मुंबई। एक वैवाहिक विज्ञापन पोर्टल पर मिले एक जालसाज ने शादी का वादा करके एक व्यवसायी महिला से 2 करोड़ रुपये ठग लिए। इसके छह महीने बाद साइबर पुलिस ने उसके एक सहयोगी को पकड़ा है। पुलिस को ये मामला एक बड़ा घोटाला लग रहा है। हालांकि अभी तक ठगी करने वाले की पहचान और गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। जबकि उसके पकड़े गए सहयोगी शाहनवाज खान ने यूपी स्थित अपने आवास पर फर्जी आधार कार्ड बनवाए। जबकि उसके भाई अब्दुल सत्तार ने व्यवसायी महिला जैसे कई लोगों से ठगी से मिले पैसे को हासिल करने के लिए फर्जी दस्तावेजों का उपयोग करते हुए प्रवासी मजदूरों के नाम पर बैंक खाते खोले।
TOI की एक खबर के मुताबिक पीड़ित महिला ने एक वैवाहिक पोर्टल पर एक प्रोफाइल बनाई थी। जहां वह एक ऐसे शख्स से मिली थी, जिसने अफगानिस्तान में नाटो के साथ काम करने का दावा किया था। ऑनलाइन चैटिंग के बाद दोनों में नजदीकियां बढ़ीं। उसने महिला को बताया कि उसका जीवन खतरे में है और उसे अपने सभी महत्वपूर्ण दस्तावेज, प्रमाण पत्र और पुरस्कार एक विश्वसनीय व्यक्ति को भेजने की जरूरत है। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि शख्स ने उस महिला का पता पूछा ताकि वह अपना पार्सल भेज सके। महिला ने ऐसा ही किया। पार्सल के दिल्ली पहुंचने पर उन्हें इसकी जानकारी दी गई। लेकिन सामग्री की संवेदनशील प्रकृति को देखते हुए उसे विभिन्न शुल्कों का भुगतान करने के लिए कहा गया।
महिला के कथित प्रेमी ने उसे आश्वासन दिया कि उसने पार्सल के साथ 7,800 डॉलर भेजा था। एक साल से अधिक समय तक महिला ने 2.13 करोड़ रुपये का भुगतान किया। जब उसकी जीवन भर की जमा पूंजी खत्म हो गई और पार्सल उसके पास कभी नहीं पहुंचा, तो उसने मई में उत्तर क्षेत्र साइबर पुलिस से शिकायत की।
महिला ने 37 अलग- अलग बैंक खातों में भुगतान
महिला ने 37 अलग- अलग बैंक खातों में भुगतान किया था। कुछ बैंक खाते मुंबई में और कुछ दिल्ली में खोले गए, लेकिन लेन-देन हमेशा यूपी से होता था। वरिष्ठ निरीक्षक विजय चंदनशिव और डीसीपी बालसिंह राजपूत की देखरेख में सहायक निरीक्षक अनुराधा पाटिल की एक टीम यूपी के सैदपुर गांव में पहुंची, जहां उन्होंने खान को उठाया। उन्होंने 19 सिम कार्ड, एक लैपटॉप, कलर प्रिंटर, 10 एटीएम कार्ड और 14 खाली आधार कार्ड बरामद किए।
पुलिस को पता चला कि सत्तार प्रवासी मजदूरों के साथ शहरों में बैंकों में जाता था और थोड़े से पैसे के बदले उनसे बैंक खाते खुलवाता था। खान द्वारा तैयार किए गए फर्जी आधार कार्ड का इस्तेमाल बैंक खाते खोलने के लिए किया गया था। धोखाधड़ी का पैसा खातों में आने के तुरंत बाद यूपी में एटीएम के माध्यम से इसे निकाल लिया गया। एक अधिकारी ने कहा कि जब तक बैंकों को पता चलता कि खाते फर्जी थे और उन्हें बंद किया गया, तब तक धोखाधड़ी की रकम निकाल ली गई थी। पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि एटीएम से निकाले गए पैसे को महिला के कथित प्रेमी समेत अन्य आरोपियों तक कैसे पहुंचाया गया। कथित प्रेमी और सत्तार अभी फरार हैं।