त्रिपाठी टीवी रोग से ग्रस्त मुखिया, परिवार आर्थिक तंगी से परेशान, भोजन नही नसीब, बेटी की छूटी पढ़ाई, सरकारी इमदाद नदारद, देश के ब्राह्मण मठाधीशों कहाँ हो तुम।
चित्रकूट। मानिकपुर विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत सकरौहा निवासी ब्राह्मण परिवार पप्पू त्रिपाठी के आंख में आंसू और परिवार की चिंता साफ दिखाई देती हैं। पप्पू त्रिपाठी जो इस समय टीवी रोग से ग्रसित है। परिवार को आर्थिक तंगी ने इस कदर घुटनों पर ला दिया है, की दो टाइम का भोजन भी नसीब नहीं हो रहा है।
मकान जर्जर अवस्था में है कभी भी धराशाई हो सकता है, पन्नी और तिरपाल के सहारे ठंड में गुजारा हो रहा है। गरीब परिवार ने कहा शायद हमें सरकार ब्राह्मण होने की सजा दें रही है, अगर आज हम भी अन्य जाति के होते तो शायद हमें भी आवास मिल जाता।
सवाल पूछने पर पप्पू त्रिपाठी की मां के टपकने लगे आंसू
बेटे से इस संबंध में बात की गई तो मां के दोनों आंखो से आसू टपकने लगे। बूढ़ी माँ ने कहा तीन बेटे खो चुकी हूँ, चौथा बेटा जिंदगी और मौत से जूझ रहा। हालत बहुत खराब हैं। जमीन गिरवी कर बच्चों का दवा कराया लेकिन बच्चों की जिंदगी नहीं बचा पाई। अब तो हालात ऐसे है की हम लोगों के खाने तक लाले पड़ गए हैं। राशन भी मिलता था लेकिन गांव से अधिक दूरी पर राशन बॅटने के कारण किराया भाड़ा न होने पर राशन भी छूट जाता है।
कर्ज में दबा परिवार में उनकी मृत्यु। बीमारी व आर्थिक तंगी होने के कारण उपचार कराने में परिवार ने कमी नहीं छोड़ी और जीवन भर की कमाई उसी में खपा दी। पप्पू त्रिपाठी के तीन भाइयों की बीमारी के कारण पहले ही मृत्यु हो गई है, अब पप्पू भी उसी बीमारी की चपेट में है। पिता ने जमीन गिरवी रख कर बेटो का इलाज कराया इसके बाद 2020 के कोरोना काल में मां ने बताया पूरा परिवार घुटनों पर आ गया है। सब कुछ लुट चुका है। अब तो लाखों रुपए का कर्ज भी है। कंगाली से उबरने के लिए मदद की गुहार अब प्रशासन और सरकार से लगाई है।
पिता के पास गरीबी रेखा का राशन कार्ड है, लेकिन गरीबों के नाम पर बनी सरकारी योजनाएं ज्ञानती के घर की चौखट से दूर है। गरीब परिवार को ना प्रधानमंत्री आवास व सभी सरकारी योजनाएं ज्ञानती त्रिपाठी के परिवार से दूर ही हैं। न ही मुख्यमंत्री आवास योजना का लाभ मिला। इतना ही नहीं पप्पू त्रिपाठी की छोटी बेटी का पैसे के अभाव के कारण आजतक आधार कार्ड भी नहीं बन पाया।
पिता की आर्थिक तंगी से पढ़ाई छूटने का दर्द बयां किया ज्ञानती त्रिपाठी ने
मानिकपुर विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत सकरौहा पप्पू त्रिपाठी की बेटी जो कक्षा आठ की पढ़ाई रही थी। लेकिन पिता की आर्थिक स्थिति अच्छी ना होने के कारण सरकारी स्कूल से किताब तो मिल गई लेकिन कॉपी पेन व अन्य जरूरतों के लिये आर्थिक विसंगतियाँ होने के कारण बेटी ज्ञानती त्रिपाठी ने पढ़ाई छोड़ दी।
अपनी पढ़ाई छूटने का दर्द नम आखे से पूरा हाल बयान किया। ज्ञानती ने कहा पढ़ लिखकर मैं भी इंजीनियर बनना चाहती थी, लेकिन पिता की आर्थिक तंगी के कारण शायद मेरा सपना, सपना ही रह जाएगा। ज्ञानती ने कहा शायद हम लोग ब्राह्मण है इसीलिए हमारी कोई मदद नहीं कर रहा है।
ब्राह्मणों के हितों की बात करने वाले संगठन कहाँ गए?
ब्राह्मणों के सहायता और एकता के लिए संगठन बनाकर ब्राह्मणों के हितों की बात करने वाले संगठन व उसके नेता कहां गए? यह ब्राह्मण नेता व संगठन फिर संगठन के आड़ में कर रहे सौदेबाजी? एक गरीब ब्राह्मण परिवार जिसकी हालत इतनी बद से बदतर है कि वह दो टाइम का भोजन भी नही कर सकता, परिवार के बच्चे भी पढ़ाई से वंचित हैं। इसके बाद भी ब्राह्मण परिवार कि कोई ब्राहाण संगठन मदद नहीं रहा है। कहां गये तथाकथित ब्राह्मणों का हित चाहने वाले लोग? क्या सिर्फ ब्राह्मण संगठन बनाकर राजनीतिक रोटी सेक रहे हैं यह ब्राह्मण संगठन?