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सवर्णो को धमकाने वालों को रादपा प्रमुख रूमित ठाकुर की खुली चेतावनी।

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सुप्रीमो राष्ट्रीय देवभूमि पार्टी। सोलन, 2 दिसंबर दिल्ली स्थित जवाहर नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) परिसर स्थित कई इमारतों को बृहस्पतिवार को ब्राह्मण व बनिया अध्यक्ष विरोधी नारे लिखकर विरूपित किया जिस पर देवभूमि जनहित पार्टी सुप्रीमो द्वारा विरोध किया गया। जिसका फोटो सोशल मीडिया पर गहनता से प्रसारित हो गया है, विद्यार्थियों ने दावा किया कि ब्राह्मण और बनिया समुदाय के खिलाफ नारों के साथ स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज द्वितीय की इमारत में तोड़फोड़ की गई। दीवारों पर लिखे नारों में से कुछ नारे हैं, “ब्राह्मण परिसर छोड़ो”, ‘रक्तपात होगा’, ‘ब्राह्मण भारत छोड़ो’ और ‘ब्राह्मणों और बनिया, हम तुम्हारे पास बदला लेने आ रहे हैं। ‘जेएनयू शिक्षकों के संगठन ने तोड़ – फोड़ की ट्वीट कर निंदा की है और इसके लिए ‘वामपंथी उदारवादी गिरोह को जिम्मेदार ठहराया है।



वहीं देवभूमि क्षत्रिय संगठन व देवभूमि सवर्ण मोर्चा के अध्यक्ष व राष्ट्रीय देवभूमि पार्टी के सुप्रीमो रुमित ठाकुर ने इस घटना पर गहन चिंतन करते हुए इस प्रकरण की कड़े शब्दों में निंदा की है। रुमित ठाकुर ने कहा कि सनातन चार वर्णों पर आधारित है, जिनमें सभी वर्ण परिपक्व हैं। लेकिन देश की मौजूदा सरकार सहित इस समय की तथाकथित सरकारों ने सनातन को जातियों में ना केवल बंटा, बल्कि एक वर्ग को पिछड़ी जाति के नाम पर ऐसी- ऐसी सहूलियतें ऐसे कानून बनाकर दें डाले जो दूसरे वर्णों पर चलाने के लिए हथियारों की तरह इस्तेमाल हो रहे हैं, फिर चाहे वो जातिगत आरक्षण की मार हो याँ एट्रोसिटी एक्ट की दो धारी तलवार रुमित ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा की यदि मोदी सरकार एट्रोसिटी एक्ट में संशोधन कर इन्हें खतरनाक हथियार रूपी कानून ना देती तो आज जेएनयू परिसर में सवर्णों को इस तरह की धमकियां ना मिलती।



रुमित ठाकुर ने कहा कि यदि केंद्रीय विश्व विद्यालय जैसे संस्थानों में इस तरह सवर्णों को धमकी देने वाले नारे लिखे मिले तो इसमें भारत सरकार की नालायकी है, जो इन अराजक तत्वों पर नकेल नहीं कस पा रही। रुमित ठाकुर ने आगे कहा कि जेएनयू परिसर में हुई घटना वामपंथियों का कारनामा है, जिन्हें सरकारें ही पाल रही हैं। रुमित ठाकुर ने भाजपा को आड़े हाथों लेते हुए कहा की 1990 में कश्मीर में भाजपा तब की जनसंघ के राज्यपाल के होते हुए भी ब्राह्मणों का ना केवल रक्तपात हुआ, बल्कि उन्हें पलायन भी करना पड़ा। लेकिन केंद्र सरकार मूक दर्शक बनी रही। ठीक उसी तरह आज भी सवर्णों पर हो रहे रक्तपात की धमकियों पर केंद्र मूक है और सवर्णों के ऊपर हो रहे अत्याचारों और उन्हें दी जा रही धमकियों पर मात्र दर्शक बनी बैठी है।



अपने पुराने अंदाज में रुमित ने सवर्ण विरोधी नारे लिखने वालों को चेतावनी देते हुए कहा कि “हमारे इतिहास तलवारों की धारों पर चलते हैं, रक्तपात की बात क्यों करते हो, हम भी इंतजार कर रहे हैं, ईंट का जवाब पत्थर से देंगे,।” इस मौके रुमित ठाकुर ने मीडिया के माध्यम से सवर्णों को आगाह करने का भी प्रयास किया। रुमित ने कहा कि आज एक विश्वविद्यालय में सवर्णों को धमकाया गया है, ब्राह्मण बनिया को देश छोड़ने के लिए कहा जा रहा है, यहाँ तक कि सवर्णों के घरों तक आने की भी धमकी दे दी गई है। यदि अब भी सवर्ण इन सवर्ण विरोधी राजनीतिक पार्टियों के विरुद्ध एकजुट ना हुए तो वो दिन दूर नहीं जब सवर्णों को सचमुच ही देश छोड़कर जाना पड़ेगा। रुमित ने पंजाब का उदाहरण देते हुए कहा कि पंजाब में सवर्णों के पलायन के चलते घर  व गांव खाली हो गए हैं, जो एक विचारणीय विषय है।


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