कृष्णकांत तिवारी (अंदेशा) निवासी प्रयागराज की कानपुर सेंट्रल स्टेशन में तड़प- तड़प कर मौत, जिम्मेदार करते रहे मेमो का इंतजार, मानवता समाज से गायब, जय हो पाश्चात्यीकरण की।
कानपुर। किसी की जिंदगी बचाना ज्यादा जरूरी है या नियम कानूनों का पालन करना? इसी सवालों में उलझकर कानपुर सेंट्रल स्टेशन में एक युवक की तड़प- तड़प कर मौत हो गई। वहां खड़े लोग वीडियो बनाते रहे और पुलिसकर्मी देखते रहे। बताया जा रहा है कि मृतक युवक करीब 1 घंटे तक तड़पता रहा लेकिन उसे अस्पताल ले जाने की बजाए पुलिस को रेलवे के मेमो का इंतजार था। आज इंसानियत, मानवता, शर्म, हया, दया आदि शब्दों का पूर्णतया समाज से लोप हो चुका है, जय हो पाश्चात्य सभ्यता की।
मिली जानकारी के अनुसार हादसे के एक घंटे तक मृतक तड़पता रहा लेकिन पुलिसकर्मी रेलवे मेमो का इंतजार करते रहे। जब 1 घंटे बाद रेलवे मेमो आया तब जाकर युवक को अस्पताल ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने युवक को मृत घोषित कर दिया।
ट्रेन के नीचे आ गया था युवक
दरअसल ये पूरा मामला मंगलवार की सुबह का है। एक युवक हैरिस गंज पुल के नीचे पटरी पार करते समय ट्रेन के नीचे आ गया और उसके दोनों पैर कूल्हे के ऊपर से कट गए। मौके पर फौरन पुलिस पहुंची, लेकिन कोई उसे अस्पताल लेकर नहीं गया। जीआरपी और आरपीएफ के सिपाही भी घटना स्थल पर आ गए लेकिन उन्होंने भी कोई कदम नहीं उठाया।
सभी को रेलवे की तरफ से मिलने वाले मेमो का इंतजार था। मामले की सूचना रेलवे अधिकारियों को दी गई तब 1 घंटे बाद रेलवे की तरफ से मेमो मिल पाया। मेमो मिलने के बाद जीआरपी और आरपीएफ के जवान घायल को हैलट अस्पताल लेकर पहुंचे लेकिन वहां डॉक्टरों ने युवक को मृत घोषित कर दिया।
नहीं हो पाई पहचान
बता दें तक मृतक युवक की अभी शिनाख्त नहीं हो पाई है, लेकिन उसके पास एक मार्कशीट मिली है। मार्कशीट में युवक का नाम कृष्णकांत तिवारी निवासी प्रयागराज लिखा है। मार्कशीट में युवक की उम्र 21 साल लिखी है। ध्यान देने वाली बात यह है कि मृतक युवक भी इसी उम्र का लग रहा है।
इस पूरे मामले में जीआरपी पुलिस ने बताया, “रेलवे से हमारे पास मेमो आया। युवक को इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाया गया था।” अब सामाजिक रूप से सवाल उठता है कि अगर पटरी पर किसी के साथ हादसा हो जाए तो क्या उसे पहले अस्पताल ले जाया जाएगा या रेलवे की तरफ से आने वाले मेमो का इंतजार किया जाएगा?