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पिता को मृत दिखाकर बुआ नें हड़पी जमीन, बेटा मंगल की संघर्ष का मिला परिणाम, जिलाधिकारी बांदा नें दिलाया न्याय, जमीन पर नाम मिला पर नही मिला कब्जा।

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बांदा। एक बहन ने जीते- जी अपने सगे भाई को मार दिया तो एक बेटे ने 14 साल बाद पिता को जिंदा किया और उन्हें उनका हक दिलाया। ये घटना है नरैनी तहसील व विकास खंड के ग्राम पंचायत रानीपुर के गांव सकतपुर की है, जहां लालच में बहन- भाई के पवित्र रिश्ते दागदार हुए तो बेटे ने अपने पिता को जीवित करने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी। एक किसान को अपनों ने छला था तो अब अपने ने ही उसकी खुशियां लौटाईं हैं।

बेटे को लेकर फरीदाबाद चला गया था शेरा

नरैनी तहसील के सकतपुर गांव निवासी 69 वर्षीय शेरा की पत्नी संपत की 1993 में मौत हो गई थी। शेरा के बड़े दो भाई किशना और बाबूलाल का भी निधन हो गया था। पत्नी की मौत के बाद शेरा गांव छोड़कर बेटे मंगल को लेकर फरीदाबाद चले गए थे। गरीबी के चलते मंगल चौथी तक पढ़ पाया। फरीदाबाद में रहकर पिता- पुत्र मजदूरी करने लगे। शेरा ने बेटे मंगल की शादी की और परिवार के साथ रहता रहा। गांव में शेरा के नाम साढ़े सात बीघा खेत बने रहे। आर्थिक हालात खराब हुए तो शेरा ने गांव चलकर खेती करने का विचार किया। करीब 11 साल बाद वर्ष 2008 में शेरा और मंगल परिवार के साथ गांव लौट आए।

किसान को अपनों ने छला

गांव में परिवार के गुजर बसर की आस में लौटे शेरा को अपनों ने ही छल लिया था। गांव आकर पता चला कि उसकी अपनी सगी बहन बेटीबाई ने उससे धोखा किया है। मंगल भी अपने बुआ- फूफा की करतूत से दंग रह गया। गांव के रिकार्ड के मुताबिक उसके पिता शेरा अब मर चुके थे। गांव में कहीं ठिकना नहीं मिला। दो दिन तक मंगल अपनी पत्नी गुड़िया, छह माह के बेटे और ढाई साल की बेटी को लेकर रेलवे स्टेशन पर सोया। उसकी पत्नी के पास रखे 14 हजार रुपये भी पर्स से चोरी हो गए। शेरा और मंगल पूरी तरह टूट गए थे।

कब्जेदारों ने खेत देने के बदले मांगा अपना पैसा

शेरा और उसका बेटा मंगल अपने खेत पर गए तो पता चला कि महोबा जिला के कुलपहाड़ के जैतपुर जमींदारी मोहल्ला में रहने वाली बहन बेटीबाई पत्नी राजाराम उर्फ बुद्धू ने खेत बेच दिए हैं। शेरा ने जमीन अपनी बताई तो कब्जेदार कागजात दिखाते हुए बेटीबाई काे दिया रुपये उससे वापस मांगने लगे। तहसील से जानकारी की तो कागजों में शेरा के मृत होने और बेटीबाई के नाम वरासत दर्ज होने का राज खुला। बेटीबाई ने वर्ष 2002 में साढ़े सात बीघा खेत अपने नाम करा लिये थे।

ये मंगल कौन व कैसे लड़ी लड़ाई

ये मंगल पुत्र शेरा जो कक्षा 4 तक ही पढ़ पाये थे, जिनकी शादी सन् 2019 आगरा से हुई, जिनकी दो संतानें हैं, जिसके क्रम में काफी दलालों से लूटनें का काम भी किया है, जिसके क्रम में पीड़ित द्वारा अबतक लगभग 400000 रूपये विभिन्न आयामों में खर्च कर यह लड़ाई जिलाधिकारी जी के हस्ताक्षेप के बाद हासिल कर पाये। लेखपाल का रोल उक्त मुद्दे पर बहुत ही घटिया है।

तहसीलदार न्यायालय में दाखिल किया वाद

शेरा और मंगल ने बहन बेटीबाई द्वारा किए फर्जीवाड़े के सभी कागजात निकलवाए और तहसीलदार न्यायालय में वाद दाखिल किया। इसके बाद तारीख पर तारीख पड़ती रही। मंगल ने बताया कि 14 साल तक चक्कर लगाता रहा लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद उसने जिलाधिकारी से न्याय मांगने की ठानी और परिवार लेकर बांदा मुख्यालय जाता। प्लेटफार्म टिकट लेकर रेलवे स्टेशन पर सो जाता था। आखिर एक दिन 11 नवंबर को जिलाधिकारी के सामने पेश होने का मौका मिला और उसकी फरियाद सुनी गई।

