कानपुर। भू- माफियाओं के खिलाफ कठोर कदम उठाकर एक ओर जहाँ उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ अपने ‘बुलडोजर बाबा’ के नाम से उत्तर प्रदेश नहीं बल्कि पूरे उत्तर भारत में खासा ख्याति प्राप्त कर चुके हैं। वहीं अनेक भू- माफिया ऐसे भी जिन्हें किसी भी प्रकार का खौफ नहीं है। गौर तलब हो कि उत्तर प्रदेश के अंदर सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे जिन- जिन भू माफियाओं व राजनीतिक वर्चस्व वादियों ने कर रखे थे उन पर तीव्र गति से पैनी दृष्टि रखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कड़ी कार्यवाही करके बुलडोजर से वहां पर बनी इमारतों को ध्वस्त करवा कर पूरा भू भाग खाली करवा जमीन के उल्लेखित विभाग को सुपुर्द कर दिया है। सरकार द्वारा जमीन कब्जे के प्रकरणों को इतनी गंभीरता से देखने के बाद भी उत्तर प्रदेश के राजस्व विभाग के अधिकारियों ने भू-माफियाओं के साथ मिलीभगत करके सरकार की इन नीतियों का भट्टा बैठा कर रख दिया है।
उत्तर प्रदेश के कानपुर महानगर के अंदर हाल ही में जहां वीएसीएल कंपनी द्वारा अर्बन सीलिंग में दर्ज जमीन को कब्जा करके प्लाटिंग करने के बाद बिधनू थाना क्षेत्र के बिनगवां इलाके में 21 बीघे जमीन व उसमें बने तमाम मकानों के ध्वस्तीकरण को लेकर तमाम गरीब परिवारों के आंसुओं के सैलाब के ऊपर से बुलडोजर चलवा कर इतनी बड़ी जमीन को खाली करवाया गया था। उसके ठीक विपरीत थाना पनकी के अंतर्गत ग्राम पतरसा व थाना सचेंडी के अंतर्गत ग्राम भाँती प्रतापपुर में भू- माफियाओं के द्वारा गौशाला सोसाइटी के नाम पर अंकित जमीन को आधिकारिक तौर पर अधिकृत करके उसमें बेच खरीद की मंशा अनुसार बाउंड्री वाल करवाई गई है।
वहीं दूसरी ओर आराजी संख्या 613/3 जो भाँती के अंदर चरागाह के तौर पर दर्ज है उसे किसी बिल्डर द्वारा बेच दिया गया। इस मामले की शिकायत जब एक नगरवासी ने आला अधिकारियों से की तो तहसील स्तर पर तैनात लेखपाल व तहसीलदार द्वारा गलत रिपोर्ट तैयार करके अधिकारियों को गुमराह किया गया। इसके अलावा जब महानगर के उप जिलाधिकारी से इस गलत जांच रिपोर्ट की शिकायत की गई तो वह भी अपने तहसीलदार एवं लेखपाल के पक्ष में भ्रष्टाचार रूपी गुनगुने पानी का गरारा करते नजर आए।
इन सरकारी जमीनों पर बिल्डरों ने देंगे का चिन्ह छपवा कर अपना झंडा गाड़ रखा है। इस पूरे प्रकरण पर कुछ लाइनें सटीक बैठती हैं कि ‘बिल्डरों से मिलकर कर रहें हैं एक बड़े घोटाले की तैयारी सरकार की नीतियों में पलीता लगा रहे हैं जिले के राजस्व अधिकारी।’ इस ओर जिले के आलाधिकारियों को दृष्टि डालने की आवश्यकता है जिससे कि भू- माफिया बेनकाब हो सकें।