आम हो य खास हर एक के जीवन यापन की बढ़ती लागत, नीतिनियंताओं को काबिले गौर फरमानें के लिये वरूण गांधी का आलेख व सांख्यिकी आंकड़े।
शहरी। भारत क्या जीवन यापन के संकट के दौर में प्रवेश कर चुका है? देश के औसत शहरी परिवार के लिए हफ्ते की बुनियादी किराने की खरीद लागत पिछले एक दशक में 68 फीसदी बढ़ी है। आटे की कीमत जून, 2016 में 24.56 रुपये प्रति किलो थी, जो मार्च, 2022 में 29 प्रतिशत बढ़कर 31.68 रुपये हो गई। खुदरा मुद्रास्फीति रिजर्व बैंक के दो से छह फीसदी की लक्ष्य सीमा से आगे बढ़कर अक्तूबर में पांच महीने के उच्च स्तर 7.41 प्रतिशत पर पहुंच गई है।
इससे औसत भारतीयों के लिए रसोई के बजट का प्रबंधन मुश्किल हो जाता है। हिमाचल प्रदेश इस मामले में एक स्पष्ट सबक देता है। वहां उगाए गए सेब उपभोक्ताओं तक पहुंचने में लंबी यात्रा से गुजरते हैं। राज्य के बागवानी उत्पाद विपणन और प्रसंस्करण निगम ने प्रमुख सेब उत्पादक क्षेत्रों में हर तीन- चार किलोमीटर पर संग्रह केंद्र स्थापित करते हुए कोल्ड स्टोरेज क्षमताओं के साथ कटाई के बाद की सुविधाओं का एक विस्तृत नेटवर्क बनाया है। आपूर्ति व शहरी मांग को देखते हुए इसी तरह का नेटवर्क विकसित करने की दरकार है। इस दौरान अन्य मासिक खर्च में भी मूल्यवृद्धि और अस्थिरता देखी गई है।
गैर- सब्सिडी वाले 14.2 किलोग्राम के एलपीजी सिलेंडर की कीमत जून, 2016 के 548.50 रुपये से बढ़कर अक्तूबर में 1,053 रुपये हो गई। इस बीच, बिजली के बिल भी बढ़ रहे हैं। दिल्ली में जून की तुलना में जुलाई में बिजली की लागत में चार प्रतिशत वृद्धि हुई है। तमिलनाडु में 500 यूनिट तक बिजली का उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं का औसत बिजली बिल 53 प्रतिशत बढ़ जाएगा। कर्नाटक के बिजली नियामक आयोग ने इस साल बिजली की दरों में तीन बार वृद्धि की है। राष्ट्रीय राजधानी में पेट्रोल की कीमत जून, 2016 में 65.65 रुपये प्रति लीटर थी, जो बढ़कर अक्तूबर, 2022 में 96.72 रुपये प्रति लीटर हो गई है। सीएनजी में भी इस साल सितंबर से अक्तूबर के बीच सात- आठ फीसदी की वृद्धि हुई है।
विगत अगस्त में बंगलुरू और मुंबई में किराया 2019 की तुलना में 15-20 फीसदी अधिक था। दिल्ली- एनसीआर में इसी अवधि में औसत वृद्धि 10-15 प्रतिशत, जबकि चेन्नई में 8-10 फीसदी थी। वर्ष 2019 की तुलना में शादी की औसत लागत 10 फीसदी बढ़ गई है, क्योंकि औसत होटल दरें 15-18 प्रतिशत बढ़ी हैं। विवाह आयोजन के खर्च में भी 40 फीसदी तक इजाफा हुआ है। दोपहिया या कार खरीदना भी महंगा होता जा रहा है। आपूर्ति श्रृंखला की चुनौतियों के कारण जनवरी 2021 से जनवरी 2022 के बीच विभिन्न प्रकार के कार मॉडलों की कीमतों में चार से आठ फीसदी की वृद्धि हुई है। आपूर्ति शृंखला पर दबाव और अधिक कड़े उत्सर्जन/ सुरक्षा मानदंडों को देखते हुए इनमें और वृद्धि होने की आशंका है।
इलेक्ट्रिक टू व्हीलर और थ्री व्हीलर को और अधिक किफायती बनाने के लिए लक्षित सब्सिडी में विस्तार के साथ निजी वाहनों की जरूरत कम करने के लिए हमारे सार्वजनिक परिवहन नेटवर्क में अधिक निवेश की आवश्यकता है। अचल संपत्ति की खरीदारी भी मुश्किल होती जा रही है। दिल्ली, कोलकाता, हैदराबाद और बंगलुरू में संपत्ति की कीमतों में पिछले साल तीन से सात और इस साल तीन से 10 प्रतिशत वृद्धि हुई है।
अगले दशक में जीडीपी के आधार पर दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होने का लक्ष्य रखने वाले भारत के नागरिकों के लिए जीवन- यापन महंगा होता जा रहा है। उम्मीद है कि नीति निर्माता इस पर गौर फरमाएंगे और ठोस पहल होगी।