” का पट्टा नियमतः नहीं किया जा सकता। तो फिर इस जमीन का पट्टा कैसे हुआ और औधोगिक भूमि कैसे घोषित हुई। इस प्रकरण में संलिप्त सभी अधिकारी कर्मचारी दोषी हैं।



महोदय सत्येंद्र सिंह की पत्नी आरती सिंह ने फर्जी निवास एवं फर्जी विकलांग प्रमाण पत्र के आधार पर सन् 2005 में विकास खंड मदनापुर के प्राथमिक विद्यालय माहियावर में शिक्षा मित्र की नौकरी हासिल कर ली। जिस पर प्रदीप सिंह ने दिनांक 05/10/2021 को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी शाहजहांपुर से आरटीआई एक्ट 2005 के तहत आरती देवी के शिक्षा मित्र अनुमोदन के पैनल की प्रति मांगी। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के द्वारा दिनांक 13/10/2021 को प्रदीप को शिक्षा मित्र अनुमोदन के पैनल की प्रति उपलब्ध कराई गयी।

पैनल में साफ स्पष्ट है कि विकलांग कोटे का लाभ लेकर शिक्षा मित्र की नौकरी हासिल की। जबकि आरती सिंह पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं। जैसे ही इन्हें भनक लगी की प्रदीप को उक्त पैनल की कॉपी मिल गई है इन्होंने आनन फानन में इस्तीफा लिखकर दे दिया। और सोचा कि शायद अब आगे जांच ना हो। दूसरी तरफ इन्होंने निवास भी गलत दिखाया। क्योंकि शिक्षा मित्र की नौकरी ग्राम पंचायत स्तर की नौकरी थी। अपनी ग्राम पंचायत में ही आप अप्लाई कर सकते थे। जबकि न तो आरती सिंह का महियावर में मायका है न ही ससुराल। और न ही आरती सिंह विकलांग हैं। जिस पर प्रदीप ने दिनांक 08/09/2022 को रजिस्टर्ड डाक से माननीय मुख्यमंत्री जी को संबोधित एक पत्र भेजा। जो आईजीआरएस पोर्टल पर दर्ज हुआ। जिसकी संदर्भ संख्या 80015222000850 है।



इस शिकायत के संदर्भ में दिनांक 03/10/2022 को राज्यपरियोजना निदेशक विजय किरन आनंद जी ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी शाहजहांपुर को सम्यांतर्गत जांच के लिए निर्देशित करते हुए ईमेल द्वारा एक पत्र भेजा एवं उसे पोर्टल पर भी अपलोड किया। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से जब प्रदीप नें पूंछा तो बोले क्यों पीछे पड़े हो अब तो उन्होंने नौकरी भी छोड़ दी। तब प्रदीप नें उक्त अधिकारी से कहा कि इन्होंने गलत दस्ताबेजो के आधार पर लगभग 17 साल नौकरी की और सरकारी पैसों का गबन किया उसकी रिकवरी कर लीजिए। आगे मैं कुछ नहीं करूंगा। तो उक्त अधिकारी नें प्रदीप को धमका कर कहा वो दबंग लोग हैं, तुम उनका कुछ नही कर पाओगे खुद भी मरोगे और मुझे भी मारवाओगे। लगभग 1.5 माह बीतने के बाद भी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी शाहजहांपुर ने साक्ष्य होते हुए भी इस भ्रष्टाचार के प्रकरण में कोई कार्यवाही नहीं की।

सत्येंद्र सिंह के बड़े भाई शैलेंद्र सिंह विकास खंड मदनापुर के प्राथमिक विद्यालय बढ़ाई में प्रधानाध्यापक के पद पर कार्यरत हैं। शैलेंद्र नें कोरोना काल में बच्चों के लिए आए परिवर्तन लागत के पैसों को प्रधानाध्यापक शैलेंद्र सिंह जी के द्वारा गबन करने के संबंध में दिनांक 14/09/2022 को रजिस्टर्ड डाक से माननीय मुख्यमंत्री जी को संबोधित एक पत्र भेजकर शिकायत की थी। जो आईजीआरएस पोर्टल पर दर्ज हुआ। जिसकी संदर्भ संख्या 80015222000925 है। इसमें जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी शाहजहांपुर के द्वारा एक लेटर अपलोड किया गया जिसमे 49 दिवस की एडवाइज के पन्ने कम बताए गए और तीन चार दिन का समय मांगा गया। उसके बाद प्रधानाध्यापक शैलेंद्र सिंह के द्वारा प्रस्तुत किए गए अभिलेखों की प्रति प्रदीप को उपलब्ध कराई गई।



