उत्तर प्रदेश। अलीगढ़ में शुक्रवार को चलती ट्रेन की खिड़की का शीशा तोड़कर लोहे की रॉड यात्री की गर्दन के आरपार हो गई। हादसे में यात्री ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। इस पूरी घटना ने देश के लोगों को स्तब्ध कर दिया। रेलवे ने जब इस हादसे की जांच की तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। हालांकि रेलवे की जांच जारी है ताकि इसकी अंतिम रिपोर्ट आला अधिकारियों के समक्ष भेजी जा सके। उधर, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मृतक हरिकेश कुमार दुबे के परिजनों को पांच लाख रुपये मुआवजा राशि देने का ऐलान किया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि अलीगढ़ में शुक्रवार को डाबर- सोमना के बीच मजूदर रेलवे ट्रैक को उठाने का कार्य कर रहे थे। इस कार्य के चलते रेलवे ट्रैक को नौ बजे से ब्लॉक पर लिया गया गया था। इसके बाद से यहां से गुजरने वाली ट्रेने निर्धारित गति से ही यहां से गुजरती रहीं। GRP इंस्पेक्टर सुबोध यादव ने बताया कि शुरुआती जांच से पता चला है कि मजदूरों ने तय समय से पहले ही कार्य शुरू कर दिया था। इस कारण नीलांचल ट्रेन अपनी तय गति से गुजरी। इससे एक मजदूर के हाथ से लोहे की रॉड (सब्बल) छिटक गया और सीधे नीलांचल एक्सप्रेस की खिड़की का शीशा तोड़ते हुए सीधे यात्री हरिकेश की गर्दन के आरपार हो गया। उन्होंने बताया कि अभी यह प्राथमिक जांच है। फाइनल जांच के बाद ही अंतिम निष्कर्ष पर पहुंच पाएंगे।
मृतक के पिता का खाता विवरण समाज अपना सहयोग दे सकता है।
रेलवे ने ऑफर किया था 15 हजार का मुआवजा
मृतक हरिकेश के पिता संतराम अपने बेटे का शव लेने पहुंचे। इस दौरान रेलवे के अधिकारियों ने बतौर मुआवजा राशि 15 हजार रुपये देनी चाही, लेकिन संतराम ने यह राशि लेने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि रेलवे की लापरवाही से मेरे बेटे की मौत हुई है। उनका बेटा अपनी पत्नी और दो बच्चों को छोड़ गया है। उनकी कैसे देखभाल होगी। उन्होंने कहा कि मेरी बहु को रेलवे में नौकरी दी जाए तो उपकार होगा। इस दौरान संतराम ने यह भी कहा कि अगर पैसों की बात है तो 15000 नहीं लेंगे बल्कि मुझसे ही 50 हजार ले लो, लेकिन मेरे बेटे को इंसाफ दिया जाए। इसके बाद संतराम अपने बेटे का शव लेकर सुल्तानपुर रवाना हो गए।
संतराम ने बताया कि वो सुल्तानपुर में अपने बेटे का दाहसंस्कार करेंगे। इसके बाद वो अपने बेटे की मौत के लिए न्याय मांगेंगे। इसके लिए सुल्तानपुर में डीएम कार्यालय का घेराव करेंगे। संतराम ने कहा कि जब तक बेटे और परिवार को न्याय नहीं मिलेगा, तब तक प्रदर्शन चलता रहेगा।
पीड़ित परिवार को मिलेगा 8 लाख मुआवजा
उधर, एनसीआर रेलवे के CPRO हिमांशु शेखर उपाध्याय का कहना है कि मृतक हरिकेश के परिजनों को आठ लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। मृतक के परिजन को 15 हजार रुपए का मुआवजा तत्काल प्रदान किया गया है। ताकि पीड़ित परिवार को तात्कालिक सहायता मिल सके। पीड़ित परिवार को मुआवजा राशि के लिए रेलवे नियमों के तहत आवेदन करना होगा। इसके बाद विभागीय प्रक्रिया पूरी होते ही उन्हें मुआवजा राशि उपलब्ध करा दी जाएगी।
भारतीय रेलवे की तरफ से मुआवजे के तौर पर पूरे दिन हुए नाटकीय घटनाक्रम पर सवर्ण समाज के विभिन्न संगठनों नें तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है, संगठनों के पदाधिकारियों व प्रमुखों नें रेल मंत्रालय की घोषणाओं को सवर्णों के साथ भद्दा मजाक करार दिया है। जिसके क्रम में राष्ट्रीय देवभूमि पार्टी प्रमुख रूमित ठाकुर नें मुआवजे पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि सरकार सवर्णों के प्रति अपनी घटिया सोंच से बाहर निकलकर निर्णय ले, मृतक के परिवार को मुआवजे के तौर पर 5 करोड़ की एकमुश्त राशि व हमारी विधवा बहन को रेलवे में उसकी योग्यता के अनुसार नौकरी दी जाय।
पंकज धवरेय्या नें सरकार को सवर्ण विरोधी मांसिकता से परे उठनें की सलाह दी
वहीं राष्ट्रीय सवर्ण परिषद के प्रमुख पंकज धवरेय्या नें आखिरी सच से बातचीत में कहा कि सरकार सवर्णों के प्रति संकुचित सोंच से बाहर निकलकर सोंचे यदि सरकार सवर्णों के साथ अपनी घटिया सोंच से बाहर नही निकलती तो हमें संघर्ष का रास्ता चुनना ही पड़ेगा, जिसमें होनें वाली किसी भी प्रकार के नुकसान के लिये शासन प्रसाशन जिम्मेदार होगा, हमें अपनी बहन के लिये उसकी योग्यतानुसार एक अदद नौकरी व कम से कम पांच करोड़ रूपये का मुआवजा मिलना ही चाहिये, अन्यथा हम सरकार की चूलें हिलानें में कोर कसर नही छोड़ेंगे।
जस्टिस फार ब्राह्मण संगठन प्रमुख सोनू शर्मा का बयान
जस्टिस फार ब्राह्मण संगठन प्रमुख सोनू शर्मा नें तो सीधे आर पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है, व सरकार को अल्टीमेटम की बात आखिरी सच से कही है, श्री शर्मा ने कहा कि हमारी बहन को उसकी योग्यता के आधार पर सम्मानित नौकरी व मुआवजा के तौर पर कम से कम पांच करोड़ की एकमुश्त धनराशि मृतक की तेरहवीं संस्कार से पहले खाते में दी जाय।