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अपनें 18 खबरियों के जरिए आयकर विभाग ने करदाताओं पर पलटवार किया शुरू, आयकरदाता हो जायें सावधान।

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आयकर। अभिलेखों में हेराफेरी कर टैक्स की चोरी करने वालों पर आयकर विभाग के यह 18 खबरी पैनी नजर रख रहे हैं। जो आपके पल- पल की जानकारी विभाग को मुहैया करा रहे हैं। ऐसे में अगर आप भी ऐसा कर रहें हैं, तो सावधान होने की जरूरत है। अभी तक किए गए टैक्स चोरी के भुगतान को समय पर कराने की जरूरत है। नहीं तो क्या पता आयकर विभाग की अगली रेड आपके द्वार पर हो। आयकर विभाग इन्हीं खबरियों के दम पर आपके अभिलेखों को आपको ही दिखाने लगता है।

साक्ष्य ऐसा होता है कि कोई भी नकार न सके। इन्हीं 18 खबरियों के जरिए आयकर विभाग ने करदाताओं को पलट कर बताना शुरू कर दिया है कि वे अपने रिटर्न में जो आय बता रहे हैं वह फर्जी है। विभाग अपनी तरफ से करदाता को उनकी आय और खर्च के आंकड़े भी भेजने लगा है। इन्हीं डेटा के आधार पर लोगों को नोटिस भी भेजे जाने लगा है।



यह उपलब्ध कराते हैं आपके सभी खर्च का ब्यौरा

बैंक, स्टाक एक्सचेंज, विदेशी मुद्रा देने वाले, रजिस्ट्रार, एनबीएफसी, पोस्ट मास्टर जनरल और वित्त से जुड़े 18 ऐसे संस्थान हैं जो एक निर्धारित सीमा से अधिक होने वाले खर्च के संबंध में नियमित रूप से आयकर विभाग को सूचना देते हैं।

पहले विभाग के पास जानकारी आती थी कि करदाता ने कौन से बड़े खर्च किए हैं, जिसको वह छिपा रहा है। इसी के आधार पर विभाग नोटिस जारी करता था कि उसके रिटर्न गलत हैं लेकिन अब विभाग यह बताने में सक्षम है कि करदाता ने कौन- कौन से खर्च छिपाएं हैं।



यह हैं वह 18 खबरी

शेयर वापसी की सूचना शेयर जारी करने वाली कंपनी देती है। ब्याज के भुगतान की जानकारी बैंक, डाकघर, फाइनेंसियल कंपनियां देती हैं।  म्युचुअल फंड की खरीद की सूचना उससे जुड़ी कंपनी देती है।  30 लाख से अधिक की अचल संपत्ति की खरीदारी की सूचना रजिस्ट्रार भेजते हैं। विदेशी करेंसी विनिमय की सूचना फोरेक्स डीलर देते हैं। एक वर्ष में दिए डिवीडेंड की सूचना डिवीडेंड देने वाली कंपनी देती है। शेयरों की खरीद बिक्री की सूचना सेबी देता है। बैंक की ओर से क्रेडिट कार्ड से लेनदेन समेत छह बिंदुओं पर दी जाती है जानकारी। डिबेंचर व बांड जारी करने वाली कंपनी खरीद की जानकारी देती है।

यह बोले विशेषज्ञ…

सभी के बैंक के ट्रांजेक्शन की एक सीमा तय हाेती है। सीमा से अधिक खर्च पर बैंक की ओर से आपकी जानकारी विभाग को भेजी जाती है। इनको विभाग के अधिकारी चेक करते हैं कि आने या जाने वाला पैसा किस मद का है। ब्यौरा नहीं मिलने पर विभाग की ओर से कार्रवाई की जाती है।


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