अभिलेखों की जांच करने के बाद मैने दिनांक 17/10/2022 को साक्ष्य सहित कुछ बिंदुओं की शिकायत की। जिसके संदर्भ में प्रधानाध्यापक को 3 दिवस के भीतर साक्ष्य सहित अपना पक्ष कार्यालय को उपलब्ध कराने के लिए नोटिस दिया गया और कहा गया कि अगर ऐसा नहीं करते हैं तो ये माना जायेगा कि अपको अपने पक्ष में कुछ नही कहना है और विभागीय कार्यवाही अमल में लाई जाएगी। लेकिन दिए गए नोटिस का समय निकलने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की गई।

आपको हम बताते चलें की उपरोक्त परिवार के सभी सदस्य दबंग प्रवृत्ति के शातिर अपराधी हैं। ये सभी मामले जनहित के हैं। प्रदीप का इनमें से कोई भी मामला व्यक्तिगत नहीं है। क्या जनहित व राष्ट्रहित में भ्रष्टाचार का खुलासा करना उसके खिलाफ आवाज उठाना गुनाह है। जबकि उक्त दबंग परिवार का सार्वजनिक रूप से ऐलानिया कथन है कि जो भी उनके द्वारा किये गये भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाएगा उसकी बोलती बंद कर दी जाएगी। या उसे जान से मार दिया जायेगा।



उक्त भ्रष्टाचारियों ने प्रदीप सिंह को अपने रास्ते से हटाने के लिए जान से मारने की नीयत से षडयंत्र रचा।

दिनांक 13/11/2022 को लगभग शाम 5:20 बजे बाइक पे अकेला पाकर बरी पुलिया के पास पहले से घात लगाकर बैठे सत्येंद्र सिंह, शैलेंद्र सिंह, रितेश,राजेश,मदन,अजय,विजय,रविंद्र ने लाइसेंसी हथियारों लाठी डंडा चाकू आदि से प्रार्थी पर जान लेवा प्रहार करना शुरू कर दिया।राहगीरों एवं परजनों ने उसे जिला मेडिकल कॉलेज शाहजहांपुर में भर्ती काराय। यहां वो जिंदगी और मौत से जूझ रहा है। सभी अपराधियों पर गंभीर धाराओं में मुकदमा पंजीकृत हुआ। लेकिन अपराधियों की कोई गिरफ्तारी नहीं हुई।

पीड़ित को अस्पताल में लगातार धमकियां मिल रही हैं। कि समझौता कर लो नही तो इस बार बच गए । अगली बार नही बचोगे। अपराधियों को जिले के वरिष्ठ भाजपा नेताओं का संरक्षण प्राप्त है। अपराधियों ने घटना के तीसरे दिन जिले के वरिष्ठ भाजपा नेताओं एवं पुलिस प्रशासन के साथ साँठ गाँठ करके पीड़ित एवं उसके परिवार के लोगों पर भी फर्जी मुकदमा लिखवा दिया। अब तो हद ही हो गई पीड़ित को हॉस्पिटल के अंदर ही मारने की धमकियां मिल रही है। वर्ना समझौता लिखकर दे दो।



पीड़ित को सुरक्षा मुहैया कराई जाए। पीड़ित को एवं उसके परिवार वालों को अपराधियों से हर वक्त जान का खतरा बना हुआ है। अगर किसी के साथ कोई अप्रिय घटना घटित होती है तो इस सबके जिम्मेदार यही सब होंगे। क्या जनहित में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाना अपराध है। ऐसे करने वाले को जान से मार दिया जायेगा। अगर जिले के वरिष्ठ भाजपा नेता और पुलिस प्रशासन ऐसे कुख्यात अपराधियों का साथ देगा तो भ्रष्टाचार/क्राइम के मामले में योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति का क्या होगा। क्या ये सरकार पर सवालिया निशान नहीं है।


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