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गरीब की दुकान जलाने वाले, युवक को नेताओं के हस्ताक्षेप पर चालान न करके, दो दिन थानें में बैठाकर रखनें, मिलने आ रहे मां व पिता की दुर्घटना में मौत, तीनों जिम्मेदार सस्पेंड।

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सुल्तानपुर। देहात कोतवाली पुलिस ने बिना एफआईआर के ही युवक को दो दिनों से थाने पर बैठाये रखे गया। बेटे से मिलने आ रही माँ व पिता को ट्रक ने मारी टक्कर। हादसे में माँ की दर्दनाक मौत, पिता बाल- बाल बचा।

आपको बतातें चलें कि देहात कोतवाली पुलिस की लापरवाही। बिना एफआईआर के ही युवक को दो दिनों से थाने पर बैठाया गया था।आगजनी की जांच के नाम पर कल से बैठाया गया  था युवक।

बेटे से मिलने आ रहे दंपत्ति की बाइक को ट्रक ने मारी टक्कर। हादसे में माँ की दर्दनाक मौत, पिता बाल- बाल बचे। देहात कोतवाली के दोमुहा के पास हुआ हादसा। सूचना पर पुलिस विभाग में मचा हड़कम्प। आनन- फानन में युवक को पुलिस ने छोड़ा। देहात कोतवाली के पूरे किरतापुर गांव का रहने वाला है युवक।

आखिरी सच की पड़ताल में निकला  यह मामला।

एक पकौड़ी चाय वाले कि दुकान की कुरिया युवक द्वारा फूंक दिया गया था। इसी में थानें के सिपाहियों द्वारा शिकायत मिलनें पर इस लड़के को उठाया गया था। इसे नाम जद तहरीर मिली थी। थानाध्यक्ष द्वारा बस गलती ये हो गई की जब बात आगे बढ़नें को हुई तो कई जगह से नेताओं का दबाव आया उसी चक्कर में थानें द्वारा चालान नही किया गया था।

पर ये बहुत ही दुःखद हुआ कि उसकी मां का एक्सीडेंट हो गया जिसमें मां की मौत हो गयी। ये उसके लिए बहुत दुःखद है। शायद आज हमारे पाठक हमें पुलिसिया गुलाम साबित करें, लेकिन यथार्थ यही है कि युवक नें एक गरीब की रोजी व परिवार के आश्रय का सहारा केवल रंगबाजी में छीन लिया था।

उच्चाधिकारियों नें जिम्मेदारों को किया सस्पेंड

आनन फानन में जनपद के उच्चाधिकारियों नें थानाध्यक्ष, हल्का इंचार्ज व गिरफ्तार करके लानें वाले कांस्टेबल को घटना के तुरंत बाद सस्पेंड कर शान्ति व्यवस्था बनानें का बेहतर उदाहरण दिया है। लेकिन क्या इतना कुछ करना भर ही एक संवैधानिक पहलू है।


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