लंबी लड़ाई के बाद डीएम की पहल पर मिला न्याय

लंबी लड़ाई के बाद पिता- पुत्र को न्याय दिलाने में जिलाधिकारी दीपा रंजन ने पहल की। केस की सुनवाई के बाद तहसीलदार कोर्ट से फैसला आया और राजस्व रिकार्ड में शेरा को जीवित दर्शा करकर जमीन पर नाम अंकित हो गया। शेरा की तहरीर पर कालिंजर थाने में बहन बेटीबाई पर प्राथमिकी भी दर्ज की गई है। हालांकि अभी शेरा को अपने खेत पर कब्जा नहीं मिल पाया है। डीएम ने बताया कि मामला संज्ञान में आया था। तहसीलदार कोर्ट के आदेश पर मंगल के पिता शेरा के नाम जमीन दर्ज हो गई है। जमीन पर कब्जा दिलाने के लिए प्रक्रिया पूरी की जा रही है।



आदेश पत्रक न्यायालय

तहसीलदार मण्डल चित्रकूटधाम, जनपद बाँदा, तहसील नरैनी बाद संख्या RST/ 00122/ 2019 कंप्यूटरीकृत वाद संख्या T201907110400122 विसभा संकतपुर बेटीबाई आदि शेरा बना अंतर्गत धारा 34, अधिनियम उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 आदेश एतद द्वारा आपत्ति पत्र स्वीकार किया जाता है, तथा आदेश दिया जाता है कि सकतपुर की खतौनी सन् 1407 से 1412 फसली के खाता सं० 0222 में आदेश सन् 1409 फसली रा० नि० कालिर के प० क०-11ख के क्रमांक 6/ 18.04.2002 निरस्त करते हुये आदेश दिया जाता है, कि ग्राम सकतपुर की खतौनी सन् 1425 से 1430 फसली के खाता सं० 273 व खाता सं० 212 में श्री शेरा पुत्र मंगी निवासी निवासी सकतपुर परगना व तहसील नरैनी जिला बाँदा हा० म० शहर फरीदाबाद हरियाणा का नाम यथावत अंकित हो। पत्रावली बाद अनलवरामद दाखिल दफ्तर हो।

विषय श्रीमती बेटीबाई पत्नी राजाराम उर्फ बुध्दू निवासी जैतपुर तहसील कुलपहाड जिला महोबा के विरूध्द प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने हेतु।

शेरा पुत्र मंगी निवासी सकतपुर परगना व तहसील नरैनी जिला बांदा का निवासी है। श्रीमान जी ग्राम सकतपुर की खतौनी सं० 1407-1412 फसली के खाता सं० 222 में अंकित आदेश 1409 फसली राजस्व निरीक्षक प0 क0 11 ख के क्रमांक 08.04.2002 मे मृतक शेरा पुत्र मंगी के स्थान पर वारिश श्रीमती बेटी बाई पत्नी राजाराम उर्फ बुद्धू निवासी जैतपुर जमीदारी मुहल्ला तहसील कुलपहाड जिला महोबा का बरासत आ आदेश पारित किया गया था न्यायालय तहसीलदार नरैनी मे वाद सं0 टी 201907110400122 शेरा बनाम बेटीबाई मोजा सकतपुर धारा 34 उ0 प्र0 राजस्व संहिता 2006 के अन्तर्गत विचाराधीन रहा है।



जिसमे दिनांक 11.11.2022 को आदेश पारित हुआ है आदेश होने के उपरान्त संज्ञान में आया है कि शेरा पुत्र मंगी निवासी सकतपुर तहसील नरैनी जिला बांदा जीवित है, श्रीमती बेटीबाई पत्नी राजाराम उर्फ बुद्धू निवासी जैतपुर तहसील कुलपहाड जिला महोबा जो कि शेरा की बहन है, के द्वारा कूटरचित साक्ष्य प्रस्तुत कर उपरोक्त भूमि की बरासत खातेदार शेरा पुत्र मंगी को मृतक दिखाकर अपने पक्ष में करा लिया गया था।

अतः निवेदन है कि श्रीमती बेटीबाई पत्नी राजाराम उर्फ बुद्धू निवासी जयपुर तहसील कुलपहाड जिला महोबा के विरुध्द 420 धोखाधडी का वाद पंजीकृत करने की कृपा की जाये। महान कृपा होगी।

बेटीबाई बोली- अनपढ़ हूं, मुझसे तो अंगूठा लगवाया था

मंगल ने बताया कि 15 दिन पहले बुआ बेटीबाई भी घर आई थीं। पूछने पर उन्होंने बताया कि लोग जमीन पर कब्जा कर रहे थे। बाद में गांव के तीन भाइयों व दूसरे गांव की एक महिला के नाम वह जमीन लिखी गई। उन लोगों ने जहां- जहां अंगूठा लगाने को कहा, उसने लगा दिया। अनपढ़ होने के कारण उसे कुछ जानकारी नहीं हुई।


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